- सामाजिक आधार पर अनुसूचित जाति को मिले 25 फीसद आरक्षण: शिवचन्द्र
- अनुसूचित जाति-जानजाति आयोग का गठन व स्नातक, शिक्षक एवं पंचायत निकाय एमएलसी चुनाव में आरक्षण की उठी मांग
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। संविधान निर्माता, भारत रत्न बाबा साहब डॉ. बीआर अंबेडकर की 131वीं जयंती सह दलित सम्मान सम्मेलन का आयोजन अंबेडकर रविदास महासंघ के तत्वाधान में शहर के एकता भवन में धुमधाम से किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत बाबा साहब के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण के साथ-साथ बौद्ध वंदना बुद्धम् शरण गच्छामी, धम्म् शरणम्, संघम शरणम्थ गच्छामी के सामुहिक उच्चारण से शुरू किया गया। इसके बाद समारोह में उपस्थित मढ़ौरा के राजद विधायक जितेन्द्र कुमार राय, गड़खा विधायक सुरेन्द्र राम, एमएलसी के पूर्व प्रत्याशी सुधांशु रंजन, जिप अध्यक्ष प्रतिनिधि अमरनाथ राय, बसपा सचिव राजेश्वर राम, अधिवक्ता रामराज राम, रामलाल राम, सेवानिवृत शिक्षक शिवनाथ राम, श्रीभगवान राम विकास मित्र अध्यक्ष कृष्णा राम, कर्मवीर भारती, राजदेव राम सहित दर्जनों लोगों ने बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। फिर दीप एवं मोमबत्ती जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के शुरूआत में अंबेडकर रविदास संघ के प्रतिनिधि मंडल ने सामाजिक समरता लाने के लिए 11 सूत्री मांगों को रखा। कहा कि अनुसूचित जाति समाज के लोगों को अभी भी सम्मान जनक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। विधान परिषद के स्नातक निर्वाचन, शिक्षक निर्वाचन एवं पंचायत निर्वाचन क्षेत्र से बिहार में अनुसूचित जाति-जनजाति को आरक्षण नहीं दिया गया है। बिहार में वर्ष 2014 से अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग को भंग करके रखा गया है। जिससे दलितों की आवाज को दबाने का कार्य किया जा रहा है। साथ हीं प्राईवेट सेक्टर में भी आरक्षण के प्रावधानों को लागू करने की मांग किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं बाबा साहब के बताये मार्गों पर चलने का संकल्प लिया। और कहा कि भारतीय संविधान में सभी वर्गो को समान अधिकार प्राप्त है लेकिन आज भी अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों के साथ जातीय भेदभाव कर संविधान के मूल भावन को ठेस पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। ऐसा प्रतित हो रहा है कि संविधान के साथ चिरहरण किया जा रहा है और सामज का प्रतिनिधित्व कर रहे नेता, प्रणेता मुकदर्शक बने हुए है। जिससे आज भी समाज में दलित, शोषित एवं समाज से दरकिनार कर दिये गये लोगों के बराबरी का दर्जा नहीं मिल पाया है। जिला परिषद अध्यक्ष के प्रतिनिधि अमरनाथ राय ने कहा कि बाबा साहब उपदेशों को बताते हुए कहा की अनुसूचित जाति समाज के लोग शराब का सेवन नहीं करें, शिक्षित बनें, झुठ नहीं बोलें, गलत कार्य नहीं करें और गलत करने वाले का सहयोग नहीं करें तथा संगठित होकर अंधविश्वास, सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए संघर्ष करें, तब हीं सामाजिक समानता आ सकती है। कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा हथियार हो जो किसी भी ताले को खोल सकता है।
सामाजिक आधार पर अनुसूचित जाति को मिले 25 फीसद आरक्षण: शिवचन्द्र
