राष्ट्रनायक न्यूज।
एकमा (सारण)। लोक आस्था का पर्व जिउतिया का अनुष्ठान महिलाओं ने रविवार को किया। व्रत में कठिन निर्जला उपवास रखना होता है। इसलिए घरों में पतिदेव को रसोई की कमान संभालनी पड़ी। क्योंकि व्रत में महिलाओं को रसोई में जाना वर्जित होता है। ऐसे में छोटे परिवारों को पसंद करने वाले परिवार के मुखिया यानी पतिदेव को सुबह और शाम का नाश्ता और खाना भी बनाना पड़ा। इस संबंध में नरहनी गांव निवासी संजीत कुमार अकेला ने बताया कि पत्नी व्रत का उपवास रही। दिनभर इसके कारण अपना काम निपटाने के अलावा किचन की भी कमान स्वयं संभालना पड़ा। वहीं नचाप गांव निवासी विभूति नारायण तिवारी ने बताया कि यह व्रत कठिन होता है। इसमें जल व फल का भी सेवन करना वर्जित होता है। ऐसे में स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बदलते समय में इस पर्व के कठिन तरीकों में सुधार की जरूरत है। शिक्षक छविनाथ मांझी ने बताया कि पत्नी के लिए सुबह पारण का खाना हमें ही बनाना पड़ेगा। व्रत की पवित्रता के बारे में शिक्षक डॉ शशि भूषण शाही व कमल कुमार सिंह बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी हादसे में बाल-बाल बच जाता है तो हमारे यहां कहा जाता है कि उसकी मां ने खर जिउतिया व्रत का विधि विधान से अनुष्ठान जरूर किया होगा।


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