राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। उदयपुर की घटना ने देश को हिला कर रख दिया है। अक्षम्य अपराध तो है ही, इस घटना ने इस्लाम को भी शर्मसार कर दिया, क्यों कि यह इसलाम की नैतिकता के भी विरुद्ध है। जिनके नाम पर इस घटना को अंजाम दिया गया, उनके उपदेशों की नज़र में भी माफी के लायक नहीं है यह जुर्म। जब वो राह चलते तो नीचे जमीन पर गौर से देखते हुए चलते थे कि कहीं चींटी भी उनके पैरों के नीचे आकर कुचल न जाये। कुडा़ फेंकने वाली कहानी भी आपने सूनी होगी। जो बुढि़या हर रोज उनके बदन पर कूड़ा फेंक देती थी। जब एक दिन उसने कूडा़ नहीं फेंका, उन्होंने पता किया और उसके घर चले गये।देखा बुढि़या बीमार है। फिर उसका इलाज उन्होनें कराया।उनके दयालू चरित्र के चलते ही उन्हें “रहमतुल आलेमीन” भी कहा जाता है। यानी दुनिया पर रहम करने वाला। युद्ध में औरतों, बच्चों, बीमारों और निहत्थों पर हाथ न उठाओ। फल वाले पेड़ों को न काटो। युद्ध के बन्दियों के साथ अच्छा व्यवहार करो, उन्हें यातनाएं न दो।हजारों उपदेश हैं, हजरत मोहम्मद (स) के, जो उन्होंने यदा कदा अपने प्रवचनों में दी हैं, जो हदीशों में संकलित हैं। उदयपुर की घटना का, यदि इस्लामिक स्वार्थ के दृष्टिकोण से भी विश्लेषण किया जाय, तो हम पायेंगे कि यह खुद इस्लाम को समाप्त या तबाह करने वालों की ही राह आसान करती है। ऐसी राजनीति जिसके बुनियाद में ही हिन्दू बनाम मुस्लिम हो, वो तो चाहते ही है, ऐसी प्रकृति की घटनाएँ! 2014 के बाद, नफरत के जिस पौधे को भारत में रोपा गया था, अब वो वृक्ष बनता हुआ दिखाई दे रहा है। पौधा रोपकों के लिये इससे अधिक खुशी के छण और क्या हो सकते हैं! उनका तो मन का मुराद पुरा कर गया यह हत्याकांड। उदयपुर के दो हत्यारों में से एक रियाजुल का, भाजपा के साथ रिश्तों की चर्चा अब तस्वीरों के साथ होना शुरु हो गया है। साजिशों की गहराई भी समय के साथ उजागर होगी, आश्चर्य नहीं। नूपूर शर्मा का गिरफ्तार नहीं होना और जुबैर को तुरत दबोच लिया जाना।प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की चुप्पी। नूपूर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर गोदी मिडिया में हाय तौबा मचना आदि।ये सारी घटनाएं क्या यह समझने के लिये नाकाफी हैं कि आज देश किस चौराहे पर खडा़ है? जनता के हाथों में है सब कुछ। जिम्मेदारी भी आप की ही है। उदयपुर जैसी जघन्य घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने की भी और देश को बचाने की भी।
लेखक के अपने विचार है:- लेखक अहमद अली
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