- शहर के बाह्य सत्रों एवम् आदर्श टीकाकरण केंद्र को मिलेगी मजबूती
- नियमित टीकाकरण को लेकर पदस्थापित ए. एन. एम. को दिया गया प्रशिक्षण
मधेपुरा, 30 अप्रैल। जिले के शहरी क्षेत्र के बाह्य सत्रों (आउटरीच सेशन) एवम् आदर्श टीकाकरण केंद्र की व्यवस्था को और मजबूती प्रदान करने एवम् सुदृढ़ बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत्संकल्प है। इसके लिए ए. एन. एम. में संविदागत पदों पर अभ्यर्थियों का चयन कर पदस्थापित किया जा चुका है। इन संविदागत पदों पर चयनित एवम् पदस्थापित ए. एन. एम. के क्षमता वर्धन के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किए जा रहे हैं। जिला प्रतिरक्षण कार्यालय के तत्वावधान में शनिवार को सदर अस्पताल परिसर में नियमित टीकाकरण संबंधित प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिले के सिविल सर्जन डॉ अमरेंद्र नारायण शाही की अध्यक्षता में शहरी क्षेत्र के टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण हेतु प्रस्थापित एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देने का कार्य जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार गुप्ता के द्वारा किया गया। मौके पर यूएनडीपी के भी सी सी एम् प्रसून कुमार, एस एम् नेट में बी एम सी कुंदन कुमार, डब्लयू एच ओ के एफ एम् प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित रहे। जिले के सिविल सर्जन डॉ अमरेंद्र नारायण शाही ने बताया कि 28 अप्रैल को राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा शहरी क्षेत्र के टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण हेतु राज्य के सभी क्षेत्रों के आउटरीच सेशन एवं मॉडल इम्युनाइजेशन सेंटर पर कार्य करने हेतु ए. एन. एम. के संविदागत पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को नियमित टीकाकरण संबंधी प्रशिक्षण देकर उनसे कार्य लिया जाए। उन्होंने बताया कि सभी संविदागत एएनएम को प्रशिक्षण देने के उपरांत शहरी क्षेत्र के आउटरीच स्टेशन एवम् टीकाकरण केंद्र पर कार्य कराया जाएगा जिससे टीकाकरण केंद्रों को और मजबूती प्रदान होगी।
नियमित टीकाकरण से वंचित नवजात के जीवन पर पड़ सकता जानलेवा प्रभाव –
प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं प्रतिभागियों को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि इम्युनाइजेशन यानी टीकाकरण बच्चों के जीवन और भविष्य की सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी और किफायती तरीकों में से एक है। शिशुओं को जीवित रहने के लिए टीकाकरण जरूरी है। नियमित टीकाकरण को छोड़ने से नवजात के जीवन पर जानलेवा प्रभाव पड़ सकता है। शिशुओं के जीवन और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी और कम लागत का तरीका है। उन्होंने बताया कि एक आंकड़े में मुताबिक विश्व में आधे से अधिक बच्चे खतरे की परिस्थिति और स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक टीका प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। यदि शिशु का टीकाकरण किया जाए तो विश्व में उनके बचाव में लगभग 15 लाख शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है। यूएनडीपी के प्रसून कुमार एवं अन्य प्रशिक्षकों ने नियमित टीकाकरण से संबंधित अन्य तकनीकी पहलुओं के संबंध में प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देने का कार्य किया।
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