राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। 28-29 मार्च को देश का नजा़रा ही कुछ और था। हर जगह मजदूर हाथों में लाल झंडा थामें सड़कों पे नज़र आ रहे थे।चाहे वो विभिन्न कार्यालयों के हों, कारखानों या खेतों में काम करने वाले मजदूर हों, सभी कंधे से कंधा मिलाए व मुठ्ठियाँ ताने हुए दिखाई पड़ते थे। छात्र नौजवान भी कब पीछे रहने वाले हैं! वो भी मजदूरों के साथ अपनी आवाज बुलन्द कर रहे थे। सिर्फ एक नहीं था। भारतीय मजदूर संघ।रहे भी कैसे! भाजपा-आर एस एस का नमक खाने वाला जो ठहरा।हड़ताली मजदूर संगठनों का, आइए, क्रांतिकारी अभिनन्दन करें, क्योंकि इनकी हड़ताल देश बचाने की खातिर एक संघर्ष थी। न केवल निजीकरण, श्रम कानूनों में बदलाव,छंटनी, पब्लिक सेक्टर की बिक्री, एसमा, एडमा के साथ अन्य मजदूर विरोधी मोदी सरकार की नीति के विरुद्ध थी यह हड़ताल, बल्कि मंहगाई, बेरोजगारी, पेट्रोलियम एंव रसोई गैस आदि की मुल्य वृद्धि का विरोध भी इनके ऐजेंडों में शामिल था। इनकी सारी माँगे आम जनता से जुडी़ हुई थी। यही कारण है कि जनता के विशाल हिस्सों का इन्हें समर्थन मिल रहा था।
आज देश जिस दोरहे पर खडा़ है, भविष्य काला दिखाई देता है। सरकार सिर्फ और सिर्फ कार्पोरेटों की तिजोरियाँ भरने में मशगुल है, इधर आम आदमी का जीना मुश्किल होता जा रहा है। कार्पोरेट टैक्स 2016 में ही 30% से घटा कर 22% कर दिया गया।नये उद्योगों के लिये टैक्स तो और नीचे कर 15% कर दिया गया। इस सब की भरपाई सरकार मजदूरों का पेंशन, जो बूढ़ापे का सहारा होता है, उसे खत्म कर और जीवन यापन की हर वस्तु को मंहगी कर के पूरा कर रही है। ऐसी जनविरोधी सरकार आजादी के बाद पहली है जिसकी नितियाँ बच्चा से लेकर बुढो़ं तक सभी के खून की प्यासी हैं। सरकार का पूरा तंत्र और भाजपा की पूरी टीम आज काश्मीर फाइल्स के प्रमोशान में व्यस्त है।जो अर्ध सत्य और नफरत की बीज बोने वाली फिल्म है।ऐसे समय में देश का मजदूर- किसान वर्ग देश की हिफाजत के लिये संग्राम छेडे़ हुए है।सचमुच यही मजदूर- किसान वर्ग देश को बचायेगा।तो आइए हम सभी इनके पीछे लामबन्द हो जांय।
देखो चौराहे पे गुस्से का भयानक आलम।
मुठ्ठियाँ तन रही हवा में और तन जाने दो।।
जो बगावत के लिये हो रहे हैं सफआरा।
उनकी आवाज़ सुनो हर कदम पे शाने दो।।
एक नयी सुबह और नयी रौशनी के लिये।
ढल रही काली शब ढ़ल जाने दो,ढ़ल जाने दो।।
लेखक- अहमद अली


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