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जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में मनाया गया कुष्ठ रोग निवारण दिवस

  • कुष्ठ रोगियों की देखभाल करने से नहीं होती कोई समस्या: सिविल सर्जन
  • कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से नहीं करें भेदभाव : डीपीएम स्वास्थ्य
  • कीटाणु से होती है कुष्ठ रोग की बीमारी, पूर्ण इलाज है सम्भव:
  • पूर्णिया में 194 व्यक्ति हैं कुष्ठ रोग के शिकार:
  • महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर  मनाया जाता है कुष्ठ निवारण दिवस:

पूर्णिया, 30 जनवरी। महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कुष्ठ रोग निवारण दिवस मनाया गया। इस दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा दिए गए कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करने की शपथ ली गई। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में सभी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करने और जिले से कुष्ठ बीमारी को समाप्त करने का संकल्प लिया गया। मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा, डीपीएम स्वास्थ्य ब्रजेश कुमार सिंह, डीएएम स्वास्थ्य सत्यम कुमार, जिला कुष्ठ निवारण के अपर चिकित्सा पदाधिकारी सुमन कुमार सिन्हा व अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

कुष्ठ रोगियों की देखभाल करने से नहीं होती कोई समस्या : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति पूरी तरह स्नेह एवं सेवा की भावना रखते थे। बापू ने कुष्ठ रोगियों की सेवा कर यह साबित किया कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा करने व उनकी देखरेख करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ निवारण दिवस पर सभी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा भेदभाव नहीं करने और उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली विकलांगता प्रमाण पत्र तथा पेंशन राशि दिलवाने में पूरी तरह मदद करने की शपथ ली गयी है।

कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से नहीं करें भेदभाव :

मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में डीपीएम स्वास्थ्य ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति से किसी को भी कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्ति को उनके नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए । ताकि उनका पूर्ण इलाज हो सके। लोगों को समाज में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कुष्ठ  रोग से प्रभावित था और उनका इलाज एम.डी.टी के माध्यम से हो चुका है तो उनके साथ घूमने, बैठने, खाने इत्यादि पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। लोगों को विकलांगतायुक्त कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से भेदभाव नहीं करते हुए उन्हें निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में मदद करनी चाहिए।

कीटाणु से होती है कुष्ठ रोग की बीमारी, पूर्ण इलाज है सम्भव:

जिला कुष्ठ रोग निवारण के अपर चिकित्सा सहायक सुमन कुमार सिन्हा ने बताया कि कुष्ठ का रोग एक कीटाणु से होता है जिसका नाम माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री है। इस बैक्टेरिया द्वारा रोगी की त्वचा पर स्पर्श करते हुए उन्हें संक्रमण का शिकार बना लिया जाता है। कुष्ठ  की पहचान बिल्कुल आसानी से हो सकती है। चमड़े पर किसी तरह का दाग या धब्बा जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती हो और यह निशान जन्म से ही नहीं हो तो यह कुष्ठ  रोग का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। कुष्ठ बीमारी का पूर्ण इलाज सम्भव है। समय से इलाज कराने से यह रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके इलाज के लिए एम.डी.टी. (मल्टी ड्रग थेरेपी) का उपयोग किया जाता है। एम.डी.टी. का पूरा खुराक नियमानुसार सेवन करने के बाद कोई भी कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति सामान्य इंसान जैसा हो सकता है। उपचार नहीं कराने से संक्रमित व्यक्ति अनेक लोगों में इसका संक्रमण फैला सकता है लेकिन कुष्ठ विकृतियुक्त व्यक्ति अगर इस बीमारी का इलाज करा चुके हैं तो उनसे यह संक्रमण नहीं फैलता है। इसलिए कुष्ठ के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए।

पूर्णिया में 194 व्यक्ति हैं कुष्ठ रोग के शिकार:

सुमन सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में जिले में 194 लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित हैं। इन सभी संक्रमित लोगों का नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में नियमित इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग के प्रारंभिक अवस्था में ही जांच पूरी करने पर लाभार्थियों को 650 रुपए व विकृत अवस्था में जांच पूरी करने पर लाभार्थियों को 850 रुपए सरकार द्वारा सहयोग राशि के तौर पर दिए जाते हैं।

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