- सुअरपालन वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों का जेई वैक्सीनेशन सुनिश्चित करने पर बल
- जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी द्वारा एईएस ट्रीटमेंट को लेकर दिया गया ऑनलाइन प्रशिक्षण
- चमकी बुखार को दैवीय प्रकोप मानने वाले समुदाय में जागरूकता लाना महत्वपूर्ण
राष्ट्रनायक न्यूज।
गया (बिहार)। जिला में एईएस- चमकी बुखार के असर को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक तैयारियां की गयी है। इनमें चिकित्सकों का आवश्यक प्रशिक्षण भी शामिल है। बुधवार को जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नीलेश कुमार ने चिकित्सकों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के साथ आॅनलाइन मीटिंग की। इस मीटिंग के दौरान चिकित्सकों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने चिकित्सकों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को एईएस ट्रीटमेंट के संबंध में जरूरी प्रशिक्षण दिये। डीपीएम ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। एईएस जेई ट्रीटमेंट को लेकर जरूरी गाइडलाइन का पालन करना है तथा एईएस के मामलों की जानकारी मिलते ही त्वरित निदान करना है। और रोगी को ससमय स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, यह सुनिश्चित करना है।
धानरोपनी के समय एईएस मामले बढ़ने की संभावना अधिक:
ऑनलाइन प्रशिक्षण के दौरान डॉ एमई हक ने बताया राज्य में गया सहित अन्य जिलों से चमकी बुखार के मामले सामने आते हैं। विशेषकर धान रोपनी के समय में जिला में ऐसे मामले अधिक देखने को मिलता है। एईएस चमकी बुखार के कारण रोगी के दिमाग में सूजन हो जाता है। चमकी बुखार की पहचान का उसका प्राथमिक इलाज किया जाना जरूरी है। बच्चों में ऐसे मामले अधिक देखने को मिलते हैं। चमकी बुखार होने पर रोगी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। और भ्रम की स्थिति, बेहोशी, शरीर के किसी एक हिस्से का लुंजपुंज, चमकी उठना आदि लक्षण दिखते हैं।
रोगी के इलाज के लिए पहला एक घंटा गोल्डन पीरियड:
डॉ एमई हक ने बताया मस्तिष्क बुखार के इलाज को लेकर पहला एक घंटा गोल्डन पीरियड होता है। यानि पहले एक घंटे में सही इलाज कर रोगी को जीवन दिया जा सकता है। बीमारी के अधिकतर मामले सुबह के समय आते हैं। और इसका ध्यान रखा जाना महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि रोगी को हवादार जगह पर रखें तथा ग्लाइकोमीटर से शुगर की जांच अवश्य करें। 75 फीसदी चमकी बुखार के मामले में हाइपोग्लाइसेमिया भी होता है। बताया कि रोगी का प्राथमिक इलाज कर ही उन्हें बड़े अस्पताल रेफर करना है। एंबुलेंस मौजूद नहीं होने पर अन्य किसी वाहन से रोगी को भेजना है। इसके लिए सरकार द्वारा भाड़ा वहन किया जायेगा।
सुअरपालन वाले क्षेत्र में रखना है जेई टीकाकरण का विशेष ध्यान:
डीपीएम ने कहा रोगी को समय पर रेफर किया जाना महत्वपूर्ण है। एईएस जेई को लेकर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जिला तथा राज्य स्तर पर बनाये गये कंट्रोल रूम से आवश्यक जानकारी या मदद प्राप्त कर सकते हैं। कहा कि सुअरपालन वाले क्षेत्र में जेई टीकाकरण का विशेष ध्यान रखना है। सुअरबाड़ा के दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी बच्चों का जेई टीकाकरण सुनिश्चित किया जाना महत्वपूर्ण है। वहीं बच्चों को भूखे पेट नहीं सोने देने की जानकारी ग्रामीण स्तर पर देनी है। कहा कि ग्रामीण स्तर पर लोगों को इस रोग के बारे में जागरूक कर इसे दैवीय प्रकोप समझने और ओझा गुणी के पास इलाज के लिए जाने से रोकना चाहिए।
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