राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन और पचमेल के संयुक्त तत्वावधान में जिला परिषद के सभागार में रविवार को भोजपुरी, हिन्दी और उर्दू का बहुभासी काव्य गोष्ठी का आयोजन डॉ० कुमार विरल की अध्यक्षता में किया गया। साथ ही विद्याभूषण सिंह की पुस्तक भूषण ‘हनुमत गाथा’ का लोकार्पण पूरी भी हुआ। कार्यक्रम का सुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो० अरुण कुमार सिंह, प्रो० जयकांत सिंह, डॉ० कुमार विरल एवं कश्मीरा सिंह के द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। प्रो० शकील अनवर के कुशल संचालन में कवि सम्मेलन में कृष्ण मेमन के द्वारा सरस्वती वंदना- ‘मेरे कंठ बसे महारानी’ किया गया। शकील अनवर ने सुनाया कि- हुक उठे जीयरा में छूट गइले साथी, काहे नाहीं बरसल बरखा सेवाती। मोज्ज्म अज्म ने ‘तोहरे के देखी जहाँ हम हो गइनी पागल त ना, आपन के हूं लागे ना, हम हो गइनी पागल त ना पढ़ कर तालियां बटोरी। अमरेन्द्र सिंह बुलेट ने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘ ले लोटा’ पढ़ कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। युवा कवि निखिल कुमार सिंह ने मुक्तक सुनाया कि- रो रहे थे सभी तो हँसाने लगे, प्रेम की इक कहानी सुनाने लगे, दर्द का इक समुंदर है ये ज़िंदगी, जिसमे हँस करके गोते लगाने लगे। कुमार चंदन ने अपनी कविता में कहा- लाल बत्ती पर कभी जब बाइक अपनी रोक देंगे, देखना एक छोटी बच्ची किस तरह करतब दिखाकर पेट अपना पालती है, हम सोचेंगे तुम भी सोचना। वरिष्ठ कवि रिपुंजय निशांत ने अपनी प्रसिद्ध कविता जिनगी गिरवी धराइल सुनाया। देश के ख्याति प्राप्त कवियों ने भाग्य लिया जिसमें गाजीपुर से मिथिलेश गहमरी, बलिया से शशि प्रेमदेव, जयकांत सिंह जय, रविभूषण हँसमुख, रिपुंजय निशांत, दक्ष निरंजन संभू, ओम प्रकाश राजपुरी,कुमार चंदन, निखिल कुमार सिंह, उदय नारायण सिंह, रविन्द्र कुमार , जुनैद मीर, मेंहदी शॉ, अमरेंद्र सिंह बुलेट, कश्मीरा सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ पचमेल के संस्थापक प्रो० पृथ्वीराज सिंह के स्वागत भाषण हुआ।
धन्यवाद ज्ञापन शिवनुग्रह नारायण सिंह ने किया।
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