आने में मिलेंगे
जाने में मिलेंगे
ऐ दोस्त दोस्ती के
हर जमाने में मिलेंगे
तू मुकद्दर है मेरा
हू मै तेरा साया
तेरे लफ्जो के
हर फसाने में मिलेंगे
ऐ दोस्त दोस्ती के
हर जमाने में मिलेंगे
मेरे आँखों में तू है
मेरे साँसो मे तू है
ज़िन्दगी के हर एक
तराने में मिलेंगे
ऐ दोस्त दोस्ती के
हर जमाने में मिलेंगे
तू ही जीत मेरी
तू ही हार भी है
हर जीत हार के हम
चौमुहाने पर मिलेंगे
ऐ दोस्त दोस्ती के हर जमाने में मिलेंगे।
लेखक:- सूर्येश प्रसाद निर्मल


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