राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। जिला उर्दू भाषा कोषांग, सारण के द्वारा आज डीआरडीए के सभागार में फरोग-ए-उर्दू- सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। समारोह का उद्घाटन सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा एवं पुलिस अधीक्षक सारण संतोष कुमार के द्वार संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर आगत अतिथियों का स्वागत भाषण करते हुए सारण के जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी रजनीश कुमार राय ने कहा कि उर्दू बोलचाल की आम जुबान की भाषा है, सरकार द्वारा भी उर्दू के विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने उर्दू भाषा की विकास पर बल देने की आवश्यकता जतायी।
जिलाधिकारी के द्वारा फरोग-ए-उर्दू- सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि उर्दू अदब की जुबान है, उर्दू मीठी जुबान है, उर्दू की झलक सभी भाषाओं में देखने को मिलती है। उर्दू भाषा गंगा जमुनी की तहजीब को दर्शाता है। डीआरडीए के सभागार में आयोजित फरोग-ए-उर्दू- सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा कि उर्दू भाषा देश की खूबसूरती है, हमारे देश में अनेकों भाषाएं संस्कृति हैं जिसमें उर्दू का बड़ा योगदान है। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि उर्दू भाषा का समावेश सभी भाषाओं में मिलती है। उर्दू भाषा हमें गंगा जमुनी तहजीब को दर्शाता है। डीएम ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि उर्दू पर ज्यादा कहने की जरूरत नहीं है इतिहास संस्कृति में बखूबी इसका उल्लेख है। उन्होंने संबोधित करते हुए उर्दू भाषा के विकास के लिए प्रचार-प्रसार की आवश्यकता जताई। उन्होंने अपने संबोधन में ही यह भी कहा कि बिहार सरकार के उर्दू निदेशालय द्वारा हर साल इस तरह का कार्यक्रम आयोजन होता है जिससे उर्दू के विकास में बड़ी मदद मिलती है। इस तरह के आयोजन से उर्दू भाषा को बढ़ावा मिलता है। जिलाधिकारी ने एक दूसरे की भाषा को सम्मान करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे हमारा कल्चर ठीक होने में मदद मिलती है।
पुलिस अधीक्षक सारण संतोष कुमार के द्वारा फरोग- ए- उर्दू- सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि उर्दू को राज्य का द्वितीय भाषा के रूप में दर्जा प्राप्त है। इस तरह के आयोजन से उर्दू के विकास को निश्चय ही बढ़ावा मिलता है। भारतीय संस्कृति की यही परंपरा है कि हर भाषा के लोग एक साथ रहते हैं। जो समाज को खूबसूरत बनाता है। मुशायरा को संबोधित करते हुए एसपी ने यह भी कहा कि अनेकता में एकता की परंपरा सदियों से चली आ रही है इसी परंपरा का आगे बढ़ाने के लिए हम सब को प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि उर्दू शुद्ध भारतीय भाषा है जो यही जन्म लेता है उसकी परिभाषा नहीं होती है, यह एक ऐसी भाषा है जिसका समावेश सभी भाषाओं में देखने को मिलता है, सभी के मिश्रण से यह बना है, जो बेहद ही सुंदर भाषा है जिसका नाम है उर्दू। इस अवसर पर मुशायरा का भी आयोजन किया गया था जिसमें दर्जनों से अधिक शायरों ने अपने-अपने शायरी के माध्यम से लोगों को हसने पर मजबूर कर दिया। मंच संचालन नदीम अहमद ने अपने शायराना अंदाज में किया।


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