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बिहार  में पत्रकारिता की आड़ में यौन शोषण करता-करवाता था ब्रजेश ठाकुर! पढ़ें इसके कुकर्मों की कहानी…

बिहार  में पत्रकारिता की आड़ में यौन शोषण करता-करवाता था ब्रजेश ठाकुर! पढ़ें इसके कुकर्मों की कहानी…

पटना। बिहार में पत्रकारिता की आड़ में यौन शोषण करने-करवाने के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने जेल से निकलने के लिये नई चाल चली है। जिससे बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में हैवानियत की हदे पार कर नाबालिग बच्चियों एवं युवतियों से बलात्कार की घटना लोगों के जेहन आने लगी है। इस चर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस से पूरा देश वाकिफ है। इस मामले में कोर्ट ने मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को सजा भी सुनाई है और ये सभी जेल में बंद हैं। अब इसी मामले में इन ब्रजेश ठाकुर ने जेल से बाहर आने की नयी चाल चली है। मुख्य दोषी ने साकेत कोर्ट के सुनाए गए फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसी मामले में बुधवार को सुनवाई हुई और कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है और  केस से जुड़ी जानकारियां मांगी है।  मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। बता दें कि मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर पत्रकारिता की आड़ में छिपा बैठा एक दरिंदा था, जो बच्चियों की परवरिश के नाम पर मासूम लड़कियों का यौन शोषण करता-करवाता था।


पॉक्सो कानून समेत विभिन्न धाराओं में चला था मुकदमा
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी टीआईएसएस की रिपोर्ट के बाद यह मामला सामने आया था। शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और युवतियों से दुष्कर्म के मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर ब्रजेश ठाकुर का नाम सामने आया था, जो बिहार सरकार का बेहद करीब था। साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत 20 आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो कानून, बलात्कार और आपराधिक साजिश जैसी आईपीसी धाराओं के तहत मुकदमा चलाया था।

हिन्दी, अंग्रेजी व उर्दू अखबार चलाता था ब्रजेश ठाकुर, बिहार सरकार से मिलता था विज्ञापन
गौरतलब है कि ब्रजेश ठाकुर पत्रकारिता की आड़ में शासन की नजर से बचता आ रहा था। दरअसल वह अंग्रेजी अखबार News Next,  उर्दू अखबार हालात-ए-बिहार और हिंदी अखबार  प्रात: कमल चलाता था। तीनो अखबार और बालिका गृह का भी संचालन एक ही बिल्डिंग से होता था, जो ब्रजेश ठाकुर के घर से सटी हुई थी। तीनों ही अखबारों को बिहार सरकार की ओर से विज्ञापन मिलते थे।

ब्रजेश ठाकुर के रसूक को देख सुप्रीम कोर्ट ने बिहार से पंजाब जेल भेजा था
जब आश्रय गृह में बच्चियों से रेप का मामला सामने आया तो सीबीआई ने भी ब्रजेश ठाकुर को ही मुख्य आरोपी बनाया था। सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीट में कहा था कि जिस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दुष्कर्म होता रहा, उसको ब्रजेश ठाकुर ही चला रहा था। यहां यह बता दें कि ब्रजेश ठाकुर के रसूख को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न केवल उसे बिहार से पंजाब की जेल में भेज दिया, बल्कि निष्‍पक्ष सुनवाई के लिए मामले को भी दिल्‍ली की साकेत कोर्ट में स्‍थानांतरित कर दिया था।


20 में से एक आरोपी हुआ बरी
बीते 20 जनवरी को इसी मामले में साकेत कोर्ट ने 20 आरोपियों में से 19 दोषी करार दिया था। ब्रजेश ठाकुर पर रेप, गैंगरेप, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और अन्य धाराओं के तहत  कोर्ट ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि 20 में से एक आरोपी विक्की शाह बरी हो गया था।
आश्रय केन्द्र में बलात्कार गुनहगारों पर ये थे आरोप

