- नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने एवं कुपोषण से बचाने में स्तनपान की भूमिका महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन
- अभियान को सफ़ल बनाने के लिए कार्यशाला का किया जाएगा आयोजन: डीपीएम
- स्तनपान कराने को लेकर हम सभी को जागरूक होने की जरूरत: डीसीएम
राष्ट्रनायक न्यूज।
कटिहार (बिहार)। स्तनपान नवजात शिशुओं एवं छोटे-छोटे बच्चों की ज़िंदगी बचाने के लिए पोषण तथा विकास की आधारशिला है। यह धातृ माताओं के स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है। यह अल्पावधि तथा लंबे समय के लिए सामाजिक स्तर पर स्वास्थ्य में भी मदद करता है। क्योंकि 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाना और उसके बाद अनुपूरक आहार देना तथा स्तनपान 2 वर्षो तक या उससे अधिक समय तक जारी रखना, शिशुओं का सर्वोत्तम आहार है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए आशा, एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।
नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने एवं कुपोषण से बचाने में स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एनके झा ने बताया कि राज्य में एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास तथा नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने एवं कुपोषण से बचाने में स्तनपान की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण होती है। इसी उद्देश्य के तहत प्रति वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह मनाते हुए महिलाओं को स्तनपान के लिए जागरूक किया जाता है। अभियान के दौरान अधिक से अधिक माताओं को शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान प्रारंभ करने में मां की सहायता करने तथा गर्भवती व धात्री माताओं को छः महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्व को समझया जा रहा है। इसके अलावा उनके साथ बैठक कर स्तनपान से होने वाले लाभ एवं स्तनपान के सही तरीके के संबंध में भी चर्चा की जा रही है। ज़िले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कक्ष (ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर) की स्थापना की जाएगी। यह स्तनपान कक्ष मुख्यतः ओपीडी के पास ही स्थापित होगा। स्तनपान कक्ष स्वास्थ्य संस्थानों में स्थापित केएमसी (कंगारू मदर केयर) वार्ड के अतिरिक्त होगा।
अभियान को सफ़ल बनाने के लिए कार्यशाला का किया जाएगा आयोजन : डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि 01 से 07 अगस्त विश्व स्तनपान सप्ताह अभियान को सफल बनाने के लिए कोविड-19 गाइड लाइन का पालन करते हुए जिला एवं प्रखंड स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थानों पर प्रचार-प्रसार के लिए बैनर लगाकर अभियान के बारे में बताया जा रहा है। स्तनपान सप्ताह के दौरान किसी एक दिन प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा। इसमें माताओं को बच्चे के स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी दी जाएगी। जन्म के प्रथम एक घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजातों में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। प्रथम छह माह तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना क्रमशः 11 एवं 15 गुणा कम हो जाती है। साथ ही इससे कई गैर संचारी रोगों से भी शिशु का बचाव होता है।
स्तनपान कराने को लेकर हम सभी को जागरूक होने की जरूरत: डीसीएम
जिला सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक सुरेश कुमार ने बताया कि धात्री माताओं को सफलतापूर्वक स्तनपान कराने को लेकर हर तरह से मदद होनी चाहिए। सबसे पहले उन्हें डिब्बाबंद दूध वाली कंपनियों के घातक प्रचार प्रसार से बचाना होगा। गर्भवती महिलाएं जिस अस्पताल में प्रसव कराने जाती है। वहां महिला रोग विशेषज्ञ या प्रशिक्षित स्टाफ़ नर्स होना निहायत ही जरूरी है। प्रसव के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का पीला गाढ़ा दूध पिलाना अनिवार्य होता है। ताकि बच्चे का स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक रहे। स्तनपान कराने को लेकर हम सभी को जागरूकता फैलाने तथा सशक्त कार्यान्वन की आवश्यकता है।


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