नई दिल्ली, (एजेंसी)। सरकारी कंपनी भारत पेट्रोलियम कापोर्रेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। ऐसा अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में निजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो सकती है। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक वित्तीय बोलियां अभी तक नहीं बुलाई गई हैं, और हमारे पास सिर्फ तीन महीने बाकी हैं। बीपीसीएल की उधारी को देखते हुए, इसे उधारदाताओं से अनुमोदन की आवश्यकता होगी। इसमें कुछ महीने लगेंगे। सरकार कितनी बेच रही हिस्सेदारी: बीपीसीएल के मामले में सरकार ने प्रबंधन पर नियंत्रण समेत 26 फीसदी हिस्सेदारी को बनाए रखने की सफल नीति का पालन करने के सुझावों को नजरंदाज करते हुए कंपनी में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी की पेशकश की है। परिणाम यह रहा कि केवल तीन निविदाएं आईं और उनमें से भी दो को वित्त की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। ये लक्ष्य पूरी तरह से भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी के आईपीओ की सफलता पर निर्भर करता है। अभी एलआईसी में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है।


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