राष्ट्रनायक न्यूज

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बाबा महेन्द्रनाथ की सावन महीने में पूजन करने से स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या होती है दुर

राष्ट्रनायक न्यूज।

पटना (बिहार)। सावन महीने की शुरुआत 14 जुलाई 2022  से हो रहा है ,सावन महीने में भगवान शिव का पूजन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, शिव भक्त अलग- अलग तरीके से भगवान शिव का पूजन करते है सावन में  बाबा महेन्द्रनाथ की पूजन अर्चन करने से स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या दुर होती है ,तथा मनोकामना की पूर्ति होता है, बाबा महेंद्रनाथ मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था। यह मंदिर सिवान जिला से 35 किलोमीटर दुर सिसवन प्रखंड के मेह्दार गावं में स्थित है ,रेल तथा सड़क मार्ग से आसानी से जा सकते है, रेल मार्ग से एकमा, चैनवा उतरकर वह से  शेयरिंग ऑटो या रिजर्व ऑटो से मंदिर के प्रांगण  तक जा  सकते है। पौराणिक कथा के अनुसार, नेपाल के नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव को कुष्ठरोग हो गया था। वह अपने कुष्ठरोग का इलाज कराने वाराणसी जा रहे थे। और अपनी वाराणसी यात्रा के दौरान घने जंगल में विश्राम करने के लिए एक पीपल के वृक्ष के निचे रूके। वहा पर उन्होने विश्राम किया।विश्राम करने से पहले हाथ मुंह धोने के लिए पानी की तलाश रहे थे। काफी तलाशने के बाद उन्हें एक गड्ढे में पानी मिला। राजा विवश होकर उसी में हाथ मुंह धोने लगे। जैसे ही गड्ढे का पानी कुष्ठरोग से ग्रस्त हाथ पर पड़ा। हाथ का घाव व कुष्ठरोग गायब हो गया। उसके बाद राजा ने उसी पानी से स्नान कर लिया और उनका कुष्ठरोग समाप्त हो गया। विश्राम करते हुए राजा वही सो गए और उन्हें स्वप्न में भगवान शिव आये और वहां (पीपल के वृक्ष के नीचे) होने के संकेत दिए। फिर राजा शिवलिंग को ढूंढने के लिए लिए उस स्थान पर मिट्टी खुदवाया और उन्हें उस स्थान पर शिवलिंग मिला। उसी समय  पीपल के वृक्ष के निचे से शिवलिंग को निकालकर राजा ने शिवलिंग को अपने राज्य में ले जाने की योजना बनाई तो उसी रात भगवान शिव जी ने राजा को पुन: स्वप्न में आकर कहा कि तुम शिवलिंग की स्थापना इसी स्थान पर करो और मन्दिर का निर्माण करवाओ। तो मंदिर के मुख्य दरवाजे के सामने घंटी बांधते है। मंदिर परिसर के बगल में बहुत बड़ी पोखरा है। मान्यता है कि इस पोखरे की खुदाई राजा ने हल बैल से की थी। आज उस पोखरे को कमलदाह पोखरा के नाम से जाना जाता है। इस पोखरे में कमल पुष्प बहुत खिलते है. इस तालाब में स्नान करने के बाद तालाब का जल लेकर महेंद्रनाथ को अभिषेक करते है। यह पोखरा लगभग ढाई सौ बीघा में स्थित है़ इस पोखरा की परिक्रमा से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है। महेंद्रनाथ की पूजा करने पर पुत्र की प्राप्ती होती है और चर्मरोग से छुटकारा मिलता है।  सावन मास मे दिनों मे  बाबा महेंद्रनाथ की दर्शन करने के लिए काफी दूर-दूर से श्रद्धालु आते है।

 संजीत कुमार मिश्रा, ज्योतिष एवं रत्न  विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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