- साधन के अभाव में किसान स्वयं के श्रम से कर रहे आलू की बुआई।
संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। नवम्बर महीने में एक पखवाड़ा बीतने को है। मगर अबतक रवि फसलो की बुआई रफ्तार नही पकड़ सकी है। किसान भाइयों का कहना है की शुरुआती दौर में मॉनसून के धीमा पड़ने की वजह से धान की बुआई काफी देर से शुरू हुई। ऐसे में अबतक धान की कटाई का कार्य संपन्न नही हो सका है। हालांकि कुछ किसानों द्वारा धान की कटनी दौनी का कार्य शुरू कर दिया गया है। ऐसे में धान की कटनी के बाद ही गेहुँ की बुआई शुरू होने की बात बताई जा रही है। हालांकि मक्के की कटाई के बाद खाली पड़े खेतो में आलू एवं सरसों की बुआई का कार्य चल रहा है। जिसके लिये किसान खेत की तैयारी से लेकर उपयुक्त खाद- बीज के चयन में जुटे है।वही खेत की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस दौरान साधन के अभाव में किसानों को आलू की बुआई में काफी मसक्कत करनी पड़ रही है। हाल के दिनों में बैलों की संख्या काफी कम होने से कुछ साधन संपन्न किसानों को छोड़ दे, तो ज्यादातर निम्नवर्गीय किसानों को स्वयं के श्रम से हल खिंचकर अथवा कुदाल से आलू की बुआई की जा रही है। कई किसानों ने बताया कि दिहाड़ी मजदूरों को रखकर कुदाल से आलू की बुआई कराने में काफी अधिक खर्च का वहन करना पड़ रहा है।
देर से शुरू हो रही है बुआई, उत्पादन पर पड़ेगा असर:
पसुपतिनाथ सिंह,दशरथ राय, बाबूलाल राय,अमित कुमार सहित दर्जनों किसानो ने बताया की नवम्बर महीने के शुरुआत में ही खाली पड़े खेतों में आलू की बुआई कर दी जाती है। जिससे जनवरी महीने में फसल तैयार हो जाती है। ऐसे में उत्पादन भी अच्छा होता है और बाजार भाव भी अच्छा मिल जाता है। मगर अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मूसलाधार बारिश की वजह से खेतों में अत्यधिक नमी होने की वजह से खाली पड़े खेतों में भी बुआई देर से शुरू हो रही है। वही पर्व त्योहार को लेकर भी रवि फसलों की बुआई में देरी होने की बात बताई जाती है। किसानों का कहना है कि इस बार महंगे खाद बीज और महंगी मजदूरी को लेकर आर्थिक संकट के बिच कृषि कार्य करनी पड़ रही है। इधर गेहूँ की बुआई में अभी एक पखवाड़े से अधिक समय लगने की बात बताई कही जा रही है। जबकि गेहूँ की बुआई के लिये 15 नवम्बर से 15 दिसंबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है।
फोटो(साधन के अभाव में शारीरिक श्रम के बल पर आलू की बुआई करते किसान)


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