- पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कसबा का चयन होना गौरवशाली: सिविल सर्जन
- कार्यशाला के माध्यम से बताया गया कि व्यवहार परिवर्तन कितना कारगर: मोना सिन्हा
- स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर कार्य करना यूनिसेफ़ का पहला लक्ष्य: डॉ सरिता वर्मा
- चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 80 प्रतिभागियों को किया गया शामिल: शिवशेखर आनंद
पूर्णिया, 30 अप्रैल।
नवजात शिशुओं को लेकर सामाजिक व्यवहार में बदलाव से संबंधित संवेदीकरण कार्यशाला का आज समापन हो गया। 27 से लेकर 30 अप्रैल तक दो पालियों में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शहर के निजी होटल में किया गया था। इस दौरान प्रशिक्षक के रूप में आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ आरपी सिंह, कसबा सीएचसी के बीसीएम उमेश पंड़ित, धमदाहा एसडीएच के बीसीएम सुशील कुमार, के नगर की बीसीएम कंचन कुमारी, तो वहीं दूसरे पाली में कसबा सीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ इंदु कुमारी व बीसीएम उमेश पंड़ित, के नगर के बीएचएम संजय कुमार सिंह, अमौर के बीसीएम मुकेश कुमार को प्रशिक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। इस चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह की उपस्थिति रही। वहीं मास्टर ट्रेनर के रूप में यूनिसेफ़ की ओर से स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सरिता वर्मा, एसबीसी विशेषज्ञ मोना सिन्हा, अनुपम श्रीवास्तव, शिवशेखर आनंद शामिल थे।
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कसबा का चयन होना गौरवशाली: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि पूरे बिहार में केवल पूर्णिया ज़िलें के कसबा प्रखंड का ही चयन किया गया है। जिसके लिए यूनिसेफ़ की पूरी टीम को बधाई देता हूं। क्योंकि यूनिसेफ़ स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कार्य करती है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मियों का कार्य क्षमता में काफ़ी बृद्धि हुई है। स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सहयोगी से संस्थाओं का अहम योगदान रहता है। कसबा प्रखंड को पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयन करना अपने आप में काफ़ी मायने रखता है। दो पालियों में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर सैकड़ों प्रतिभागियों को शामिल कर प्रशिक्षित किया गया है। अब इनलोगों की जिम्मेदारी काफ़ी बढ़ गई है। क्योंकि अब यही लोग अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में जाकर व्यवहार परिवर्तन करने का काम करेंगे।
कार्यशाला के माध्यम से बताया गया कि व्यवहार परिवर्तन कितना कारगर: मोना सिन्हा
सामाजिक व्यवहार में बदलाव (एसबीसी) मामले की विशेषज्ञ मोना सिन्हा ने इन सभी प्रतिभागियों से कहा कि एसबीसीसी में गुणवत्ता सुधार लाने के उद्देश्य से चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें नवजात शिशुओं के जीवन की सुरक्षा किस तरह से करनी होती है। इसके साथ ही उसकी देखभाल में सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन किस तरह से होना चाहिए। शामिल प्रतिभागियों के द्वारा ही अब इसे पूरा कर शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करना होगा। ताकि प्रशिक्षण की सार्थकता साबित हो सकें। वर्तमान समय में व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता को देखते हुए इस तरह के प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। हालांकि अब स्थानीय प्रशिक्षकों द्वारा प्रखंड की आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आशा फैसिलिटेटर, जीविका, आईसीडीएस की ओर से महिला पर्यवेक्षिका एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। अगर पायलट प्रोजेक्ट शत प्रतिशत खड़ा उतरा तो ज़िले के सभी प्रखंडों में इसे लागू किया जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर कार्य करना यूनिसेफ़ का पहला लक्ष्य: डॉ सरिता वर्मा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सरिता वर्मा ने बताया कि नवजात शिशुओं के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, प्रसव के दौरान मां की सम्मानजनक देखभाल, विशेष नवजात स्वास्थ्य सेवा इकाई, घर पर नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सेवा, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का लाभ दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर यूनिसेफ़ के द्वारा नवजात शिशुओं को लेकर कार्य किया जाता है। क्योंकि जब तक नौनिहालों की उचित देखभाल नहीं की जायेगी तब तक उसकी सार्थकता नहीं हो पाएगी। बच्चों की उचित देखभाल करने के लिए समुचित दक्षताएं और पूर्ण रूप से प्रशिक्षित होना चाहिए। क्योंकि यूनिसेफ सामाजिक और व्यवहारगत परिवर्तन पहल के माध्यम से सुविधाओं की मांग बढ़ाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य करती है।
चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 80 प्रतिभागियों को किया गया शामिल: शिव शेखर आनंद
यूनिसेफ़ के क्षेत्रीय सलाहकार शिव शेखर आनंद ने बताया कि पूर्णिया ज़िले के कसबा प्रखंड को पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयन किया गया था। जिस कारण इसी प्रखंड के प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इन चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लगभग 80 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। जिसमें कसबा प्रखंड के 01 सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक, 04 प्रशिक्षित नर्स, 05 एएनएम, 06 आशा फैसिलिटेटर, 20 आशा कार्यकर्ता, समेकित बाल विकास परियोजना विभाग की ओर से 05 महिला पर्यवेक्षिका, 20 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं 19 जीविकाकर्मी को प्रशिक्षित किया गया है।


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