ब्रजेश ठाकुर: बालिका गृह का वास्तविक मालिक था और वही इसका संचालन करता था। वह एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति का कार्यपालक निदेशक था। इसी एनजीओ के माध्यम से बालिका गृह का संचालन होता था। उस पर बालिका गृह की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया था।
शाइस्ता परवीन उर्फ मधु: यह ब्रजेश ठाकुर की खास राजदार थी और एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति के प्रबंधन से जुड़ी थी। आरोप है कि वह लड़कियों को सेक्स की शिक्षा देती थी और गंदे गाने पर डांस करने को विवश करती थी। इससे मना करने वाली लड़कियों को सजा के तौर पर नमक रोटी खाने को दिया जाता था।
रवि कुमार रोशन: यह बाल संरक्षण पदाधिकारी (सीपीओ) था। ब्रजेश के साथ-साथ इस पर भी अधिकतर लड़कियों ने दुष्कर्म का आरोप लगाया गया है। वह छोटे कपड़े में वल्गर गाने पर डांस करने के लिए लड़कियों को विवश करता था।
विकास कुमार: यह बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का सदस्य था। उस पर भी लड़कियों ने दुष्कर्म का आरोप लगा है। यह अन्य आरोपितों के साथ मिलकर लड़कियों को स्लीपिंग पिल्स देता था।
दिलीप कुमार वर्मा: यह बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का अध्यक्ष था। लड़कियों ने उसकी पहचान फोटो से की। इसने उसे सबसे गंदा आदमी बताया। उस पर भी रेप का आरोप लगा है। यह ब्रजेश ठाकुर का खास था।
रोजी रानी: यह बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक थी। आरोप है कि लड़कियों ने उसे सारी घटनाओं की जानकारी दी, लेकिन उसने कोई एक्शन नहीं लिया। उस पर आरोपितों को सहयोग करने का आरोप लगाया गया था।
डॉ. प्रमीला: यह बालिका गृह की लड़कियों की स्वास्थ्य जांच करती थी। लड़कियों ने उसे बताया कि ब्रजेश, रवि रोशन, विजय व विकास ने उसके साथ दुष्कर्म किया है। इस पर उसने बस इतना कहा था कि कोई बात नहीं तुम लोगों को दवा दे दूंगी। इसने पीड़िता की कोई मदद नहीं की।
रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर साहेब उर्फ मास्टर जी: यह ब्रजेश के पारिवारिक प्रेस का मैनेजर था। लड़कियों ने इसे गंदा आदमी बताया है। उसपर लड़कियों को गंदी नजर से देखने का आरोप है। रामाशंकर पर लड़कियों से साथ दुष्कर्म और पिटाई करने का आरोप था।
डॉ. अश्वनी उर्फ आसमनी: बालिका गृह की लड़कियां इस डॉक्टर से काफी भयभीत रहती थीं। यह लड़कियों को ट्रैंक्यूलाइज्ड कर बेहोश करता था। यह अपने आला से लड़कियों को बिना कपड़े के जांच करता था।
विजय कुमार तिवारी, गुड्डू और कृष्णा राम: सभी ब्रजेश ठाकुर का नौकर था। सभी पर लड़कियों से दुष्कर्म करने और पिटाई करने का आरोप लगाया गया था।
इंदू कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी: सभी बालिका गृह की कर्मचारी थीं। इन सभी पर लड़कियों को नशे की दवाई देने, मारपीट करने के आरोप थे। इनपर बालिका गृह की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने वाले ब्रजेश, विकास, दिलीप, रवि रोशन और अन्य का सहयोग करने का भी आरोप था।
एक महिला कर्मचारी पर लड़कियों से साथ आपत्तिजनक स्थिति में सोने का भी आरोप था। यह अन्य महिला कर्मचारियों के साथ मिलकर लड़कियों की पिटाई करती थी।