2200 हेक्टेयर में अनुदानित धान के बीज से होगी खेती
31 मई को होगी कार्यशाला, कृषि विभाग के कर्मियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
सारण में 5 लाख 39 हजार 523 किसान खेती पर है आश्रित
छपरा(सारण)। जिले में खरीफ फसल के अंतर्गत धान, मक्का, मरूआ, अरहर, तिल सहित दलहनी फसलों की बुआई को लेकर कृषि विभाग ने अभी से ही तैयारी शुरू कर दिया है। जिले में समयबद्ध तरीके से उन्नत एवं आधुनिक तकनीक से खेती कराने को लेकर कृषि कर्मियों एवं किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार किसानों को अनुदानित दर पर धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुआई करने को लेकर बीजों का वितरण किया जाएगा। इसको लेकर कृषि विभाग द्वारा जिला एवं प्रखंड स्तर पर लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। किसानों को 50 फीसद अनुदान पर धान का बीज के बीज का वितरण किया जाएगा। कृषि विभाग के पदाधिकारियों की माने तो इस बार धान के उन्नत किस्म के दो प्रभेदों के बीज को अनुदानित दर पर किसानों को दिया जाएगा। इसमें एक प्रभेद का करीब 830 क्विंटल एवं दूसरा करीब 1260 क्विंटल बीज का वितरण 50 फीसद अनुदान पर दिया जाएगा। जिला कृषि पदाधिकारी की माने तो एकड़ की बुआई में करीब 12 किलोग्राम धान के बीच का बिचड़ा डाला जाता है। जिसके अनुसार करीब 2 हजार 200 हेक्टेयर खेतों में अनुदानित बीजों से खेती किया जाएगा। उन्होंने बताया कि खरीफ फसल की तैयारी को लेकर आगामी 31 मई को जिले के सभी प्रखंडों के कृषि समन्वयक, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, किसान सलाहकार, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधन, किसान सलाहकार सहित अन्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ हीं खरीफ फसल के अंतर्गत धान, मक्का, अरहर सहित अन्य फसलों का प्रखंड स्तर पर लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा। और उसके अनुरूप पारंपरिक खेती की तुलना में आधुनिक पद्धति से खेती कर बेहतर पैदावार हासिल किया जाएगा।
पहले किसानों को पूरे कीमत पर खरीदना होगा, उसके बाद मिलेगा अनुदान
कृषि विभाग द्वारा दिए जाने वाले अनुदानित दर पर धान के बीज को किसानों को निर्धारित कीमत पर खरीदना होगा। बीज खरीदने के समय बैंक खाता, खेती योग्य जमीन का रसीद सहित अन्य कागजात देना होगा। इसके बाद कृषि विभाग द्वारा किसानों के खाते पर डीबीटी के माध्यम से 50 फीसद अनुदान राशि हस्तांतरित किया जाएगा। इससे किसानों को बिचौलियों से पूरी तरह निजात मिल जाएगा।
सारण में कृषि भूमि व स्थिति एक नजर में
जलवायु तापमान 40.44 डिग्री सेंटीग्रेड
कुल सिंचित क्षेत्र 101611 हे.
नहर से सिंचाई 22320 हे.
दियारा क्षेत्र
वन क्षेत्र
मिट्टी का पीएच 7.0 से 8.2
मिट्टी का प्रकारबलुई–दोमट मिट्टी
मुख्य फसलेंधान, गेहूं, मक्का, अरहर, चना, मसूर
मिट्टी जांच प्रयोगशाला 01
बीजोपचार व बीज टीकाकरण भी खटाई में
खरीफ में विभिन्न फसलों मसलन धान, मक्का, अरहर, उड़द व अन्य दलहनी तथा तेलहनी फसलों की बुआई के पूर्व उपयुक्त बीजोपचार कराया जाता है ताकि बेहतर फसल हो सके। शतप्रतिशत बीज बीजोपचारित कर बुआई करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इससे फसलों में होने वाले रोग व व्याधि से बचाव होता है। इसके अलावे सिंचाई श्रोत का विस्तार भी बाधित है। तकनीकी प्रचार व प्रसार, उवर्रकों की उपलब्धता समेत कई अन्य बिंदुओं पर भी समन्वयक जानकारी देते हैं। ये सभी कार्य लंबित हैं। इन सबका असर खरीफ के लक्ष्य पर देखने को मिल सकता है।
सारण में 377 है सरकारी नलकूप, जिनमें 123 नलकूप ही चालू
जिले में लघु सिंचाई विभाग में कुल 377 सरकारी नलकूप है। जिसमें 123 नलकूप ही चालू है। बचे 254 नलकूप तकनिकी गड़बड़ी व सिंचाई एवं विधुत विभाग के संयुक्त दोष के कारण बंद है। जानकारी के अनुसार 47 नलकूपो पर सिंचाई विभाग के कर्मी तैनात है तो 76 नलकूप किसानों के भरोसे ही चलता है। वहीं शताब्दी निजी नलकूप योजना के तहत जिले में किसानों ने करीब 512 बोरिंग ही करा पाये है। जिनमें करीब 211 लाभुकों को लघु सिंचाई विभाग से अनुदान राशि मिल पाया है। ऐसे में सिंचाई के लिए किसानों को अधिकतर निजी पंपसेट बोरिंग पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
सारण में 5 लाख 39 हजार 523 किसानों में धान खरीदारी के सहकारिता विभाग ने 11735 का ही किया रजिस्ट्रेशन
जिले में 5 लाख 39 हजार 523 किसान खेती पर आश्रित है। जिनमें अधिकांश किसान बड़े पैमाने पर खरीफ फसल की खेती करते है। लेकिन विभागीय अफसरों के अनदेखी कहे या नियत में खोट ! जिनके वजह से जिले के महज 11735 किसानों का ही रजिस्ट्रेशन किया गया।
सारण में 5 लाख 39 हजार 523 किसान खेती पर है आश्रित, 5 फीसद किसान ही करा पाते है कृषि बीमा
जिले में फसलों को प्राकृतिक आपदा व कीट–व्याधि से होने वाले नुकसान की भरपाई को लेकर चलाये जा रहे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फीसडी साबित हो रही है। विशेषज्ञों के आंकड़ों की माने जिले के महज 5 फीसद ही किसान अपने फसलों का बीमा करा पाते है। वहीं कृषि ऋणधारी किसानों के 3.80 फीसद का हीं बीमा किया गया। ऐसे सरकारी स्तर पर प्रचार–प्रसार के अभाव में फसल बीमा योजना दम तोड़ रही है। फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिलने के कारण प्राकृति अपदा, कीट–व्याधि लगने पर फसलों को भारी नुकसान होता है। जिससे किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। ऐसे में फसल बीमा के लिए नोडल विभाग माने जाने वाले सहकारिता विभाग, कृषि विभाग व जिले के बैंकों के कार्य प्रणाली पर बड़ा ही यक्ष प्रश्न उठने लगा है।


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