राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

गर्भावस्था से ले बच्चे के जीवन का प्रथम दो वर्ष पोषित और स्वस्थ्य रहा तो मजबूत रहेगा उसका भविष्य

  • जीविका द्वारा परिवारिक आहार विविधता अभियान पर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
  • गर्भवती व धात्री माताओं , 0 से 23 माह के बच्चे वाली माताएं तथा बच्चों को इस अभियान में किया जायेगा शामिल:

मधेपुरा (बिहार)। बच्चों के पोषण के लिए जरूरी विविधतापूर्ण आहार की कमी एक आम समस्या है, जो सिर्फ गरीब आबादी तक सीमित नहीं है। गरीब परिवारों में आहार में विविधता की कमी का कारण गुणवत्तापूर्णखाद्य पदार्थों को खरीदने और उनका उपभोग करने में सक्षम न होने की कठिनाई हो सकती है। जबकि, शिक्षित एवं आर्थिक रूप से समृद्ध परिवारों में इस कमी का कारण जागरूकता के अभाव को दर्शाता है। केवल मां या अभिभावकों की शिक्षा का स्तर ही बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। कुपोषण की स्थिति को देखते हुए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाकर आहार और पोषक तत्वों से संबंधित सटीक जानकारी देना अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। उपरोक्त बातों की चर्चा सोमवार को जीविका कार्यालय मधेपुरा में परिवारिक आहार विविधता अभियान पर आयोजित एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में की गयी। परिवारिक आहार विविधता अभियान पर आयोजित एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का उद्घाटन जिला परियोजना प्रबंधक अनोज कुमार पोद्दार एवम स्वास्थ्य एवम पोषण प्रबंधक विवेक कुमार के द्वारा किया गया। कार्यशाला में सभी प्रखंडो के प्रखंड परियोजना प्रबंधक एवम प्रखंड के स्वास्थ्य एवम पोषण के प्रखंड नोडल ने भाग लिया। कार्यक्रम में पी सी आई के प्रशिक्षक पंचदेव पाठक द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई।

गर्भवती व धात्री माताओं ,0 से 23 माह के बच्चे वाली माताएं तथा बच्चों को इस अभियान में किया जायेगा शामिल:

कार्यशाला में जानकारी दी गई कि पारिवारिक स्तर पर भोजन में आहार विविधता अपनाकर गर्भवती महिला, धात्री माता तथा 6 से 23 माह तक के बच्चों में कुपोषण को कम करने के साथ ही वयस्कों एवम बच्चों में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाना है। इस अभियान के अंतर्गत सर्वप्रथम लक्षित परिवारों की सूची तैयार कर उनके घर घर जाकर आहार विविधता के फायदे के बारे में जानकारी दी जाएगी। जीविका की तकनीकी सहयोगी पार्टनर पी.सी.आई. के पंचदेव पाठक ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को पूरे अभियान में की जानेवाली गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की | बताया कि इस अभियान का संचालन सामुदायिक समन्वयकों के द्वारा किया जाएगा एवं इसकी रिपोर्टिंग प्रखंड स्तर से राज्य स्तर तक की जाएगी।

गर्भवती व धात्री माताओं तथा बच्चों के भोजन में सुनिश्चित करें विविधता:

स्वास्थ्य एवम पोषण प्रबंधक विवेक कुमार ने बताया कि कार्यशाला में बताया गया कि गर्भवती व धात्री माताओं तथा बच्चे के भोजन में विविधता लाने के लिए परिवारों को मदद करने के तीन नियम हैं: घर में पका हर प्रकार का भोजन थोड़ा-थोड़ा खिलाने की सलाह दें। ऐसी किसी भी चीज की सलाह न दें जो घर में उपलब्ध न हो। किसी भी समय गर्भवती व धात्री माताओं तथा बच्चे को खिलाते समय उसके खाने में नीचे लिखी चीजों में से कम से कम चार प्रकार की वस्तुएँ होनी चाहिए: रोटी या चावल, दाल, तेल या घी, पीले/नारंगी रंग की सब्जियाँ व फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध या दही, अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ (पशु स्रोत से)। बच्चों के मामलों में जैसे-जैसे बच्चे के दांत आने लगे और वह खाना चबाने लगे तो उसे कम मुलायम खाना भी दिया जा सकता है।

किस उम्र में बच्चे के भोजन में बढ़ाई जा सकती है विविधता:

स्वास्थ्य एवम पोषण प्रबंधक विवेक कुमार ने बताया कि छ: माह के बाद किसी भी प्रकार का मुलायम खाना बच्चे आसानी से पचा सकते हैं। छ: माह के बाद जितनी जल्दी बच्चे को अलग-अलग प्रकार का खाना खिलाया जाए उतनी जल्दी वो खाना खाना सीख लेता है। एक साल का होने तक बच्चे सभी प्रकार का खाना चबाना और खाना सीख लेते हैं। ज्यादातर परिवार छः माह के बच्चे को दाल, चावल या खिचड़ी या दाल में रोटी को मसल कर शुरूआत करने के लिए तैयार होते हैं। अगर खाना मुलायम हो और तीखा नहीं हो तो बच्चे थोड़ा-थोड़ा खाना पहले कुछ दिनों में ही सीख जाते हैं। ऐसा खाना बच्चे को दिन में दो से तीन बार देना चाहिए।

You may have missed