अखिलेश्वर पाण्डेय। राष्ट्रनायक न्यूज।
जलालपुर (सारण)। महान क्रांतिकारी, समाजसेवी व अप्रतिम गीतों के रचनाकार व गायक पंडित महेंद्र मिश्र को अमृत महोत्सव में शामिल किए जाने तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित किए जाने तथा देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग सांसद सिग्रीवाल ने पी एम को लिखे पत्र मे की है। उन्होंने प्रधानमंत्री जी को लिखे पत्र में कहा है कि भोजपुरी व अन्य भाषाओं में कालजई गीतों की रचना करने वाले अपूर्व गायक, पूर्वी धुनों के जनक पंडित महेंद्र मिश्र का आजादी की लड़ाई में भी अनेक योगदान है। पंडित जी ने 5, 10 तथा 100 के नोट छापने के साथ ही तत्कालीन प्रचलन में चलने वाले सभी सिक्को को बनाया और क्रांतिकारियों की आर्थिक मदद की। जिससे परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने जटाधारी प्रसाद नाम के एक सीआईडी के दरोगा को जासूस के रूप में नियुक्त किया और अप्रैल 1924 को पंडित महेंद्र मिश्र को गिरफ्तार करवा कर यह जासूस गोपीचंद के नाम से विश्व विख्यात हुआ। जिस पर लंदन टाइम्स में अप्रैल1924 में किसी महीने को गोपीचंद इक्सेत्स स्कॉटलैंडयार्ड शीर्षक से समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था।
उन्होने अपने पत्र मे लिखा है कि पं मिश्र ने तब नोट छापा जब भारत में नोट लंदन से छप कर आया करते थे। पंडित महेंद्र मिश्र से संबंधित साक्ष्य आज भी बिहार पुलिस के पास पटना स्थित सीआईडी विभाग में मौजूद है। पंडित जी के प्रकरण को प्रिवी कौंसिल में लगातार 90 दिनों तक महान स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास ने किया और तब पूरे देश में हजारों की संख्या में नर्तकियों ने अपने गुरु पंडित महेंद्र मिश्र जी की जरूरत के लिए अपने गहने और रुपए लेकर गई थी। पं महेंद्र मिश्र जी प्रभावशाली शख्सियत के मालिक थे। वे अपने ही जीवन में किवदन्ती बनकर बन गए थे। आज भी इनके गीत भारत के बाहर जहां कहीं भी भोजपुरी भाषी हैं बड़े आदर सम्मान के साथ गाते हैं और इनका नाम लेते हैं। ऐसे महापुरुष ने जेल प्रवास के दौरान भोजपुरी का गौरव ग्रंथ भोजपुरी का प्रथम महाकाव्य संगीत अपूर्व रामायण की रचना की। इसमें हजार से अधिक गीत कई धुनों पर आधारित हैं।
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