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समाज में व्याप्त अंधविश्वास एवं कुरीतियों को समाप्त कर हीं मानवता में स्थापित होगी समानता

छपरा(सारण)। संत शिरोमणि रविदास की 646 वीं जयंती शहर से लेकर गांव टोला में धुमधाम से मनाया गया। ग्रामीण क्षेत्रों संत शिरोमणि की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना की गई। इस दौरान रविदास अनुयायियों ने तथागत बुद्ध, संत शिरोमणि रविदास एवं बाबा साहब डॉ. बीआर अंबेडकर के बताये मार्गो पर चलने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ में रैदास के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। वक्ताओं ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास एवं कुरीतियों को समाप्त कर हीं मानवता में समरसता की स्थापना की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि अनुसूचित जाति समुदाय के सभी लोग एकजुट होकर शिक्षा ग्रहण करें। अगर अनुसूचित जाति समुदाय के लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर संघर्ष करें, तब ही महापुरूषों के सपनों को साकार किया जा सकता है। वहीं पंचायत निकाय के भावी प्रत्याशी समाजसेवी सुधांशु रंजन ने कहा कि महापुरुषों के बताये मार्गो पर चलकर ही समाज में समानता लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि रविदास आजीवन समाज में अंधविश्वास, पाखंड एवं कुरीतियों को समाप्त करने के लिए संघर्ष करते रहे। इसलिए उन्होंने कहा है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। वहीं माकपा राज्य सचिव मंडल सदस्य अहमद अली ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे आजीवन समाज में समरता के लिए कार्य किया। अध्यात्म के बदौलत सामाजिक शोषण की प्रणाली को खत्म करने में अहम योगदान दिया, जिसके कारण संत रविदास गुरूओं के गुरू एवं शिरोमणि की पदवी दी गई। आज जरूरत है उनके उपदेशों का शपथ लेकर सामाज में समानता लाये।

कार्यक्रम को राजद विधायक सुरेन्द्र राम ने संत शिरोमणि की जयंती पुरे फरवरी माह तक मनाने की अपील की। और कहा कि देश में कुछ सतासीन लोग सत्ता का दुरूपयोग कर अनुसूचित जाति समुदाय के अधिकारों में कटौती कर रहे है, ताकि उन पर शोषण की प्रणाली की पुनरावृति की जा सके। जिसे कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा। कहा कि संत शिरोमणि हम सभी के लिए ईश्वर के समान है। समाज के लोग संगठित होकर गांव मुहल्ले में संत शिरोमणि रविदास की प्रतिमा स्थापित करें। ताकि आने वाली पीढ़ी उनके इतिहास को जानकर समरस समाज की स्थापना के लिए संगठित हो। उधर शहर के अंबेडकर स्मारक स्थल पर संत गुरू रविदास के तैल्य चित्र पर पुष्पांजली का श्रद्धासुमन अर्पित कियागया। गड़खा प्रखंड के मनोहर बसंत में धुमधाम से जयंती मनाया गया, जहां रविदास के अनुयायियों ने पूर्जा-अर्चना कर माल्यापर्ण किया। मौके पर वंशी राम, सोना देवी, गुड्‌डू कुमार राम, सुनिता देवी, कुमार सरोज राव, उषा देवी, विकास कुमार राम, ममता देवी, राजन कुमार राम, लिलावती देवी, सुबोध राम, नीरज राम, मिन्टू राम, विपिन राम, मनोहर कुमार राम सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।
अंबेडकर रविदास महासंघ के अध्यक्ष रामलाल राम, वरीय नेता शिवनाथ राम, श्रीभगवान राम, अमरनाथ राम, अधिवक्ता रामराज राम ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास एवं बाबा साहब के बताये उपदेशों के माध्यम से समाज को जागरूक कर सामाजिक समानता के लिए प्रेरित किया और कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा हथियार हो जो किसी भी ताले को खोल सकता है। वहीं राजद के जिलाउपाध्यक्ष कर्मवीर भारती ने कहा कि संत रविदास ने समाज में व्याप्त उच्च-नीच, भेदभाव को समाप्त करने के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे अध्यात्म के बदौलत सामाज में अंधविश्वास, पाखंड फैलाकर शोषण करने वाले के खिलाफ आवाज बुलंद किया। डॉ. कलिन्द्र राम, मनोहर राम, ललन राम, किशोर राम, जय किशुन राम, दशरथ राम, हरिभूषण राम, अरूण कुमार, सुनिल कुमार, लालबाबू कुमार, सोनू कुमार, भीम कुमार, आलोक कुमार, मुन्ना राम, आशुतोष कुमार सहित सैकड़ों लोगों ने संत शिरोमणि के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किया।
इसुआपुर के भकुड़ा भीठी निवासी बौद्ध भंते विक्रमा बौद्ध ने दर्जनों मढ़ौरा, बनियापुर, इसुआपुर सहित दर्जनों गांवों में जाकर बौद्ध पद्धति से संत शिरोमणि रैदास की जयंती पर पुजा-अर्जना कराया। साथ हीं संत शिरोमणि के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए लोगों अपील किया। उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि रविदास एवं तथागत बुद्ध के उपदेशों पर चलने के लिए संकल्प करावाया। इस दौरान कहा कि अनुसूचित जाति समाज के लोग शराब का सेवन नहीं करें, शिक्षित बनें, झुठ नहीं बोलें, गलत कार्य नहीं करें और गलत करने वाले का सहयोग नहीं करें तथा संगठित होकर अंधविश्वास, सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए संघर्ष करें, तब हीं सामाजिक समानता आ सकती है।