संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। सड़क पर यातायात के दौरान आये दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओ के आकड़े दिन- प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जिसको कम करने के उद्देश्य से कभी सड़क सुरक्षा सप्ताह तो कभी पुलिस सप्ताह के तहत अलग- अलग कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जाता है। मगर प्रशासनिक स्तर पर सख्ती बरतने में कोताही की वजह से वाहन चालको में सड़क सुरक्षा सप्ताह एवं पुलिस सप्ताह का कुछ खासा असर नहीं दिख रहा है। यातायात नियमों को सख्ती से पालन करने को लेकर जिला प्रशासन ने कई दिशा- निर्देश जारी किये है। मसलन वाहनों को गति सीमा के अंदर चलाना, वाहन चलाते समय मोबाईल पर बात न करना, बस की छतों पर यात्रियों को न बिठाना, दो पहिया वाहन चालकों को अनिवार्य रूप से हेलमेट का उपयोग करना आदि। बावजूद इसके सड़कों पर जमकर यातायात नियमों की धज्जियाँ उड़ रही है और प्रशासन मूकदर्शक की भूमिका में नजर आ रही है। प्रशासनिक सख्ती का भय नहीं होने की वजह से वाहन चालको द्वारा बड़े वाहनों की छतो पर एवं वाहन के अंदर क्षमता से अधिक यात्रियो को बिठाकर बे रोक- टोक परिचालन किया जा रहा है। कई बार छत पर सवार यात्रियों को बिधुत तार की चपेट में आने और पेड़ो की टहनियों से टकराने की वजह से जान तक गवानी पड़ी है।मगर अब भी स्थिति में आसा के अनुरूप सुधार नहीं हो सका है। वहीं दो पहिया वाहन चालकों द्वारा भी निर्धारित गति सीमा से काफी तेज गति से वाहन चलाये जाने से सायकल सवार एवं पैदल यात्रियो में हर समय दुर्घटना का भय बना रहता है। साथ ही एक ही बाइक पर दो लोग सवार होने के बजाय तीन से चार लोग बैठकर बगैर हेलमेट लगाये आसानी से घूमते रहते है जो यातायात नियमों को मुँह चिढ़ाता नजर आता है। वहीं मालवाहक गाड़ियां भी ओवरलोडेड माल लादकर परिचालन करते है। जिस वजह से चालक कई बार अनियंत्रित हो स्वयं अथवा दूसरे को अपने चपेट में ले दुर्घटना के शिकार बनाते है। वहीं कई चालक नशे के हालत में भी वाहनों को चलाते है। जो दुर्घटना को निमंत्रण देते है। हालाँकि समय-समय पर स्थानीय पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग अभियान चलाकर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों के वाहन का चालान भी काटा जाता है। मगर यातायात नियमो में सुधार होते नजर नहीं आ रहे हैं। दुपहिया वाहनों पर चलने वाले लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। आकड़ों पर गौर करे तो स्थिति साफ नजर आती है कि सड़क हादसों में सबसे ज़्यादा जान गंवाने वाले दुपहिया वाहनों पर चलने वाले लोग ही होते हैं।
दो दशक पुराने खटारा वाहन भी सड़क पर।
व्यवसायिक वाहनों के साथ- साथ छोटी-बड़ी निजी खटारा वाहन भी काफी संख्या में सड़कों पर फर्राटा भरते है। बताया जाता है कि इन वाहनों के फिटनेस व प्रदूषण का सर्टिफिकेट तो दूर इन वाहनों में अधिकांश का कोई कागज आदि भी नहीं है। इन खटारा वाहनों में सबसे अधिक ट्रैक्टर, जीप, स्कूटर व बाइक है।जिनकी वजह से भी दुर्घटनाएं होती रहती है। जब-जब वाहनों की चेकिंग शुरू होती है, तब- तब वाहन चालक अपने वाहनों को गैरेज में छिपाकर रख देते है। चेकिंग समाप्त होने के बाद फिर से इनके वाहन सड़क पर दौड़ने लगते है।
