- फाइलेरिया मरीजों को सावधानी रखते हुए ग्रसित अंगों के देखभाल की दी गई जानकारी:
- फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता आवश्यक: डॉ आरपी मंडल
- स्वास्थ्य विभाग की ओर से मरीजों की देखभाल पर दिया जा रहा है ध्यान:
- सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन अभियान द्वारा लोगों को खिलाया जाता है फाइलेरिया रोधी दवा:
राष्ट्रनायक न्यूज।
पूर्णिया (बिहार)। हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है। पूर्णिया जिले में इस दौरान फाइलेरिया क्लीनिक में कार्यक्रम आयोजित कर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) किट का वितरण किया गया। सभी मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल करने और आवश्यक दवाइयों का नियमित उपयोग करने की जानकारी दी गई। इसके अलावा अन्य उपस्थित लोगों को भी फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक जानकारी दी गई। इस दौरान राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक डॉ. वी. के. ठाकुर, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल, भीडीसीओ रवि नंदन, डीएनडीआई डॉ. गौरव मित्रा, एनसीडीओ डॉ. वी. पी. अग्रवाल, केयर इंडिया डीपीओ चंदन कुमार सिंह, सीफार भीएल डीसी ज्योति प्रिया, बीसी निरंजन कुमार, विभास कुमार, सीफार डिविशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर अमन कुमार, पूर्णिया पूर्व बीएचडब्लू अजय सिंह, स्वास्थ्य कर्मी मनीष कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
फाइलेरिया मरीजों को सावधानी रखते हुए ग्रसित अंगों के देखभाल की दी गई जानकारी:
इस कार्यक्रम में सभी फाइलेरिया मरीजों को ग्रसित अंगों के नियमित रूप से देखभाल की जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया है फाइलेरिया ग्रसित होने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में ग्रसित अंगों की सही तरीके से देखभाल जरूरी है। ज्यादातर लोगों के पांव फाइलेरिया से ग्रसित होते हैं जिसे आमतौर पर हाथीपांव भी कहा जाता है। ग्रसित होने पर लोगों को इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है। पांव को नियमित रूप से डेटॉल साबुन से साफ करने के साथ उसमें एंटीसेप्टिक क्रीम लगाना चाहिए। इससे ग्रसित अंगों का आवश्यक नियंत्रण किया जा सकता है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता आवश्यक: डॉ आरपी मंडल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है। विशेष रूप से परजीवी क्यूलैक्स मादा मच्छर के काटने से। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। फाइलेरिया को खत्म करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं हैं लेकिन जागरूक रहकर बचाव करने से इससे उबरा जा सकता है। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह ऐसी गंभीर बीमारी है जो किसी की जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत समान बना देती है। संक्रमित मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं। ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते हैं। इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे खत्म किया जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से मरीजों की देखभाल पर दिया जा रहा है ध्यान:
भीडीसीओ रवि नंदन ने कहा कि जिले में फाइलेरिया के मरीजों की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर एमएमडीपी किट प्रदान किए जाते हैं। सभी प्रखड़ों में आशाओं द्वारा ही कीट के रूप में एक टब, एक मग, कॉटन बंडल, तौलिया, डेटॉल साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम दिया जाता है जिससे सम्बंधित मरीज फाइलेरिया ग्रसित अंगों का ध्यान रख सकें। साथ ही उन्हें फाईलेरिया संबंधित जानकारी भी दी जा रही है कि कैसे लोग इस बीमारी से बच सकते हैं। इसके अलावा बारिश के कारण जिन क्षेत्रों में पानी जमा हो जाती है वैसे क्षेत्रों में नियमित रूप से छिड़काव करवाया जाता है, जिससे मच्छरों को फैलने से रोका जा सके।
सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन अभियान द्वारा लोगों को खिलाया जाता है फाइलेरिया रोधी दवा:
डॉ आर पी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए सरकार द्वारा साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इस दौरान घर घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाती है। सभी लोगों द्वारा लगातार पांच साल तक अगर साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया जाता है तो वे इन बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
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