कोरोना में सुखद : दमा के मरीज होने के बावजूद कोरोना से जंग जीत गये 62 वर्षीय शिवनाथ साह
- डॉक्टरों व परिवार के लोगों ने बढाया हौसला
- स्थानीय मुखिया ने भी किया सराहनीय सहयोग
- कोलकता से घर लौटने के दौरान हो गये थे कोरोना का शिकार
- अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं से थे खुश
- कोरोना से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके चपेट में हर उम्र के लोग आ रहें है। लेकिन बुजुर्ग व गंभीर रोग से ग्रसित लोगों को इससे अधिक खतरा है। लेकिन मशरक प्रखंड के बहरौली गांव के रहने वाले 62 वर्षीय शिवनाथ साह एक बुजुर्ग होने के साथ दमा जैसे गंभीर रोग से पीड़ित होकर भी कोरोना से जंग जीत गए हैं। अधिक उम्र एवं दमा जैसे रोग से ग्रसित होने के कारण उनका कोरोना को मात देना इतना आसान नहीं था।इसके बावजूद शिवनाथ साह की सकारत्मक सोच एवं हिम्मत की वजह से आज वह कोरोना को मात देने में सफल हो सके हैं। साथ ही वह कोरोना को मात देकर बाकी कई बुजुर्ग मरीजों एवं कोरोना से जंग लड़ रहे लोगों को विपरीत हालातों में भी हिम्मत नहीं हारने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।
कोलकता से लौटने के दौरान हुआ था कोरोना:
शिवनाथ साह लॉकडाउन लगने के बाद कोलकता से बस से अपने घर लौटे रहे थे और रास्ते में किसी संपर्क में आने से वे कोरोना के चपेट में आ गये। कोलकता से बस से सफर कर गांव आये। गांव आते हीं उन्हें विद्यालय में बने क्वारेंटाईन सेंटर में रखा गया। वहां पर उनकी तबियत खराब हुई। उन्हें सांस लेने में समस्या और कमजोरी महसूह हो रही थी। फिर बहरौली पंचायत के मुखिया अजीत सिंह के द्वारसहयोग से उन्हें छपरा भेजा गया। सैंपल जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उन्हें पटना स्थित एनएमसी हॉस्पिटल( नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) रेफर कर दिया गया। शिवनाथ साह बतातें हैं पटना में करीब 5 दिनों तक उनका ईलाज हुआ। वहाँ के चिकित्सक लगातार उनका हौसला बढ़ाते रहे कि वह जल्दी ही ठीक हो जाएंगे। वह बताते हैं उनके स्वस्थ होने के पीछे चिकित्सकों के साथ उनके ग्राम मुखिया का भी सहयोग काफी अहम रहा। उनकी दूसरी और तीसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया।
रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद में गांव था दहशत का माहौल:
62 वर्षीय शिवनाथ साह बताते हैं उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरे गांव को सील कर दिया गया। गांव में दहशत का माहौल कायम हो गया। लेकिन उनके परिवार के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने बताया जब उन्हें कोरोना संक्रमण की आशंका हुयी तभी से वह सतर्कता बरतना शुरू कर दिए थे। उन्होने समझदारी का परिचय देते हुए खुद विद्यालय में बने क्वारेंटाईन सेंटर में रहने को गए थे। जिससे कोरोना के चपेट में आने से उनके परिवार व पूरे गांव के लोग बच गये।
स्थानीय मुखिया ने बढ़ाया हौसला:
बहरौली मुखिया अजीत सिंह बताते हैं उनके रे पंचायत के शिवनाथ साह कोलकता से आये थे और उनको विद्यालय के क्वारेंटाइन सेंटर पर रखा गया था। अचानक उनकी तबीयत खराब हो गयी। फिर उन्होंने एंबुलेंस बुलाकर उन्हें तुरंत छपरा भेजा था। अपनी सेहत बिगडती देखकर शुरुआत में शिवनाथ सिंह एवं उनका परिवार डर गया था। ऐसी स्थिति में अजीत सिंह ने न सिर्फ शिवनाथ साह का हौसला बढ़ाया बल्कि उनके परिवार वालों को भी हिम्मत रखने की सलाह दी। उन्होंने बताया शिवनाथ साह की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरे गाँव के लोग खौफ में थे। लेकिन शिवनाथ साह ने काफी समझदारी का परिचय देते हुए खुद विद्यालय में बने क्वारेंटाईन सेंटर में रुके, जिससे संक्रमण का प्रसार गाँव तक नहीं पहुंचा।
व्यवस्थाओं की सभी ने की तारीफ, चिकित्सकों को दी दुआ:
शिवनाथ साह ने बताया ईलाज के दौरान पटना एनएमसीएच में पौष्टिक भोजन, गर्म पानी, काढ़ा, चाय, फ्रूट एवं जूस दिया जाता था, जिसकी वजह से वह जल्दी स्वस्थ हो सके। उन्होंने बताया उन्हें भी कहीं न कहीं इस बात का डर था कि ऐसी स्थिति में उनका ठीक होना आसान नहीं होगा। आज वह इसलिए स्वस्थ हो सके हैं क्योंकि उन्हें सही समय पर बेहतर ईलाज मिल सका। उन्होंने बताया अस्पताल से डिस्चार्ज होने के दौरान उन्होंने विनम्र भाव से सभी डाक्टर्स, नर्स व सभी कर्मचारियों को धन्यवाद देकर आभार व्यक्त किया था, जिसके सहयोग से वह आज जिंदा हैं।


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