राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। गंगा सरयू और सोन नदी के संगम स्थित चिरांद में ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर 14 जून को गंगा महाआरती व गंगा गरिमा रक्षा संकल्प समारोह का भव्य आयोजन हुआ। बंगाली बाबा घाट पर आयोजित इस समारोह का उद्घाटन केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने किया। चिरांद विकास परिषद व गंगा समग्र के तत्वावधान में यह 15वां आरती समारोह था। इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं खेल मंत्री आलोक रंजन झा, राष्ट्रीय विचारक व राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा उपस्थित थे। समारोह की अध्यक्षता गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ लल्लू बाबू ने की। चिरांद विकास परिषद के संरक्षक व मार्गदर्शक के रूप में लक्ष्मणकिलाधीश अयोध्या के महंत मैथिली रमन शरण जी महाराज एवं महंत श्रीकृष्णगिरी उर्फ नागा बाबा भी उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में सारण के जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम लाल शर्मा भी कार्यक्रम में शामिल हुए। समारोह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि चिरांद भारत ही नहीं बल्कि विश्व के दुर्लभ पुरातात्विक स्थलों में से एक है। भारत के तीन नदियों के प्रत्यक्ष संगम के कारण यह क्षेत्र परम तीर्थ है जिसका जिक्र रामायण, रामचरित मानस व कई पुराणों में मिलता है। ऋषि श्रृंगी की तपस्थली होने के कारण यह क्षेत्र राम के आविर्भाव से भी जुड़ा है इसी लिए सिद्धाश्रम बक्सर जाने के क्रम में श्रीराम व लक्ष्मण अपने गुरू विश्वामित्र के साथ यहां आए थे।
इस स्थल को विकसित करना हमारे जीवन का एक लक्ष्य: पूर्व मंत्री डाॅ. महाचन्द्र प्रसाद सिंह
समारोह में संरक्षक की भूमिका में उपस्थिति श्री लक्ष्मण किलाधीश अयोध्या व चिरांद स्थित अयोध्या मंदिर के महंत मैथिलीशरण जी महाराज ने कहा कि अयोध्या, काशी, प्रयाग जैसे भारत के तीर्थाे जैसा ही यह तीर्थ भी महत्वपूर्ण व पुण्य फल प्रदान करने वाली है। इस तीर्थ को जागरित करने का प्रयास अब दिखेगा। विशिष्ट अतिथि व पूर्व मंत्री डाॅ. महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि इस स्थल को विकसित करना हमारे जीवन का एक लक्ष्य है। मंत्री आलोक रंजन झा ने कहा कि इस महत्वपूर्ण स्थल को विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर पहल शुरू हुई है। इसी वर्ष कार्तिक मास में गंगा स्नान के आसपास चिरांद महोत्सव का आयोजन कराने की सरकार की योजना है। राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने कहा कि चिरांद जैसे स्थल भारत की प्राचीन संस्कृति की समृद्धि के प्रमाण हैं। गंगा, सरयू व सोन जैसी नदियां केवल हमारी श्रद्धा के केंद्र ही नहीं बल्कि प्रकृति व पर्यावरण के साथ अनुकूलता वाले विकास की जीवन पद्धति के प्रमाण है।


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