दलित सम्मान सम्मेलन सह अंबेडकर जयंती के मुख्य वक्ता बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम ने कहा कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास कुरीतियों व असमानता की खाई पाटने में बाबा साहब का अहम योगदान है। आज जरूरत है कि डॉ. अंबेडकर के मार्ग पर चलकर समाज में समानता और भाईचारा लाया जाए। इसके लिए युवाओं को शिक्षित होकर मानसिक बदलाव लाना होगा। बिहार के विध्वंसकारी ताकते अनुसूचित जाति समुदाय को कमजोर करने के लिए फुट डालों शाषण्र करो की नियत से जातिवाद की निव डाल रहे है। ताकि अनुसूचित जाति समुदाय में विभेद पैदा कर संविधान में बदलाव कर आरक्षण के प्रावधानों को बदला जा सके। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया गया है, जबकि संविधान में सामाजिक एवं जाति आधार पर आरक्षण का प्रावधान है। जिसे बदलने का कार्य किया गया है। उन्होंने अनुसूचित जाति को सामाजिक एवं जाति आधार पर 25 फीसद आरक्षण की मांग किया है। ताकि दलितों को समुचित विकास हो सके। उन्होंने दलित समाज के लोगों से अपील करते हुए नारा दिया कि आधी रोटी खाएंगे, अपने बच्चों पढ़ाएंगे,आधी रोटी खाएंगे नशामुक्त समाज बनाएंगे, आधी रोटी खाएंगे अपने अधिकार के लिए संघर्ष करेंगे। पूर्व मंत्री श्री राम ने कहा कि समाजिक असमानता और कुरीतियों को समाप्त करने के लिए शिक्षा जरूरी है। इसलिए अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को शिक्षित करें और युवाओं को उच्च शिक्षा दिलाये। साथ हीं अपने महापुरूषों द्वारा किये संर्घषों को भी बताने का कार्य करें। ताकि शिक्षित होकर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो सके। उन्होंने कहा कि लोकसभा, विधान सभा चुनाव के दौरान अनुसूचित जाति समुदाय के लोग संगठित होकर अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो मतदान करें। जिससे दलित समाज के वोट की शक्ति नेताओं को समझा में आ सके और दलितों को पूर्ण अधिकार प्राप्त हो सके।
दिव्यांग युवक के जोश को देखकर पूर्व मंत्री ने किया सम्मानित
दलित सम्मान सम्मेलन में पहुंचे दिव्यांग युवक को देखकर पूर्व मंत्री शिवचंन्द्र राम खुद को रोक नहीं सके। उन्होंने दिव्यांग युवक के पास जाकर हालचाल पुछा। जिस पर युवक ने कहा कि दलितों को जागरूक करने के लिए आयोजित कार्यक्रम की सूचना मिलने पर जाता हूं। ताकि खुद के साथ-साथ अपने समाज के अन्य युवाओं को भी जागरूक कर सके। इस पर पूर्व मंत्री ने दिव्यांग युवक को अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया।
दलितों पर हो रहे उत्पीड़न पर रोकने के लिए सामान्य व पिछड़ा वर्ग मानसिक बदलाव करें: सुरेन्द्र
गड़खा विधायक सुरेन्द्र राम ने बाबा साहब के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त, असमानता, भेदभाव को समाप्त करने के लिए दलित समाज के साथ-साथ सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के लिए मानसिक एवं वैचारिक बदलाव लाये। और समाज में व्याप्त अंधविश्वास एवं कुरीतियों को शिक्षा का प्रसार करके ही समाप्त कर मानवता में समरसता की स्थापना की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि अनुसूचित जाति समुदाय के सभी लोग एकजुट होकर शिक्षा ग्रहण अगर अनुसूचित जाति समुदाय के लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर संघर्ष करें, तब ही महापुरूषों के सपनों को साकार किया जा सकता है।
समाजिक कुरितियों, अंधविश्वास व पाखंड को त्याग कर हीं असमानता व गरीबी को खत्म किया जा सकता है: अरूण
