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विश्व मलेरिया दिवस पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने ली जिला को मलेरिया मुक्त बनाने की शपथ

  • हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है ‘विश्व मलेरिया दिवस’
  • एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया
  • गंदे पानी में उपजता है एनोफिलीज मच्छर का लार्वा
  • मलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जाता है छिड़काव अभियान

पूर्णिया (बिहार)विश्व मलेरिया दिवस पर सोमवार को जिले के सभी स्वास्थ्य कार्यालय व अस्पतालों में सभी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा मलेरिया मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिए शपथ ली गई। इस दौरान सभी अधिकारियों द्वारा जिले के सभी सामान्य लोगों को मलेरिया के लिए जागरूक करने के साथ ही मलेरिया ग्रसित मरीजों को आवश्यक उपचार उपलब्ध कराने का प्रण लिया गया। इसके अलावा विश्व मलेरिया दिवस पर जिले में स्कूली बच्चों द्वारा भी जागरूकता रैली निकाली गई। जिसमें पोस्टर के माध्यम से लोगों को मलेरिया से सुरक्षित रहने की जानकारी दी गई।

हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है ‘विश्व मलेरिया दिवस’ :

सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया कि पहले अफ्रीका में मलेरिया संक्रमित मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण वहां इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मलेरिया दिवस मनाया जाता था। अफ्रीका के अलावा अन्य देशों में भी मलेरिया के मरीज होने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा 2007 से इसे पूरे विश्व में मनाए जाने की शुरुआत की गई। तब से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें सभी लोगों को इस बीमारी से सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाता है। जानकारी हो कि इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस का थीम ‘मलेरिया रोग को कम करने और जीवन को बचाने के लिए नवाचार रखा गया है।

एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया :

जिला मलेरिया रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया कि मलेरिया की बीमारी लोगों को एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती,जो एक मादा मच्छर है। इस मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम नाम का परजीवी मनुष्य के शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है जो मलेरिया का कारण बनता है। मनुष्य में इस मच्छर के काटने के सात दिन के अंदर लक्षण दिखाई देने लगते हैं जिसके तुरंत बाद उसे आवश्यक इलाज की आवश्यकता होती है। समय पर पर्याप्त इलाज कराने से मनुष्य स्वस्थ्य हो सकते हैं।

गंदे पानी में उपजता है एनोफिलिज मच्छर का लार्वा :

भीडीसीओ रवि नंदन सिंह ने बताया कि एनोफिलिज मच्छर ज्यादातर घर के आसपास फैले गंदे पानी में पाया जाता है। पानी के ज्यादा दूषित होने पर इसके लार्वा में बढ़ोतरी की सम्भावना ज्यादा होती है। इस बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को अपने घर के आसपास गंदे पानी को इकट्ठा होने से रोकना चाहिए। अगर घर के आसपास ऐसे गंदे पानी की समस्या है लोगों को बचाव के लिए उसमें केरोसिन के तेल डाल देना चाहिए। ऐसा करने से पानी के ऊपर एक लेयर बन जाता है जिससे लार्वा को ऑक्सीजन मिलने में समस्या होती है और वह नष्ट हो जाता है। इसके अलावा लोगों को मलेरिया से सुरक्षा के लिए नियमित रूप से मच्छरदानी का उपयोग भी करना चाहिए।

ये हैं मलेरिया के लक्षण :

  • सर्दी व कंपन के साथ बुखार का आना
  • तेज बुखार, उल्टी, सरदर्द व चक्कर आना
  • बुखार उतरते समय शरीर में अत्यधिक पसीना आना
  • एक दिन के अंतराल पर नियमित बुखार का आना

मलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जाता है छिड़काव अभियान :

जिला मलेरिया रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया कि जिले में मलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से आवश्यक छिड़काव अभियान चलाया जाता है जिससे कि घरों के आसपास उत्पन्न एनोफिलिज मच्छर को नष्ट किया जा सके। लोगों को भी इससे सुरक्षा के लिए अपने घरों के आसपास साफ-सफाई का पूरी तरह से खयाल रखना चाहिए।