राष्ट्रनायक न्यूज

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पोषण देखभाल की शुरुआत प्रत्येक घर से हो: पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के अतिकुपोषित बच्चों एवं माताओं को दी गयी पोषण की जानकारी, बैठक का किया गया आयोजन

  • गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं तक संपूर्ण पोषण की पहुंच बनाना पहला लक्ष्य: जिलाधिकारी

राष्ट्रनायक न्यूज।

कटिहार (बिहार)पोषण के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने एवं जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पोषण अभियान कार्यक्रम विगत एक सप्ताह से ज़िले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर चल रहा है। इस क्रम में सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में 12 आवासित अति कुपोषित बच्चों एवं उसके अभिभावक माताओं को पोषण की जानकारी देने के लिए बैठक का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी उदयन मिश्रा ने बताया कि 6 वर्ष से कम आयु के बच्‍चों, गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं में पोषण को बढ़ावा देने की महत्‍वाकांक्षी योजना पोषण अभियान का हिस्‍सा है। बच्चों एवं गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे संपूर्ण पोषण तक उनकी पहुंच बढ़ाना है। इस अवसर पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके देव, डॉ अमित कुमार, डॉ अरशद आलम, डॉ आशिफ नवाज़, डॉ पूनम, अस्पताल प्रबंधक भवेश कुमार, पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी मज़हर अमीर, पोषण विशेषज्ञ रानी कुमारी, स्टाफ़ नर्स महेंद्र, देवेंद्र, रामचरण, ओम प्रकाश, आशीष, निरंजन निराला, कुमार अभिषेक आनंद, केशव कुणाल सहित कई अन्य कर्मी उपस्थित थे।

बच्चों की माताओं के साथ भी हुई बैठक: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ डीएन झा ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्रों में आवासित बच्चों के बीच जागरूकता पैदा करने को लेकर विभिन्न तरह के कार्यक्रमों की श्रंखला तैयार की गई है। उसी के तहत एनआरसी में शिशु रोग विशेषज्ञ, पोषण विशेषज्ञ, स्टाफ़ नर्स के साथ ही केंद्र में रह रहे बच्चों के माताओं के साथ बैठक का अयोजन कर पोषण से संबंधित जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्‍त गर्भवती एवं नवजात शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं की पहचान कर उन तक पहुंच बनाने की तैयारी की गई है।

उम्र के अनुसार पौष्टिक आहार देना जरूरी: डीपीएम

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया पोषण अभियान का मुख्‍य उद्देश्‍य कुपोषण की समस्‍या को  प्राथमिकता के आधार पर काबू पाना है। सरकार ने पोषण 2.0 के तहत पोषक तत्‍व, वितरण, पहुंच व परिणाम को सुदृढ बनाने के अलावा स्‍वास्‍थ्‍य, कल्‍याण, रोग एवं कुपोषण के प्रतिरोध की क्षमता बढाने पर ध्‍यान केंद्रित किया है। बच्चों का बौद्धिक विकास के लिए पौष्टिक आहार उसकी उम्र के अनुसार हम सभी को अपने स्तर से या पोषण विशेषज्ञ, आशा कार्यकर्ता, एएनएम या चिकित्सकों द्वारा बतायी गयी मात्रा के अनुसार देना चाहिए।

पोषण देखभाल की शुरुआत प्रत्येक घर से होनी चाहिए: उपाधीक्षक

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आशा शरण ने बताया कि प्रत्येक बच्चें एवं उसकी मां को विशेष रूप से पौष्टिक आहार के रूप में भोजन को समय-समय पर लेना चाहिए। जिससे गर्भवती महिलाओं को प्रसूति के समय किसी भी तरह से कोई समस्या नही आए। इसके साथ ही नवजात शिशुओं को जन्म देने के बाद लगातार छः महीनें तक मां का दूध पिलाना अनिवार्य होता है। क्योंकि सभी अभिभावकों को अपने नौनिहालों का ख़्याल विशेष रूप से किया जाता है। छः महीनें तक मां का दूध देने के बाद ही समय-समय पर अंकुरित आहार देना चाहिए।