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सघन दस्त पखवाड़ा एवं जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा को ले  प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन

  • कार्यशाला में ज़िले के सभी एमओआईसी, सीडीपीओ, बीएचम, बीसीएम हुए शामिल:
  • प्रखंड स्तर पर समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम की सफलता की रूपरेखा तैयार करें: सीएस
  • जनसंख्या स्थिरीकरण के सपनों को साकार करने के लिए हम सभी को संकल्प लेने की जरूरत: आरपीएम
  • बदलते मौसम में डायरिया सहित कई अन्य बीमारियों से बचाव को लेकर खानपान पर रखना होगा विशेष ध्यान: डीपीएम

पूर्णिया (बिहार)सघन दस्त पखवाड़ा एवं जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा मनाए जाने को लेकर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल के सभागार में कार्यशाला सह प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित सभी पदाधिकारियों से कहा गया है कि प्रशिक्षण से संबंधित 7 जुलाई तक माइक्रो प्लान हर हाल में जिला को सुपुर्द करना होगा। ताकि कार्यक्रम के दौरान किसी को कोई परेशानी नहीं हो। ज़िले में 11 से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का आयोजन करना है तो वहीं 15 से 30 जुलाई तक सघन दस्त पखवाड़ा का आयोजन किया गया है। लेकिन इसके पहले सभी एमओआईसी, बीएचएम व बीसीएम को निर्देशित किया गया कि समय से पहले सभी तरह की तैयारियों को पूरा कर लिया जाना चाहिए। इन दोनों कार्यक्रमों में सीडीपीओ को यह निर्देश दिया गया है महिला पर्यवेक्षिका, आंगनबाड़ी सेविकाओं से हर तरह का सहयोग अपेक्षित है वहीं यूनिसेफ़, केयर इंडिया का भी सहयोग मिलने वाला है। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा, डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, डीआईओ डॉ विनय मोहन, डीसीएम संजय कुमार दिनकर,  डीसीक्यूए डॉ अनिल कुमार शर्मा, यूनिसेफ़ की ओर से शिव शेखर आनंद, राज कुमार, केयर इंडिया के डॉ देवब्रत महापात्रा, अमित कुमार, सनत गुहा, डीपीएचओ सोमेन अधिकारी, सीफार के धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी सहित ज़िले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, बीएचएम, बीसीएम एवं सीडीपीओ ने भाग लिया।

प्रखंड स्तर पर समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम की सफलता की  रूप रेखा तैयार करें: सीएस

सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु का शून्य स्तर प्राप्त करना है। साथ ही डायरिया से होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। दूसरी तरफ जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा के तहत सीएस ने बताया कि इस वर्ष जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का स्लोगन “परिवार नियोजन का अपनाओ उपाय, लिखो तरक्की का नया अध्याय’ दिया गया है। ज़िला सहित पूरे राज्य में जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना, परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सेवाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाना तथा योग्य दम्पतियों को इच्छित सेवा प्रदान करना है। स्थानीय प्रखंड स्तर पर बीडीओ, सीओ, सीडीपीओ, बीएचएम, बीसीएम को निर्देश दिया गया की आपसी समन्वय स्थापित कर कार्यक्रम की सफ़लता के लिए रूप रेखा तैयार कर जुट जाना चाहिए।

जनसंख्या स्थिरीकरण के सपनों को साकार करने के लिए हम सभी को संकल्प लेने की जरूरत: आरपीएम

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह के द्वारा पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है कि आजादी का 75 साल और भारत के लोगों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वैसा हीं विश्व जनसंख्या दिवस, परिवार नियोजन में हमारी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। भारत ने परिवार नियोजन के महत्व को समझा और तब से एक लम्बा सफर तय करते हुए प्रजनन दर के प्रतिस्थापन स्तर को प्राप्त किया है। बिहार राज्य ने भी इस दौरान बेहतर प्रदर्शन करते हुए कुल औसत प्रजनन दर 3.0 की प्राप्ति की है। साथ ही गर्भ निरोधक प्रचलन दर में भी बहुत ही ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। आगामी 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रत्येक योग्य दम्पत्ति तक पहुंच और बिहार के जनसंख्या स्थिरीकरण के सपने को साकार करने के लिए हम सभी को संकल्प लेने की जरूरत है।

बदलते मौसम में डायरिया सहित कई अन्य प्रकार की बीमारियों से बचाव को लेकर खानपान पर रखना होगा विशेष ध्यान: डीपीएम

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि बदलते मौसम में ना सिर्फ मौसमी बीमारी की आशंका बनी रहती है। बल्कि, डायरिया सहित कई अन्य तरह की बीमारियों की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए  सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं सहित आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। हालांकि इसके साथ ही हम सभी को अपने खानपान पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। ख़ासकर बच्चों के खानपान का विशेष ख्याल रखना होगा। पौष्टिक आहार का सेवन करने के लिए बल देना चाहिए। क्योंकि पोषण युक्त भोजन संक्रामक और वर्तमान समय में होने वाली बीमारियों से बचाव में काफी हद तक सहयोग करता है।

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