राष्ट्रनायक न्यूज

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कोढ़ा व बरारी स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया मरीजों के बीच एमएमडीपी किट वितरित:

  • सीफार की डीसी के नेतृत्व में वितरण सह जागरूकता कार्यक्रम का किया गया आयोजन:
  • शुरुआती दिनों में बीमारी की पहचान कर रोकने में मिल सकती है सफ़लता: डॉ जेपी सिंह
  • मरीज़ों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण: पल्लवी
  • फाइलेरिया के 30 मरीज़ों के बीच एमएमडीपी किट का किया गया वितरण: एमओआईसी
  • फाइलेरिया संक्रमित लोगों को सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत: डॉ यूके सिन्हा

राष्ट्रनायक न्यूज।

कटिहार (बिहार)। फाइलेरिया (हाथी पांव) मरीजों को नियमित रूप से सफाई एवं आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ संक्रमित अंग का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है। ठीक तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोका जा सकता है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले के कोढ़ा एवं बरारी स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया मरीजों के बीच मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेब्लिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) किट वितरण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें फाइलेरिया मरीजों को फाइलेरिया से बचाव एवं साफ-सफाई को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। ज़िला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह ने बरारी एवं कोढ़ा प्रखंड के संक्रमित मरीज़ों के बीच एमएमडीपी किट वितरण की जिम्मेदारी सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च को दी थी।

शुरुआती दिनों में बीमारी की पहचान कर रोकने में मिल सकती है सफ़लता: डॉ जेपी सिंह

ज़िला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह ने बताया कि जिले में फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को नि:शुल्क दवाएं दी जाती हैं। फाइलेरिया में या तो व्यक्ति के हाथ-पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाती है। फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। अभी तक इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं हुआ है। हालांकि शुरुआती दिनों में बीमारी की पहचान कर इसे रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित लोगों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करते रहना चाहिए। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करती है।

मरीज़ों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण: पल्लवी

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की जिला समन्वयक पल्लवी कुमारी ने बताया कि जिले में आशा कार्यकर्ताओं एवं आशा फैसिलिटेटर को फाइलेरिया संक्रमित मरीज़ों की खोज अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक जानकारी देकर प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यक्रम के तहत केयर इंडिया एवं सीफार की ओर से प्रखंड समन्वयक भी सहयोग कर रहे हैं। डोर टू डोर भ्रमण कर बीसी एवं आशा कार्यकर्ताओं द्वारा फाइलेरिया के मरीजों की पहचान की जा रही है। खोज होने के बाद मरीजों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से बेहतर उपचार की सुविधा मुहैया करायी जा रही है। फाइलेरिया संक्रमित लोगों को प्रत्येक महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन के साथ ही शरीर में बेचैनी होने की शिकायत रहती है। मरीज़ों में एक्यूट अटैक होने के बाद पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए। भींगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेट कर हमेशा रहना चाहिए। ताकि संक्रमण फैलने की आशंका दूर रहे। मरीज़ों के बीच एमएमडीपी किट वितरण के बाद ग्रसित अंगों को विशेष रूप से सफाई करने को लेकर विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।

फाइलेरिया के 30 मरीज़ों के बीच एमएमडीपी किट का किया गया वितरण: एमओआईसी

कोढ़ा स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि स्थानीय प्रखंड के फुलवरिया, बसगढ़ा एवं बिसनपुर गांव के 30 फाइलेरिया मरीज़ों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया। इस अवसर पर केटीएस अमरनाथ सिंह, केयर इंडिया के बीसी ओंकार ठाकुर, सीफार के बीसी अंशुमन कुमार की देखरेख में मरीजों को किट दिया गया। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए समय-समय पर विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके लिए अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा भी सहयोग किया जाता है। अपने घर के आसपास एवं अंदर सफाई का विशेष रूप से ख़्याल करना चाहिए। क्योंकि मच्छर के काटने से फाइलेरिया बीमारी फैलता है। इसीलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए।

फाइलेरिया संक्रमित व्यक्तियों को सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत: डॉ यूके सिन्हा

बरारी स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ यूके सिन्हा ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को हाथी पांव वाले जगह को पानी से रगड़-रगड़ कर धोने चाहिए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिले दवा को समय-समय पर खाना चाहिए। फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को स्वउपचार किट देने के साथ ही उन्हें ध्यान रखने के लिए आवश्यक उपायों की जानकारी भी दी गई। सोते समय हाथों एवं पैरों सहित अन्य खुले भाग पर सरसों या नीम का तेल लगा कर सोने से मच्छर का भय कम रहता है। वहीं हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो उसकी नियमित रूप से सफ़ाई करना सेहत के लिए लाभदायक होता है। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के 20 मरीज़ों को एमएमडीपी किट दिया गया। इस अवसर पर बीसीएम मरगूब आलम, केटीएम सुबोध कुमार, सीफार के बीसी अमित कुमार एवं आशा फेसिलिटेटर नीलू कुमारी सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।