राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

सगी मां ने दुत्कारा, कलियुग की यशोदा मां ने संभाला, नर्सें दे रहीं लावारिसों को मां का प्यार

  • हर साल 15-20 लावारिस नवजात शिशुओं को मिलती है पनाह
  • नहलाने से लेकर डायपर बदलने का काम करती हैं  यहां की नर्सें

राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण) कई महिलाएं बच्चे को जन्म देने के बाद उसे लावारिस हालत में फेंक देती हैं। ऐसे लावारिस मिलने वाले मासूम कई बार सुनसान जगहों पर, तो कई बार नाली में, कांटों और गंदगी के बीच पड़े मिलते हैं। इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी जिन नवजातों की सांसें बच जाती हैं। उन्हें छपरा सदर अस्पताल के एसएनसीयू की स्टाफ नर्सें उपचार के साथ मां का प्यार भी देती हैं। गंभीर रूप से बीमार नवजातों के जख्मों पर मरहम लगाने से लेकर उन्हें नहलाना-धुलाना, दूध पिलाना, साफ-सफाई करने और सुलाने का काम भी बिल्कुल मां की तरह करती हैं। जब वे बच्चे ठीक होकर शिशु गृह जाने लगते हैं, तो भावनात्मक रूप से उनकी इन यशोदा माताओं की आंखों में आंसू तक आ जाते हैं।

चार माह तक विक्षिप्त महिला की बच्ची को दुलार-प्यार दिया:

सारण जिले के नगरा प्रखंड से एक विक्षिप्त महिला की बच्ची को एसएनसीयू में भर्ती किया गया था। बच्ची जब आयी थी तो उसका वजन काफी कम था, सांस में भी समस्या थी। लेकिन एसएनसीयू की  सभी स्टाफ नर्सों ने उस बच्ची को नया जीवनदान देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन  किया। उस बच्ची के इलाज से लेकर नहलाने-धुलाने, दूध पिलाने और साफ-सफाई की पूरी जिम्मेदारी यहां की नर्सों ने उठायी थी। विक्षिप्त महिला को इतनी समझ नहीं थी कि वह उसकी देखभाल कर सके। लेकिन यहां नर्सों ने यशोदा बनकर माँ का प्यार दिया और उसका नाम भी नर्सों ने रख दिया। उस बच्ची का नाम पायल रखा गया। करीब तीन महीने तक उस बच्ची को यहां रखा गया। उसके बाद से बाल संरक्षण इकाई को सौंप दिया गया। जब बच्ची आयी थी तो उसका वजन 2 किलो था। जब स्वस्थ होकर जा रही थी तो उसका वजन 4 किलो हो गया था। जब उसे  सुपुर्द किया जा रहा था, तो हमारी साथी स्टाफ में कोई ऐसा नहीं था, जिसकी आंखों से आंसू न आए हों। जब भी किसी की शिफ्ट खत्म होती, तो ये बताकर जाते थे कि उसे क्या खिलाना है, कौन सी दवा कितने बजे देनी है। उसके साथ हम सभी लोग इमोशनल अटैच हो गए थे। ऐसा लगता था कि वह हमारे बीच ही खेलती रहे।

बेसहारा बच्चों की हम ही मां और परिवार:

छह वर्षों से कार्यरत एसएनसीयू की  इंचार्ज स्टाफ नर्स प्रतिमा सिंह कहती हैं  वैसे तो सभी बच्चे हमारे लिए बराबर होते हैं। हम सभी का ध्यान रखते हैं, लेकिन लावारिस मिलने वाले बच्चों की खोज   खबर लेने वाले उनके कोई सगे संबंधी नहीं होते। बाकी बच्चों की मां उन्हें स्तनपान कराने के लिए आती हैं। इस दौरान उन्हें मां की गोद और दुलार मिलता है। बेसहारा मिले बच्चों के लिए हम ही उनकी मां और परिवार होते हैं। उनके डायपर बदलने से लेकर उन्हें सुलाने तक का काम हम लोग करते हैं।  हर साल करीब 15 से 20 लावारिस नवजात बच्चे यहां भर्ती होते हैं। वर्ष 2022 में अब तक 4 लावारिस  बच्चे यहां से पूरी तरह स्वस्थ होकर गये हैं।

गोद में आते ही चुप हो जाते थे बच्चे:

स्टाफ नर्स मुन्ना कुमारी कहती हैं  यहां भर्ती बच्चों की माताएं भी बाहर रहती हैं। बच्चे रोते हैं तो वह आकर दूध पिलाती हैं, लेकिन लावारिस बच्चे बिलखने लगते थे तो देखा नहीं जाता था। उन्हें हम कई बार रात में घंटों तक गोद में लेकर बैठे रहे। वह पहचानने भी लगे थे। गोद में आते ही रोना बंद कर देते थे। कई नर्सो ने मदर मिल्क बैंक में जाकर दूध भी दान किया जिससे इन बच्चों की भूख मिट सके। बच्चों का डायपर बदलने से लेकर वह सभी काम किया जो एक मां करती है।

झाड़ी में मिले नवजात को देखकर आंखों से निकल आया था आंसू:

प्रतिमा सिंह ने बताया कि सारण जिले के गड़खा में एक नवजात कांटों के बीच झाड़ी में पड़ा मिला था। उसकी हालत खराब थी। उसका हाथ कुत्ते ने काट लिया था। जब उसे बाल संरक्षण इकाई के लोग यहां लेकर आये, तो उसकी हालत देखकर रोना आ गया था, लेकिन उसे हमने अपने बच्चे की तरह रखा। वजन कम होने के कारण उसकी स्पेशल केयर की गई। करीब डेढ़ महीने वह हमारे बीच रहा। फिर वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर यहां से गया।

ये हैं कलियुग की यशोदा माताएं :

एसएनसीयू इंचार्ज प्रतिमा सिंह,मुन्ना  कुमारी, अनामिका कुमारी, मीना कुमारी, जूली  कुमारी, जूली  चौधरी, ज्योति आइजेक, नीलू कुमारी, राखी कुमारी।