अंबेडकर जयंती पर आयोजित दलित सम्मान सम्मेलन को संबोधित करते हुए अर्जक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरूण कुमार गुप्ता ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव व पाखंड के कारण हीं दलित, पिछड़ा वर्ग मानसिक गुलाम बना हुआ है एवं समाज में गरीबी और असमानता व्याप्त है। जिसे त्याग करने के लिए शिक्षा के साथा-साथ अंबेडकर के बताये उपदेशों को ग्रहण करना जरूरी है। उन्होंने बाबा साहब के लिखित किताबों की चर्चा करते हुए कहा कि समाजिक वर्ण व्यवस्था का मुख्य दोष मनुस्मृति है। जिसके कारण हीं समाज में क्रिएटीव कार्य करने वाले लोगों को सबसे नीच का दर्ज देकर मुख्यधारा से दरकिनार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग शिक्षित होकर समाज में विज्ञान आधारित कर्मो करने पर जोड़ दिया। कहा कि समाज में व्याप्त अशिक्षा के कारण धर्म के ठेकेदारों ने गरीब कमजोर लोगों को अंधविश्वास, पाखंड में धकेलकर मानसिक गुलाम बनाकर रखा है। अब समय आ गया है कि शिक्षा ग्रहण कर मानसिक गुलामी के जंजीरों को तोड़ फेंके। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है विज्ञान को झुठलाकर जहां मंदिर, धर्मालय का निर्माण किया जाता है और पत्थरों में प्राण डालने का कार्य किया जाता है। अगर ऐसा होता तो अस्पतालों में मृत हो रहे लोगों में भी प्राण डाल दिया जाता। ऐसे पाखंड के कारण के देश में राम रहिम, आशाराम जैसे लोग पनप रहे है। लेकिन वैज्ञानिक पैदा नहीं हो रहे है। उन्होंने कहा कि आज जरूरी है कि सामाजिक, कुरितियों, अंविश्वास, पाखंड को त्याग कर विज्ञान आधारित शिक्षा ग्रहण कर देश में वैज्ञानिक पैदा करें। तब हीं समाज के साथ-साथ नया राष्ट्र निर्माण हो सकता है।
कार्यक्रम में ये लोग थे उपस्थित
अंबेडकर जयंती सह दलित सम्मान सम्मेलन में प्रो. डॉ. रामानंद राम, डॉ. रजनीश कुमार, अमर राम, भोला राम, लक्ष्मण राम, राजदेव राम, समाजसेवी सुनील राय, पूर्व एसआई विश्वनाथ राम, छात्र नेता राहुल कुमार यादव, प्रेम शंकर राम, राजू दास, ललन राम, किशोर राम, अशुतोष कुमार, अरूण कुमार, सुपेन्द्र चौधरी, ब्यास मांझी, अंबेडकर छात्रावास के छात्र प्रमुख दिलीप प्रभाकर, अमरनाथ राम, मनोहर राम, राजीव कुमार, गौतम कुमार, सुनील कुमार, नंदकिशोर राम, रिटायर्ड दरोगा रामबहादुर राम, विक्रमा बौद्ध, बिन्दा राम, विश्वनाथ राम, सभी प्रखंडों व के विकास मित्र समन्वयक के साथ नगर निगम एवं नगर पंचायत विकास मित्र सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
जातिवाद का प्रारूप हुआ है बदलाव
वक्ताओं ने कहा की आजादी के 70 साल बाद भी समाज में भेदभाव अभी भी बरकरार है। राज्य में अनुसूचित समाज के बस्ती में रास्ता रोक दिया जाता है। ऐसी स्थिति में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जातीय भेदभाव का प्रारूप केवल चेंज हुआ है। लेकिन खत्म नहीं हुआ है वर्तमान परिवेश में भेदभाव पहले की अपेक्षा और भी खतरनाक तरीके से लागू है। उन्होंने कहा कि देश में 2014 में भाजपा की सरकार बनी है तब से लेकर अभी तक अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों पर अत्याचार के मामले भी बढ़े है। जब चुनाव आता है तो अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों से राजनीतिक दलों के नेता लोक लुभावने वादे करते हैं जब वे चुनाव जीत जाते हैं तो सदन में बैठकर अनुसूचित जाति के अधिकारों की कटौती करते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने कहा था की अनुसूचित जाति समाज के पढ़े लिखे लोगों ने ही सबसे ज्यादा धोखा दिया। आलम यह है कि आज के समाज में जो लोग पर लिखकर अच्छी नौकरी पकड़ लेते हैं तो बाबा साहब महापुरुषों के उपदेश और समाज के प्रति कर्तव्यों को भूल जाते हैं। और जब उनके साथ किसी तरह का भेदभाव या कोई करवाई होती है तब उसे उन्हें बाबा साहेब के उपदेश याद करते हैं और समाज को खोजने लगते हैं। ऐसे लोगों के कारण ही समाज में अभी भी समानता नहीं आ पाई।
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