राष्ट्रनायक न्यूज

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रूपौली प्रखंड के विभिन्न गांवों में ग्रामीण चिकित्सकों के टीबी से संबंधित जागरूकता अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए बनाई गई रणनीति:

  • टीकापट्टी एपीएचसी में ग्रामीण चिकित्सकों की  एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन:
  • टीबी मुक्त अभियान में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका अहम: एमओआईसी
  • यक्ष्मा उन्मूलन में केएचपीटी द्वारा ग्रामीण स्तर पर ग्रामीणों को किया जाता हैं जागरूक: केएचपीटी

राष्ट्रनायक न्यूज।

पूर्णिया (बिहार)। देश को टीबी मुक्त करने में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण है। इसको लेकर ज़िले  के रुपौली प्रखंड अंतर्गत टीकापट्टी गांव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। रेफ़रल अस्पताल रुपौली में विगत जनवरी से अक्टूबर महीने तक 165 मरीजों को चिन्हित किया गया है जबकि 80 मरीज नियमित रूप से दवा सेवन करने के बाद ठीक हो चुके हैं। इस अवसर पर रेफ़रल अस्पताल रुपौली के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार, टीकापट्टी एपीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ भुनेश्वर मंडल एवं टीकापट्टी के यक्ष्मा सहायक उमेश प्रसाद चौधरी, केएचपीटी के जिला समन्वयक विजय शंकर दूबे, प्रखंड समन्वयक श्यामदेव राय के अलावा ग्रामीण चिकित्सकों में राकेश कुमार यादव, बाबुजन कुमार, अरविंद कुमार, रमन कुमार, ललन कुमार, विमल कुमार, बिपिन कुमार ठाकुर, श्रवण कुमार महतो, मनोज कुमार जायसवाल, सुबोध कुमार महतो सहित कई चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे। उपस्थित सभी ग्रामीण चिकित्सकों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार ने लगभग 30 अनौपचारिक ग्रामीण स्वास्थ्य प्रदाताओं को टीबी उन्मूलन के लिए शपथ दिलाई।

टीबी मुक्त अभियान में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका अहम: एमओआईसी

रेफ़रल अस्पताल रूपौली के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार ने बताया कि रुपौली में विगत जनवरी से अक्टूबर महीने तक 165 मरीजों को चिन्हित किया गया है। इनमें 80 मरीज नियमित रूप से दवा सेवन करने के बाद ठीक हो चुके हैं। स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। किसी की भी मामूली रूप से तबियत खराब होने पर लोग सबसे पहले ग्रामीण चिकित्सकों के पास ही जाते हैं। जिस कारण किसी भी तरह की बीमारियों का पता या जानकारी सबसे पहले इन्हीं लोगों के पास होती है। कार्यशाला में उपस्थित ग्रामीण चिकित्सकों को टीबी बीमारी से संबंधित लक्षण, उसका निदान एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की जानकारी दी गई। इसके बाद इनलोगों द्वारा पीएचसी, सीएचसी, रेफ़रल या अनुमंडलीय के अलावा जिला मुख्यालय स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र भेजा जाता हैं।

यक्ष्मा उन्मूलन में केएचपीटी द्वारा ग्रामीण स्तर पर ग्रामीणों को किया जाता हैं जागरूक: विजय शंकर दूबे

कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के जिला कार्यक्रम लीड विजय शंकर दूबे ने सरकार द्वारा यक्ष्मा उन्मूलन को लेकर चलाए जा रहे अभियान के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। मालूम हो कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक देश से यक्ष्मा उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत केएचपीटी द्वारा रूपौली प्रखंड के टीबी प्रभावित गांवों में सामुदायिक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम संचालित किया जाता है। ग्रामीण चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा की रीढ़ माने जाते हैं। इनके पास ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश रोगी पहुंचते हैं, इसीलिए चिकित्सकों से आग्रह किया गया की उनके संज्ञान में आने के बाद टीबी के लक्षण वाले सभी रोगियों को निकटतम बलगम जांच केंद्र तक भेजने में सहयोग करें। सामुदायिक संरचना जैसे जीविका दीदी के साथ भी सभी ग्रामीण चिकित्सक समन्वय स्थापित कर संभावित रोगियों की पहचान कर उनका जांच कराने में सहयोग करें।

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