मजबूरी में लोग करते खटारा वाहनों पर सफर।
खटारा वाहनों पर सफर जानलेवा होने के बाद भी जोखिम लेकर लोग सफर करने को मजबूर है। यह खटारा वाहन खासकर ग्रामीण इलाकों के रूट पर चलते है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की बात तो दूर शहरी क्षेत्रों में भी जुगाड़ वाहन चल रहे है। बताया जाता है कि इंजन के सहारे ठेला गाड़ी, टै्रक्टर के सहारे बैलगाड़ी पर भी सवारियों को ढोया जा रहा है। लेकिन, उसपर रोक लगाने की जहमत कोई नही उठा रहा है।
ओवलोडिंग के कारण भी होती है दुर्घटनाएं।
तेज रफ्तार व ओवरलोडिंग के कारण भी सड़क हादसे होते रहते है। लेकिन परिवहन विभाग इसपर भी रोक लगाने में असफल रहा है। ओवरलोडिंग के कारण वाहन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं। जिसकी चपेट में आकर राहगीरों की भी जान चली जाती है। कई बसों के छतों पर भी लोग बैठे नजर आते हैं।
गलत ओवरटेकिंग के कारण होते सबसे अधिक हादसे।
आगे निकलने की होड़ में वाहन चालक हमेशा गलत लेन से ओवरटेक करते है। इस कारण आए दिन हादसे हो रहे है। इसका सबसे बड़ा कारण चालकों को परिवहन नियमों की माकूल जानकारी नही होना है। परिवहन नियमों की जानकारों की माने तो दुर्घटना में कमी लाने के लिये विभागीय स्तर पर वाहन चालको को समुचित प्रशिक्षण देने के बाद ही सड़क पर वाहन चलाने की लाइसेंस निर्गत होनी चाहिये। दो दिनों पूर्व बनियापुर मुख्य बाजार पर ट्रक चालक द्वारा गलत ढंग से ओवरटेक नहीं किया जाता तो 22 वर्षीय छात्र अभिषेक की जान नहीं जाती और आज वह अपने परिवार के साथ रहता।लेकिन ट्रक चालक की लापरवाही ने अभिषेक के परिवार की खुशियां ही छीन लिया।
जर्जर और खराब सड़कें भी है, दुर्घटना का कारण।
जर्जर और खराब सड़के भी दुर्घटनाओं का एक अहम कारण है। सड़क खराब होने से मतलब केवल सड़क पर गड्ढे होना ही नही है। बल्कि सड़क का डिजाइन भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। सड़क निर्माण कार्य ठेकेदारों द्वारा कराई जाती है। गुणवत्तापूर्ण कार्य नही होने से सड़क समय से पूर्व ही जर्जर हो जाती है। साथ ही मेंटेनेंस के दौरान भी सिर्फ खानापूर्ति ही होती है। जिस वजह से लोगों का सड़को पर चलना दूभर हो जाता है।साथ ही दुर्घटनाओं की भी संख्या बढ़ जाती है। एनएच 331 पर जलालपुर से लेकर कोल्लूआ तक कि स्थिति काफी जर्जर हो गई है। जिसपर आये दिन दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है। जबकि कुछ ही दिनों पूर्व इसकी मेंटेनेंस होने की बात बताई जा रही है।
अप्रशिक्षित चालक भी है,सड़क दुर्घटना के मुख्य कारण।
आये दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण अप्रशिक्षित चालक भी बताए जाते है बिना कोई परीक्षा पास किये ही ज्यादातर चालक जुगाड़ तकनीक के सहारे लाइसेंस निर्गत करा लेते है। जिसके बाद सड़को पर गाड़िया दौराने लगते है। इस बीच अनुभव के अभाव में स्वयं अथवा दूसरे को दुर्घटना का शिकार बनाते रहते है। विभागीय नियमों के अनुसार जब तक आप स्वयं जा कर अपना पेपर नही देंगे और आप ट्रायल में पास नही होंगे तब तक आपको ड्राविंग लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। मगर जुगाड़ के सहारे ज्यादातर लोग नियमों के पालन किये बिना ही लाइसेंस बनवाने में सफल हो जाते है।


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