- 86 हजार हेक्टेयर धान व 33 हजार हेक्टेयर में मक्का की होगी खेती
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। खरीफ फसल की बुआई को लेकर जिला स्तरीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन शहर के एक निजी पैलेश में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रसार निर्देशक सह नोडल पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी ने दीप जलाकर किया। इस अवसर पर उन्होंने कृषि पदाधिकारियों को टास्क देते हुए कहा कि जिले में खरीफ फसल के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए गए है, उसे समयबद्ध तरीके से बुआई कर पुरा करें। इस कार्य में कृषि विभाग के सभी अफसर अभी से ही जुट जाए। कार्यशाला के दौरान जिले में 86 हजार हेक्टयर में धान, 33 हजार हेक्टेयर में मक्का समेत अन्य फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया। जिला कृषि पदाधिकारी भूपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार किसानों को उन्नत तकनीक से खेती करने के लिए प्रेरित करें। ताकि पारंपरिक तरीके से खेती की तुलना में उन्नत तकनीक से खेती कर अधिक उपज हासिल किया जा सके। ताकि किसानों के आय को बढ़ाया जा सके। कार्यशाला में किसानों को अनुदान पर दिये जाने वाले बीजों को समय से मुहैया कराने पर बल दिया गया। वहीं मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना की जानकारी दी। जिसमें प्रत्येक गांव के दो-दो किसानो गेहूं, चना व मसूर की खेती के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर आधार बीज उपलब्ध कराया जायेगा। विभिन्न फसलो के फसल प्रतिरक्षण कार्य में जीरो टीलेज से गेहूं की सीधी बुआई, जैविक उत्पादन का उपयोग सिंचाई सुविधा का विकास एवं अन्य आपादान के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। कार्यक्रम में सारण डीएओ भूपेन्द्र मणि त्रिपाठी, सहायक निदेशक उद्यान राजू कुमार, पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक सत्येन्द्र चौधरी, मिट्टी जांच प्रयोगशाला के सहायक निदेशक दीपक कुमार पाल, सहायक निदेशक संजय कुमार, छपरा, सोनपुर व मढ़ौरा के अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, आत्मा परियोजना उपनिदेशक शमशेर आलम, समन्वयक अनिरूद्ध सिंह, दीपक कुमार, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, सभी बीटीएम सहित सभी प्रखंडों के कृषि पदाधिकारी व अन्य विभागों के अफसर मौजूद थे।
तीन फेज में डाले जाएंगे धान का बिचड़ा
धान की उन्नत खेती को लेकर जिले में तीन फेज में बिचड़ा डाला जाएगा। कृषि ने बताया कि धान की तीन वेराइटीज होती है। जिससे तीन फेज में बिचड़ा डालने का कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि लेट वेराइटिज यानि 150-160 दिनों में तैयार होने वाले धान का बिचड़ पहले डाला जाता है। इसके बात मेडियम वेराइटिज यानि 130 से 140 दिनों में तैयार होने वाले धान तथा अर्ली वेराइटिज यानि सौ से 110 दिनों में तैयार होने वाले धान के बिचड़ा डालने का कार्य किया जाएगा।
धान के बिचड़ा डालने के 20 दिनों के बाद करनी होगी धान की रोपनी
खेतों में धान के बिचड़ा डालने के 20 दिनों के बाद रोपनी करना अनिवार्य होता है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि किसानों को मानसून के स्थिति को देखते हुए ही धान का बिचड़ा डालना चाहिए। उन्होंने बताया की धान का बिचड़ा गिराने के करीब 20 दिनों के बाद रोपनी करना अनिवार्य होता है। अगर 20 दिन से अधिक के बिचड़ा होने पर धान का अधिक किले नहीं पकड़ पाते है। जिससे फसल के पैदावार पर भी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि 20 दिन में बिचड़े की रोपनी करने पर सामान्य के अनुपात में अधिक किले पड़ते है। जिससे धान की पैदावार अच्छी होती है।
फसल का नाम लक्ष्य (हेक्टेयर में)
- धान 86हजार
- मूंग 900
- मक्का 33 हजार
- मरूआ 1500
- अरहर 6 हजार
- तिल 200


More Stories
सारण के सांसद रूडी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की हुई बैठक, विकास योजनाओं पर हुई चर्चा
कार्यपालक सहायकों ने स्थायीकरण की मांग को ले दी चरणबद्ध आंदोलन व अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
चुनाव आयोग की मनमानी और अलोकतांत्रिक कार्रवाई के विरुद्ध सी पी आई(एम) ने निकाला प्रतिरोध मार्च, डीएम को ज्ञापन सौंपा