राष्ट्रनायक न्यूज।
नगरा (सारण)। लोक आस्था का महापर्व छठ करीब आ रहा है। लेकिन सारण जिले के नगरा प्रखण्ड के खैरा पंचायत स्थित प्रसिद्ध खैरा मठ के ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में तलाब के तट पर बना मुख्य दो छठ घाट, जनप्रतिनिधियों और सरकारी तंत्र की उपेक्षा का शिकार बना है। इससे घाट पर छठ पूजा करने वाले श्रद्धालुओं में निराशा के साथ गुस्सा भी प्रकट हो रहा है।
खांकी बाबा ने लगभग 5.5 बीघा के भू- भाग में खैरा मठ के साथ मंदिर और तलाब का किया था निर्माण
कहा जाता है कि इस मठ के अंदर बने छठ घाट की धार्मिक प्रसिद्धि को देखते हुए वर्षों पूर्व महंथ खांकी बाबा ने तालाब सह छठ घाट के साथ मंदिर का निर्माण कराया था। वहीं तालाब में उतरने और छठ व्रतियों को अर्ध अर्पण के लिए सीढ़ी का निर्माण कराया गया था। पर जैसे जैसे समय गुजरता गया मठ के अंदर बने छठ घाट और पोखर की स्थिति, जनप्रतिनिधियों और सरकारी तंत्र की उपेक्षा के कारण देख रेख के आभाव में खराब होती गई। आज पोखर और छठ घाट की स्थिति ऐसी बन चुकी है की पोखर में जाने के लिए सीढ़ी जगह जगह टूट चुकी है। वहीं बाजार की गंदगी और अन्य अपशिष्ठ पदार्थों को स्थानीय लोग घाट की सीढ़ियों पर ही फेंक कर तलाब में जाने का रास्ता अवरूद्ध कर दिये है। जिससे यह अब अनुपयोगी बन गया है। छठ की महता और खैरा मठ की प्रसिद्धि के अनुरूप आज भी छठ घाट विकसित नहीं हुआ है। यहां मंदिर परिसर में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।
खैरा मठ का है प्राचीन इतिहास, अपने पास रखा है अकूट सम्पति
स्थानीय लोग बताते हैं कि खैरा मठ में स्थापित ठाकुरबाड़ी मंदिर के साथ मठ परिसर में भगवान शिव के साथ ही संतोषी मां, बजरंग बली की मंदिर है जो स्थानीय लोगों के साथ ही आप-पास के अन्य प्रखण्डों के लोगों की भी आस्था का केंद्र है। यह प्राचीन मठ है, कई पीढ़ी से लोग यहां पर पूजा के साथ ही आसपास के क्षेत्रों से लोग शादी विवाह भी करने के लिए आ रहे हैं। जानकार बताते है कि खांकी बाबा ने ही लगभग 5 बीघा 13 कठ्ठा एवं 7 धुर के भू- भाग के साथ खैरा मठ की स्थापना किया था। उनके मरोपरान्त मठ की देख रेख मदन मोहन दास और माई राम के हाथों से संचालित हो रहा है इनके बाद मदन मोहन दास ने ही रामदास बाबा को खैरा मठ का उत्तराधिकारी बनाया गया था। जिसके बाद से अभी तक इन्हीं के देख रेख में खैरा मठ का संचालन होता आ रहा है। आपको बताते चले की लगभग 5 बीघा 13 कठ्ठा एवं 7 धुर के इतने बड़े भूभाग में स्थापित खैरा मठ में अनेक देवी देवताओं के मंदिरों के साथ एक बड़ा तलाब भी है जिसमें मछली पालन से प्रति वर्ष लाखों रूपये की राजस्व की वसूली होती है। वहीं मठ के जमीम में ही लगभग 150 से 200 दूकाने भी संचालित होने के साथ ही मठ के जमीन में ही बाजार लगाता है जिससे राजस्व की वसूली भी होती है। जो सीधे मठ के महंथ रामदास बाबा के पास जाती है। आपको बताते चले की खैरा मठ के महंथों के द्वारा जमीन दान करने के फलस्वरूप स्कूल, थाना, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति छात्रवास, पंचायत भवन, ग्राम कचहरी भवन के साथ ही विवाह भवन, उप स्वास्थ केन्द्र, आंगनबाड़ी का अपना- अपना भवन भी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बताया की खैरा मठ के पास इतनी अकूट संपति होने के बाद भी आज भी यह अपने विकास की राह देख रहा है।


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