मनिंद्र नाथ सिंह मुन्ना। राष्ट्रनायक न्यूज।
दिघवारा (सारण)। दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र में स्थित राम जंगल सिंह महाविद्यालय के वीर कुंवर सिंह सभागार में शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें प्रखंड एवं नगर क्षेत्र के सभी सम्मानित शिक्षक जो पूर्व में सेवानिवृत्त हो चुके हैं व वर्तमान में कार्यरत हैं, उनका सम्मान किया गया । इस सम्मान समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के अध्यक्ष सह सामाजिक कार्यकर्ता अशोक सिंह ने किया। वही सभा का संचालन चंद्रशेखर भारद्वाज ने किया। अशोक सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जिंदगी पर प्रकाश डाला और बताया की कैसे एक समाजसेवी, हिंदू विचारक, हिंदू धर्म के प्रचारक शिक्षा के प्रति संवेदनशील व्यक्ति भारत के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया। वह भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति बनने वाले प्रथम व्यक्ति थे । उनके द्वारा देश के अंदर निभाए गए सामाजिक दायित्व एवं सांस्कृतिक मूल्यों के लिए उन्हें सन 1954 ई0 में भारत सरकार के द्वारा भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया था। उनके समक्ष उनके समर्थकों द्वारा जब उनके जन्मदिन मनाने की बात कहीं गई, तो उन्होंने कहा कि मेरा जो जन्मदिन आप मनाने की बात कर रहे हैं। वह मेरा जन्मदिन ना मना कर उन शिक्षकों को समर्पित कर दें, जिनका इस देश के नवनिर्माण में अमूल्य योगदान है और हमेशा देते रहेंगे यही मेरी ओर से शिक्षकों के प्रति मेरे सम्मान है और इस दिवस को हमेशा शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाए। सभा में मुख्य अतिथि सारण जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष सह जद यू के प्रदेश के नेता बैजनाथ सिंह विकल ने अपने संबोधन में कहा की डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति रहे । वे भारतीय संस्कृति के वाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिंदू विचारक थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1988 ईस्वी में हुआ था और वे 17 अप्रैल 1975 ईस्वी को इस दुनिया को छोड़ गए। तमिलनाडु के तिरूतली गांव के रहने वाले थे ।उनकी शिक्षा मद्रास के क्रिश्चियन कालेज में हुई थी। वे एक हिंदू विचारक के रूप में पूरे विश्व में हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार किए।वे स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते थे। उनका मानना था कि देश के शिक्षक राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश के भविष्य की नींव शिक्षकों के द्वारा मजबूत की जा सकती है। जब उनके समर्थक उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे, तो वे बोले कि अगर मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हो इस दिन को शिक्षकों को समर्पित कर शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाए। जिससे उन सभी शिक्षकों को सम्मान मिले जो राष्ट्र निर्माण में लगे हैं। इस अवसर पर जयनंदन राय, विद्या राय, राजकुमार चौरसिया, शकुंतला मंडल, मजहर हुसैन, मोहम्मद रियाज आलम, मोहम्मद मुख्तार, अमित कुमार, प्रोफेसर उमेश सिंह, विजय कुमार सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद सभा में आए हुए सेवानिवृत्त एवं सेवारत शिक्षकों का सम्मान किया गया।
सम्मान पाने वाले शिक्षक निम्न है: जय नंदन राय, विद्या राय, राजकुमार चौरसिया, भरत चौरसिया, चतुरगुण चौरसिया, शिवपूजन ठाकुर, शकुंतला मंडल, मुन्नी देवी, मीरा देवी सरोज देवी प्रभावती देवी, इंदु देवी, मोहम्मद मुख्तार, आशा देवी, मोहम्मद रियाज आलम, मजहर हुसैन, अमित कुमार प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, राजीव शरण, उमेश प्रसाद, सुभाष मिश्रा, राम विनोद सिंह चौहान आदि थे।







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