राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक के अंदर सरकार द्वारा संचालित उडुपी जिले के फ्री यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर गर्ल्स से शुरू हुई हिजाब का मुद्दा आग की तरह पूरे भारत में फैलता जा रहा है जो कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से कम नहीं है कि हिजाब पहनने की एकमात्र आधार पर कॉलेज में प्रवेश से वंचित कर दिया गया यह कहते हुए कि छात्रों ने हिजाब पहनकर कॉलेज के ड्रेस कोड का उल्लंघन किया है जबकि भारत का संविधान राज्य के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने के अधिकार को संरक्षित करते हुए जब इसमें सार्वजनिक व्यवस्था नैतिकता और स्वास्थ्य से संबंधित कोई मुद्दा शामिल हो अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म को मानने अभ्यास करने और प्रचार करने के अधिकार की गारंटी देता है लेकिन जिस तरह से कॉलेज में छात्राओं को बाहर किया है वह न केवल उसके सहपाठियों के बीच बल्कि पूरे कॉलेज के बच्चों के बीच कलंक पैदा करता है जो बदले में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ छात्राओं के भविष्य की संभावनाओं को भी प्रभावित करेगा और जिस तरह से कॉलेज में छात्राओं के शिक्षा के अधिकार को धर्म के आधार पर बाधित कर दिया है यह दुर्भावना भेदभाव पूर्ण और राजनीति से प्रेरित है अगर हम संविधान के ऊपर गौर करेंगे तो यह मामला संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षण केवल सिद्धांत के मामलों तक सीमित नहीं है वह धर्म को आगे बढ़ाने के लिए किए गए कृतियों तक भी विस्तारित है और इसलिए उनमें अनुष्ठानों, समारोह और पूजा के तरीकों की गारंटी है जो धर्म का अभिन्न अंग है । धार्मिक निषेधाज्ञा के आधार पर महिलाओं के कपड़े चुनने का अधिकार अनुच्छेद 25(1)के तहत संरक्षित एक मौलिक अधिकार है। जब पोशाक का ऐसा तरीका धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है। हम हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मदद बनाम श्री के लक्ष्मण तीर्थ स्वामी श्री शिरूर मठ (1954 एस सी आर1005) पर भरोसा करते हैं जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हमारे संविधान में धर्म की स्वतंत्रता केवल धार्मिक विश्वासों तक ही सीमित नहीं है या धार्मिक प्रथाओं तक भी फैली हुई है वहीं अगर पवित्र कुरान की बात करें तो कुरान की आयतों में कहा गया है कि इस्लामी आस्था को मानने वाली महिलाओं से हिजाब पहनने की प्रथा को हटाने से इस्लामी धर्म के चरित्र में मूलभूत परिवर्तन होता है इस कारण से हिजाब पहनने की प्रथा इस्लाम का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग है तथा शरीयत महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए वादे करती है और इसलिए कॉलेज के परिसर के भीतर हिजाब प्रतिबंध लगाने में कॉलेज की करवाई धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के खिलाफ है जैसा कि अनुच्छेद 25(1 )के तहत प्रदान किया गया है अतः कर्नाटक की सरकार हिजाब पर प्रतिबंध लगाने से ज्यादा शिक्षा एवं रोजगार पर ध्यान अर्पित करें इससे सबका साथ सबका विकास का लक्ष्य पूरा कर सकेंगे।
लेखक – सैय्यद शहजाद अहमद मजहरी, छात्र नेता


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