- राज्यपाल की अधिसूचना वर्ष 1978 में दिघवारा अधिसूचित क्षेत्र समिति का गठन हुआ
- अधिसूचित क्षेत्र समिति दिघवारा के प्रथम वाइस चेयरमैन सह चेयर पर्सन रामचंद्र सिंह पथिक हुए
- सामान्य वर्ग महिला से प्रथम मुख्य पार्षद पूनम देवी हुई
मनिंद्र नाथ सिंह मुन्ना। राष्ट्रनायक न्यूज।
दिघवारा (सारण)। राजू पाल की अधिसूचना से वर्ष 1978 में द्वारा अधिसूचित क्षेत्र समिति का गठन हुआ था, तब 27 सदस्यीय वार्ड काउंसलर मनोनीत होते थे तथा वाइस चेयरमैन पद ही चेयर पर्सन होते थे। 1978 में अधिसूचित क्षेत्र समिति में सर्वप्रथम चेयर पर्सन रामचंद्र सिंह पथिक बने । जिनका कार्यकाल लगभग 4 वर्षों का रहा वे 1981 में अपने पद से त्यागपत्र दे दिए। फिर 1981 से 1985 तक रामानंद सिंह चेयर पर्सन बने। 1985 से 1990 तक युगल किशोर प्रसाद रहे, इसके बाद 1990 से 2002 तक सबसे अधिक समय तक अजीत कुमार सिंह इस पद पर रहे। इसी बीच 1995 में मोहम्मद शब्बीर हुसैन को चेयर पर्सन पद पर मनोनीत किया गया जो लगभग एक माह तक इस पद पर रहे जिन्हें हाई कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया। 2002 में इसे नगर पंचायत का दर्जा मिला और 14 वादों का गठन हुआ। दर्जा मिलने के बाद प्रथम बार पुरुषोत्तम कुमार महाराज नगर अध्यक्ष हुए। वर्ष 2007 में वार्डो के परिसीमन के बाद इसे वृद्धि कर 14 किस जगह 18 वार्ड वाले नगर पंचायत बना दिया गया और चेयरमैन का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ, यह पद मुख्य पार्षद कहलाने लगा। जिसका जिसका प्रथम मुख्य पार्षद अनुसूचित जाति की महिला फुल कुमारी देवी बनी, 2012 में दुलारी देवी मुख्य पार्षद बनी। फिर 2017 में वह पद नए परिसीमन के आधार पर सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ। इसके बाद इस पद पर अनुसूचित जाति की महिला एवं बिहार सरकार के श्रम मंत्री सुरेंद्र राम की माता कलावती देवी मुख्य पार्षद बनी। फिर आधे कार्यकाल के बाद सामान्य वर्ग की महिला पूनम देवी मुख्य पार्षद बनी।
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