राष्ट्रनायक न्यूज

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बनियापुर के कई जगहों प्रभु श्री राम की निकली भव्य शोभायात्रा

संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।

बनियापुर (सारण)। रविवार को प्रखंड के प्रायः सभी इलाकों में रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बिगत दो वर्षो से कोरोना महामारी को लेकर लोग रामनवमी के पर्व हर्षोल्लास से नहीं मना रहे थे। मगर कोरोना की रफ़्तार थमने के बाद सरकारी पाबंदियों से मुक्ति मिलने पर इसबार लोगों ने पूरे दमखम के साथ प्रभु श्रीराम का जन्मदिवस मनाया। इस दौरान कई जगहों पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें भगवा ध्वजों के बीच आगे- आगे प्रभु श्रीराम और पीछे- पीछे आस्था का सैलाब उमड़ा। पूरा प्रखंड राममय नजर आया।मर्यादा पुरुषोत्तम के स्वागत को घर- घर दीप प्रज्ज्वलित किए गए।वही कई जगहों पर अष्टयाम का भी आयोजन किया गया।

राम नवमी का इतिहास

रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थी।कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। विवाह को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि श्रृंग से यज्ञ करने की विनती की। महर्षि ने दशरथ की विनती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी।इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गई। नौ माह बाद चैत्र मास में शुक्लपक्ष के नवमी तिथि को राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया।भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म लिया। इसी दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

दशरथ के घर अयोध्या में ही क्यों जन्मे राम।

अयोध्या का अर्थ है अ+युद्ध, मतलब वो स्थान जहां युद्ध न होता हो, जो शांति की भूमि हो,और दशरथ का अर्थ है, जो दस घोड़ों के रथ पर सवार हो।दस घोड़ों वाला रथ सिर्फ धर्म का है,अध्यात्म कहता है धर्म के दस अंग हैं, ये दस अंग ही धर्म को चलाते हैं। ये दस अंग है धैर्य, क्षमा, संयम, अस्तेय (चोरी न करना), पवित्रता, इंद्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और अक्रोध। तो जहां शांति और धर्म हो, वहां राम जरूर जन्म लेते हैं।

राम का अर्थ क्या?

राम शब्द जितना छोटा है, इसकी व्याख्या उतनी ही विस्तृत है। पुराण कहते हैं “रमंते सर्वत्र इति रामः” अर्थात जो सब जगह व्याप्त है वो राम है।संस्कृत व्याकरण और शब्द कोष कहता है “रमंते” का अर्थ है राम, अर्थात जो सुंदर है, दर्शनीय है वो राम है। मनोज्ञ शब्द को भी राम से जोड़ा जाता है। मनोज्ञ का अर्थ है मन को जानने वाला। हिंदी व्याख्याकार राम का अर्थ बताते हैं जो आनंद देने वाला हो, संतुष्टि देने वाला हो।

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