राष्ट्रनायक न्यूज

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बारिश होने से किसानों के खिले चेहरे, बढ़ा ठंड

संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।

बनियापुर (सारण)। “अगहन बरसे हून पूस बरसे दून, माघ बरसे सवाई फागुन बरसे मूर गवाई” महाकवि घाघ द्वारा रचित दोहा मौसम के बदले मिजाज को देख बिल्कुल फिट बैठ रहा है। दोहे का सीधा अर्थ है कि अगहन में बारिश होने से फसल अच्छी होती है और पूस में वर्षा हो तो दूनी फसल होगी, वहीं माघ में वर्षा होने पर सवाई पैदावार होती है। जबकि वर्षा अगर फागुन महीने में होती है तो बीज मिलना भी मुश्किल हो जाता है। फिलवक्त पूस का महीना अंतिम दौड़ में चल रहा है रहा है। ऐसे में बुधवार की अहले सुबह में हुई झमाझम बारिश से किसान खासे उत्साहित दिख रहे है। रवि फसलों की बुआई के बाद से किसान भाई अपने फसल की सिंचाई को लेकर प्रयासरत थे। ऐसे में किसान भाई बिन मौसम हुई बरसात को रवि फसलों के लिये अमृत वर्षा की संज्ञा दे रहे है। इस बारिश की वजह से किसान भाइयों को आर्थिक और शारीरिक दोनों रूप से लाभ मिलने की बात बताई जा रही है।

हालांकि मौसम विभाग के अनुसार मौसम एक-दो दिनों तक इसी तरह बने रहने की संभावना जताई जा रही है। अनुभवी किसानों का कहना है कि पूस महीने में हुई बारिस फसलो के लिये अत्यंत लाभदायक है। मगर बारिश के साथ हवा चलने की वजह से सरसों, अरहर और आलू की फसल को आंशिक रूप से नुकसान होने की संभावना जताई गई है। हालांकि इस वर्ष खेतो में अत्यधिक नमी की वजह से गेहूँ की बुआई देर से शुरू हुई। ऐसे में गेहूँ के पौधों में अबतक आशा के अनुरूप वृद्धि नहीं हो पाई है। जिससे बारिश होना गेहूँ के लिये फायदेमंद बताया जा रहा है। कई किसानों का कहना है कि अक्सर इस मौसम में ओला पड़ने की भी संभावना बनी रहती है। अगर ऐसा हुआ तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि बारिश के बाद से मौसम कुछ हद तक साफ हुआ। मगर पूरे दिन बादल और धूप की आंखमिचौली जारी रही। एक-दो दिनों में मौसम पूरी तरह साफ होने को लेकर मौसम विज्ञानी ने संभावना व्यक्त की है।

बारिश के बाद बढ़ी यूरिया की डिमांड

एका-एक बारिस होने से रवि फसलो में यूरिया के छिड़काव को लेकर बुधवार को पूरे दिन किसानों में होड़ मची रही। इस बीच बिस्कोमान भवन सहित सभी दुकानों पर किसानों की भीड़ जुटी रही। हाल ही में बिस्कोमान भवन में यूरिया की खेप उपलब्ध कराई गई है। जिससे किसानों को ज्यादा परेशानी नही झेलनी पड़ी। वही मिट्टी में पर्याप्त नमी होने की वजह से कुछ किसान भाई खरपतवार नाशी दवाओं की छिड़काव करने में भी जुट गए है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो खेतों में पानी लगे रहे पर यूरिया का छिड़काव नहीं करना चाहिए। पानी लगे खेतों यूरिया का छिड़काव करने से अमोनिया गैस बनकर उड़ जाता है। जिससे फसल को कोई लाभ नहीं होता है। ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

बारिश ने बढ़ाई ठंड

एका-एक बारिश होने से तापमान में कुछ कमी आने से ठंड में कुछ हद तक इजाफा हुआ है। ऐसे में लोगों का जन-जीवन आम दिनों के मुकाबले बुधवार को प्रभावित दिखा। इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों और बुजुर्गों को उठानी पड़ रही है। वही बारिश की वजह से घर के आसपास कीचड़ और जलजमाव से लोगो को चलने-फिरने में परेशानी हो रही है। फिसलन बढ़ने की वजह से लोग सुबह में काफी परेशान दिखे।