भुईंगाँव की सड़क नाबदान हैं कि नाबदान में सड़क? जन्नत का ख्वाब देखा, हकीकत में जहन्नुम देखा
- हाल गड़खा प्रखंड के श्रीपाल बसंत पंचायत का।
राणा परमार अखिलेश। दिघवारा
छपरा (सारण)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के साढ़े तीन बरस बीत गए । क्या सपना दिखाया गया ‘ स्वीमिंग पुल, स्टेडियम से लेकर समृद्ध श्रीपाल बसंत पंचायत में भगवानी छपरा, बनवारी बसंत, गौहर बसंत, भुईंगाँव आदि गांवों के युवकों में सपने तैरते रहे, रोजगार सृजन से लेकर हुनरमंद बनाने की श्रीमान की घोषणा, भोज भंडारा तक रह गया। ‘ यह कहना है मंगरू कतवारू, चइतू, छुदरा जैसे कई ग्रामीणों का । बहरहाल, भुईंगाँव की ग्रामीण सड़के नाबदान हैं कि नाबदान में सड़के हैं ।
अब तक के सबसे बड़े सुखिया हैं मुखिया जी
मैथिली शरण सिंह से लेकर नागेन्द्र सिंह और उषा सिंह में सबसे सुखिया बने श्रीपाल बसंत पंचायत के मुखिया शेखर सिंह । जी हाँ! तत्कालीन प्रदेश मंत्री व गड़खा विधायक मुनेश्वर चौधरी के साथ हरे रंग में रंग गए । सप्ताह में पार्टी ही पार्टी और फिर भाजपा के जिला कार्यसमिति में पदाधिकारी बन बैठे ।इतना ही 118 छपरा और 122 सोनपुर से भाजपा के स्वयंभू प्रत्याशी हैं । जिला तक मुखिया सह भाजपा नेता का डंडा बज रह है ,भले ही अपना ढोल ही नहीं पोल फूट रहा है। पंचायत के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और जेपी नाड्डा,राजनाथ सिंह, अमित शाह, भूपेन्द्र यादव तक रसूखदारों में शुमार हैं ।
श्रीपाल बसंत पंचायत:
गड़खा प्रखंड का श्री पाल बसंत पंचायत पूरे प्रखंड में अग्रणी रहा है। 1952 के बाद हमेशा न सिर्फ मुखिया मैथिलीशरण सिंह निर्विरोध निर्वाचित होते रहे बल्कि प्रखंड प्रमुख भी निर्विरोध ताजिंदगी रहे । श्री राम सिंह भी निर्विरोध मुखिया रहे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मे नागेन्द्र सिंह और दो बार श्री मती उषा सिंह ने मुखिया पद संभाला किंतु शोभा बने शेखर सिंह ।
मनरेगा का उपयोग
मनरेगा से हर गली ईंटी करण, मिट्टी करण, बसंत, कीडांगन, प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना, आदि लोगों को समझ में आयी । हाँ युवा चेहरा बनकर गांव व पंचायत में कुटनीति इतना सफल रहा कि सब लोगों को समझ में आ गयी । ठाकुरबाडी बाजार का ईंटीकरण मुकम्मल हुआ, दुर्गा मंदिर में ठाकुर जी के कोष का भी उपयोग हुआ । बनवारी बसंत व मिर्जापुर सीमा तक ईंटीकरण व मिट्टीकरण अब तक अधूरा है। बसंत बाजार की ईंटीकरण मुकम्मल नहीं हो पाया है । भुईंगाँव की सड़केंनाबदान हैं कि या नाबदान में सड़के हैं । पकाही घाव देखकर भी जवार के लोग कह दे रहे हैं, भुईंगाँव का ही बंदा होगा । श्री पाल बसंत में भाईयों के बीच प्रेम की जगह विरोध के कई मामले हैं और मुखिया जी कोलकात्ता ।
कोरोना में दर्शन नहीं हुए मुखिया जी
श्रीपाल बसंत पंचायत पर बसंत नाथ, गरीब नाथ, धनुषधारी जी महाराज कृपा है कि अबतक पंचायत वासी कोरोना से सुरक्षित है। मुखिया जी नहीं देखे गए पंचायत मे । शायद श्रावणी पूजा में दर्शन दें ।हाँ टिकट को लेकर संजीदगी से लगे हुए है। सोनपुर के शिकारपुर में पितामह का नवासा है तो छपरा में रसूख कम नहीं है । सांसद अर्जुन सिंह 24 परगना ,पश्चिम बंगाल, सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी, सिवान सांसद कविता सिंह तो उनके परिवार के ही है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के विधायक पुत्र पंकज सिंह, राजा भैया, शेर सिंह राणा बहुत ही खास हैं ।बहरहाल, कुशल व्यवसायिक तरीके से पंचायत राज श्रीपाल बसंत के मुखिया जी श्री(लक्ष्मीजी) की भक्ति में लीन है। भले ही पंचायत वासियों में कंगाली क्यों न हो ,कई लोग जो छाया की तरह लगे रहते थे ,जान छिरकते थे। आज ठगे हुए स्वयं को महसूस कर रहे हैं ।
मुखिया जी बोले-
मुखियागिरि में मैंने जो भी कुछ किया वह सबसे सामने है। अगला मिशन आसन्न विधान सभा चुनाव है। अमनौर, छपरा व सोनपुर से चुनाव लड़ना है। भाजपा जहाँ से टिकट देगी चुनाव लड़ूगाँ और जीत दर्ज कराऊंगा।
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