प्रो0 संजय पाण्डेय। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। आर एस ए के कार्यकर्ताओं के द्वारा चरणबद्ध आंदोलन के तहत आज तीसरे दिन विश्व विद्यालय कैंपस में आर एस ए के सह संयोजक विकाश सिंह सेंगर के नेतृत्व में विश्वविद्यालय कैंपस के मेन गेट पर प्रदर्शन किया गया। मालूम हो कि स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर सत्र 2018-20 एवं 2019- 21 का रिजल्ट प्रकाशन किया गया है ।जिसमें एक ही पेपरC C paper – 1 जानबूझकर प्रमोटेड कर दिया गया है। यू एम आई एस एवं विश्वविद्यालय के गड़बड़ी के कारण रिजल्ट में भारी गड़बड़ी हुई है। जिसके जांच को लेकर संगठन के कार्यकर्ताओं के द्वारा आंदोलन जारी है। लगातार आंदोलन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक कमेटी बनाई थी लेकिन कमेटी भी फॉर्मेलिटी के लिए बनाया गया है। कोई भी कार्रवाई नहीं किया जा रहा है। ।विश्वविद्यालय कैंपस में कुलपति के गेट पर 24 फरवरी एवं 25 फरवरी को भी संगठन के कार्यकर्ताओं के द्वारा आंदोलन प्रारंभ किया गया था। अपने गड़बड़ी को छिपाने के लिए नया नया तर्क दे रहे हैं। जिसे संगठन बर्दाश्त नहीं करेगी। जब तक पीड़ित छात्र- छात्राओं को न्याय नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। 1 वर्ष होने जा रहे हैं डीएसडब्ल्यू समेत कई महत्वपूर्ण पद खाली है। छात्र – छात्राओं को समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। कुलपति के इतने महीनों तक पावर सीज है। उसके बावजूद कुलपति महोदय कई नीतिगत निर्णय अवैध तरीके से ले रहे हैं या तो राजभवन ऐसे कुलपति को तुरंत हटा दें या इन पर उचित कार्रवाई करें। इस अवसर पर संगठन के संरक्षक विवेक कुमार विजय, प्रमंडलीय प्रभारी उज्जवल सिंह, नेता प्रशांत बजरंगी, विकास सिंह सेंगर, रुपेश यादव, गुलशन यादव मनीष कुमार सिंह समेत सैकड़ों छात्र- छात्राएं आंदोलन कर रही हैं। आंदोलनकारी छात्र- छात्राओं के द्वारा मेन गेट को बंद कर बाहर आंदोलन हो रहा है। अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई भी पदाधिकारी वार्ता करने के लिए नहीं आया है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा कुलपति को केवल मात्र एक ही काम बचा है छापास रोग से ग्रसित है। मीडिया में बने रहने के लिए चटपटे काम करते रहते हैं। धरातल पर कोई भी काम नहीं है। प्रवेश, पढ़ाई, परीक्षा, परिणाम चारों गड़बड़ है। यू एम आई एस पंजीयन में गड़बड़ी किया, प्रवेश पत्र जितनी बार निकाला उस में गड़बड़ी किया, पहली बार रिजल्ट का प्रकाशन किया है। उसमें भी भारी गड़बड़ी है। B.Ed का रिजल्ट होने के बाद भी अभी तक वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर सका। आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है। कुलपति को कि ऐसे कंपनी को करोड़ों रुपया दिया जा रहा है। गरीब छात्र- छात्राओं से पैसा वसूल कर छात्र- छात्राओं का कैरियर बर्बाद करने के अलावा इस कंपनी का कोई दूसरा काम ही नहीं। दबे जुबान से लोग आम चर्चा है शिक्षा जगत में कि यू एम आई एस कमीशन के रूप में विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को पैसा देता है। इस कारण गलती को विश्वविद्यालय प्रशासन नजरअंदाज करता है।


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