राष्ट्रनायक न्यूज। हिंदू पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। पितृपक्ष के दौरान पड़ने के कारण भगवान विष्णु के पूजन से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.जो लोग सभी तरह के कष्टों से छुटकारा पाकर सुख-समृद्धि और मृत्यु के मोक्ष की प्राप्ति करना चाहते है पितृपक्ष में पड़ने वाले इंदिरा एकादशी का व्रत करते है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा पाठ करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.इस व्रत का मुख्य उदेश्य यह रहता है कि पुर्बजो को मोक्ष्य देना मृत आत्मा को नरक से नहीं गुजरना पड़े। यह व्रत करने के एक दिन पहले दशमी तिथि को पूर्वजों को विशेष पूजन किया जाता है। इसलिए इसे श्राद्ध की एकादसी कहते है।
कब है इंदिरा एकादसी
21 सितंबर 2022 दिन बुधवार को मनाया जायेगा .
इंद्रा एकादसी पारण मुहूर्त :
22 सितंबर 2022 दिन गुरुवार सुबह 06 : 03 मिनट से लेकर 08 :04 मिनट तक पारण कर सकते है .
हरिवासर समाप्त होने होने का समय :
22 सितंबर 2022 को सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक हरिवासर रहेगा .
इंदिरा एकादसी व्रत की विधि :
- जो व्रत करने वाले होते है वह दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी के किनारे तर्पण की विधि करें.
- तर्पण विधि के होने के बाद ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें.दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें.
- एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें.
- एकादशी के दिन फिर से श्राद्ध तथा तर्पण विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद गाय, कौए और कुत्ते को भी जो खाना बना है उसमे से खिलाये।
- द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें.
इंदिरा एकादशी के दिन न करें ये काम :
एकादशी के दिन तामसी भोजन नहीं करे। इस दिन भोग-विलास से दूर रहना चाहिए। एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए और न ही बाल, दाढ़ी नहीं बनाना है। नाखुन नहीं काटना है। इस दिन झूठ बोलना, निंदा करना, चोरी करना, गुस्सा करना जैसे काम नहीं करने चाहिए।
इंदिरा एकादशी कथा:
किसी समय इंद्रसेन नामक राजा भगवान विष्णु के परम भक्तों में से एक थे. वे भगवान के बहुत बड़े उपासक थे. एक दिन नारद जी इंद्रसेन के मृत पिता का समाचार लेकर उनकी सभा में पहुंचे. वहां पहुंचकर नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पहले जब वे यमलोग गए थे तो उनकी मुलाकात राजा के पिता से हुई. राजा कि पिता ने नारद जी को बताया कि उसने अपने जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें मुक्ति नहीं मिल पाई. नारद जी ने राजा को बताया कि पिता को मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें आश्विन मास की इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा. जिसके परिणामस्वरूप उनके पिता को मोक्ष प्राप्त हो सकता है. पिता का संदेश सुनकर राजा इंदिरा एकादशी का व्रत करन के लिए तैयार हो गए. फिर उन्होंने नारद जी से इस व्रत का विधान पूछा. जिसके बाद नारद जी ने राजा को इंदिरा एकादशी की पूरी विधि बताई.नारद जी द्वारा बताई विधि के मुताबिक राजा इंद्रसेन ने व्रत का संकल्प लिया. साथ ही इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा, पितरों का श्राद्ध, ब्राह्मण को भोजन और दान इत्यादि कर्म किए. जिसके फलस्वरूप राजा के पिता को बैकुंठ की प्राप्ति हो गई. इसके अलावा राजा इंद्रसेन भी मृत्यु के बाद बैकुंठ को प्राप्त किए.
संजीत कुमार मिश्रा, ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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