राष्ट्रनायक न्यूज

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चमकी बुखार से बचाव के लिए बच्चों को रात में अच्छी तरह खिलायें भोजन:

  • रात में बच्चों की करें निगरानी, चमकी आने पर नजदीकी अस्पताल ले जायें:
  • प्रखंडस्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर 2 बेड  की व्यवस्था:

गया  (बिहार)। जिला में  जूलाई से अक्टूबर के मध्य एईएस (चमकी बुखार) के व्यापक प्रभाव को देखते हुए ​स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक तैयारियां की गयी हैं। इसके मद्देनजर प्रखंड स्तरीय सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दो बेड वाले तथा जिला सदर अस्पताल में चार बेड की विशेष वयवस्था की गयी है। साथ ही लोगों में इस रोग से बचाव के प्रति जनजागरूकता लायी जा रही है। चमकी बुखार की रोकथाम के लिए चिकित्सा पदाधिकारियों, जीएनएम तथा फार्मासिस्टों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा मौजूद है। वहीं 29 मार्च को इस रोग की रोकथाम व बचाव संबंधी  स्वास्थ्यकर्मियों की जिलास्तरीय प्रशि​क्षण कार्यशाला का आयोजन हादी हाशमी स्कूल सभागार में किया जायेगा।

चमकी के लक्षणों की रखें जानकारी, बच्चों को भूखा नहीं सोने दें:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया वैसे क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है जहां इस रोग की अधिक संभावना है। वहां लोगों को चमकी रोग के बारे में जानकारी दी जा रही है। रोग के बारे में बताया कि मस्तिष्क ज्वर या आमबोलचाल की भाषा में चमकी बुखार कहा जाने वाला यह रोग अधिकतर छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चे को प्रभावित करता है। चमकी के साथ तेज बुखार, सिरदर्द तथा अर्ध या पूर्ण बेहोशी इसके लक्षण हैं। उन्होंने बताया आमजन में आशा, आंगनबाड़ी सेविका, पंचायती राज जनप्रतिनिधि सहित प्रखंडस्तरीय स्वास्थ्यकर्मियों के माध्यम से इस बात की जानकारी दी जा रही है कि बच्चों को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलायें। साथ ही उन्हें भोजन में मीठा भी दें। रात में बीच बीच में इस बात की जांच करते रहें कि कही बच्चा बेहोश तो नहीं है अथवा उसे चमकी तो नहीं आया हे।  बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा दीदी को सूचित कर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें। बताया कि रोग की रोकथाम को लेकर मगध मेडिकल कॉलेज में भी 15 बेड का पीकू वार्ड बनाया गया है।  रोगियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 104 एंबुलेंस की सुविधा मौजूद रहेगी ​जो पूरी तरह नि:शुल्क है। बताया की सुवर पालन करने वाले सुवर बाड़ा को घर से दूर रखें.

बचाव के लिए जरूरी सावधानियां:

  • बच्चे बेवजह धूप में घर से न निकलें,
  • गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें.
  • ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें.
  • रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं.
  • बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें.
  • पारासिटामोल की गोली या सिरप दें.