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जिले के सभी ऑगनबाड़ी केंद्रों में कोविड प्रोटोकॉल के साथ मनाया गया अन्नप्राशन दिवस

  • शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए अनुपूरक आहार जरूरी: डीपीओ
  • घर के खाद्य पदार्थों से अनुपूरक आहार के निर्माण की दी गई जानकारी:
  • अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी कराने की दी गई सलाह:

कटिहार, 19 जनवरी। शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान के साथ ही उन्हें बेहतर अतिरिक्त ऊपरी आहार का दिया जाना जरूरी होता है। इसके लिए हर माह आंगनवाड़ी केंद्रों में अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया जाता है। बुधवार को भी जिले के सभी सेविकाओं द्वारा कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों के घर-घर जाकर अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया। जिस दौरान सेविकाओं द्वारा अपने पोषक क्षेत्र में  छः माह की उम्र पूर्ण करने वाले बच्चों को खीर खिलाकर उनके पोषण की शुरुआत की गई।

शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए अनुपूरक आहार जरूरी : डीपीओ

आईसीडीएस डीपीओ बेबी रानी ने अन्नप्राशन दिवस की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छः महीने बाद से ही शिशुओं को स्तनपान कराने के साथ अतिरिक्त अनुपूरक आहार दिया जाना चाहिए। इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है। इसलिए इस दौरान शिशुओं को ज्यादा आहार की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर महीने 19 तारीख को अन्नप्राशन दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें सेविकाएँ छः माह के शिशुओं को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन करती हैं। इसके साथ ही अन्नप्राशन दिवस पर माता-पिता या परिजनों को सेविकाओं द्वारा शिशुओं को दिए जाने वाले अतिरिक्त आहार की जानकारी दिया जाता है। डीपीओ ने कहा कि इस माह कोविड संक्रमण को देखते हुए सेविकाओं द्वारा लाभार्थियों के घर-घर जाकर ही अन्नप्राशन मनाया गया और लोगों को भी कोविड संक्रमण से सुरक्षित रहने की जानकारी दी गई।

घर के खाद्य पदार्थों से अनुपूरक आहार के निर्माण की दी गई जानकारी :

अन्नप्राशन दिवस में सेविकाओं द्वारा लोगों को घर के खाद्य पदार्थों से ही शिशुओं के लिए अनुपूरक आहार के निर्माण की जानकारी दी गई। पोषण अभियान के जिला समन्यवक अनमोल गुप्ता ने बताया कि शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं। बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल किया जा सकता है क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं। अन्नप्राशन दिवस पर सेविकाओं द्वारा लोगों को इनसभी की जानकारी दी गई जिससे कि लोग घर में ही शिशुओं को सही पोषण का सेवन करवा सकें।

अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी :

पोषण अभियान की जिला परियोजना सहायक सोनिया भारती ने कहा कि अन्नप्राशन दिवस के दौरान सेविकाओं द्वारा महिलाओं को बताया गया कि छः माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान ही कराएँ और इसके बाद अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक उन्हें स्तनपान भी कराएँ। इससे बच्चे के  स्वस्थ शरीर का निर्माण हो सुलभ हो सकेगा। अतिरिक्त आहार में 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी।

शिशुओं के पोषाहार के लिए इन बातों का रखें ख्याल:

  • 6 माह बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार दें।
  • स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को अतिरिक्त आहार सुपाच्य भोजन के रूप में दें।
  • शिशु को मल्टिंग आहार(अंकुरित साबुत अनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) देना चाहिए।
  • माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • शिशु द्वारा अनुपूरक आहार नहीं खाने की स्थिति में भी उन्हें थोडा-थोडा करके कई बार अतिरिक्त भोजन खिलाना चाहिए।