छपरा (सारण)। जिले के 318 पंचायत, 20 प्रखंड पंचायत समिति एवं 10 नगर निकाय समेत जिला परिषद स्तर पर जैव विविधता समिति का गठन किया जाएगा। इसको लेकर सभी पर कार्य शुरू कर दिया गया है। अभी तक 130 पंचायतों में ही जैव विविधता समिति का गठन किया जा सका है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी एनजीटी में जैव विविधता समिति को लेकर परिवाद दाखिल किया गया था। जिसकी सुनवाई के बाद एनजीटी ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के अंतर्गत ग्राम पंचायत, प्रखंड पंचायत समिति, जिला परिषद एवं नगर निकाय स्तर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु को सुरक्षित करने के उद्देश्य से जैव विविधता समिति का गठन कर कार्य करने के लिए कर आदेश दिया है। जिसके आलोक में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने पंचायती राज विभाग एवं नगर विकास विभाग को समिति गठित करने का है निर्देश दिया है। जानकारों की माने तो समिति गठित करने के लिए पंचायत स्तर ग्राम सभा, प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति की बैठक, जिला परिषद की बैठक एवं सभी नगर निकायों में कार्यपालक पदाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक कर 21 नवंबर तक हीं समिति का गठन करने का निर्देश दिया गया था। बैठक में ही सर्वसम्मति से अध्यक्ष एवं सदस्यों का चुनाव किया जाएगा। लेकिन आश्चर्य की बात है कि अभी तक सभी स्तरों पर समिति का गठन नहीं किया जा सका है। विभागीय जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत स्तर पर मात्र 130 पंचायतों में ही जैव विविधता समिति का गठन किया गया है। वह भी कागज फाइलों में शोभा बढ़ा रहे हैं।
समिति गठित नहीं करने वाले पर 10 लाख का होगा जुर्माना
जिले के त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकाय स्तर ग्राम सभा का आयोजन कर पर जैव विविधता समिति का गठन किया जाना है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि कागज फाइलों में ग्राम सभा आयोजित कर समिति का गठन कर दिया जा रहा है। जो सरकारी सिस्टम पर बड़ा ही यक्ष प्रश्न है। जानकारों की माने तो
जहां भी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद एवं नगर निकायों स्तर पर जैव विविधता समिति का गठन नहीं किया गया है, उसे संस्थान पर 10 लाख का जुर्माने का प्रावधान किया गया है। लेकिन अभी तक करीब 188 ग्राम पंचायत में समिति का गठन नहीं किया जा सका है। लिहाजा एनजीटी को जानकारी मिलने पर बड़ा कार्रवाई हो सकता है।
bmcbihar.in पोर्टल पर समिति का डाटा होगा अपलोड
त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में जैव विद्या समिति का गठन करने के उपरांत संपूर्ण डेटा को bmcbihar.in पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। जानकारी के अनुसार पोर्टल पर ग्राम पंचायत स्तर के पंचायत सचिव, पंचायत समिति स्तर के कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद स्तर पर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी तथा नगर निकाय के कार्यपालक पदाधिकारी के मोबाइल नंबर से रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इस दौरान प्राप्त यूजर आईडी व पासवर्ड के माध्यम से ही समिति के डाटा की प्रविष्टि की जाएगी।
इन नगर निकाय में गठित होगा जय विविधता समिति
जिले के नगर पंचायत रिविलगंज, सोनपुर, दिघवारा, परसा, मढ़ौरा, एकमा बाजार, मांझी, कोपा, मसरक एवं छपरा नगर निगम में जैव विविधता समिति का गठन किया जाएगा।
समिति में होगे 7 सदस्य, महिला एवं अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को रखना होगा अनिवार्य
जैव विविधता समिति में अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों की सहमति से जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 41 ( 1 ) एवं जैव विविधता नियम, 2004 के नियम – 22 और बिहार जैव विविधता नियमावली, 2017 की नियम-25 के आलोक में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन किया जाएगा। इनमें अध्यक्ष पद के साथ-साथ 6 सदस्य होंगे इनमें एक सदस्य अनुसूचित जाति समुदाय दो महिला एवं 2 सदस्य, एक सदस्य सचिव अन्य वर्ग से रखना अनिवार्य किया गया है। बैठक में चुनाव के दौरान सबसे पहले सदस्य का चुनाव किया जाएगा। इसके बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव किया जाएगा। चुनाव कराने के बाद सभी का प्रतिवेदन जिला पंचायत राज पदाधिकारी को भेजा जाना है। ताकि विभागीय स्तर पर अग्रेत्तर करवाई किया जा सके।
समिति के गठन में जनप्रतिनिधि व पदाधिकारी, कर्मी नहीं ले रहे हैं रुचि
जिले के त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में जैव विविधता कमिटी गठित करने को लेकर स्थानीय स्तर के जनप्रतिनिधि रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इनके साथ-साथ इन संस्थाओं के स्तर पर कार्यरत पदाधिकारी व कर्मी भी उदासीन दिख रहे हैं।जानकारों की माने तो जैव विविधता समिति का कार्य और दायित्व के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण समिति का गठन बाधित है। लोगों को कहना है कि जैव विविधता समिति के बारे में प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। ताकि सामाजिक जागरूकता पैदा हो सके और इसके महत्व की जानकारी प्राप्त हो सके। लेकिन आश्चर्य की बात है कि विभागीय स्तर पर जैव विविधता को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाने की दिशा में विभागीय स्तर कोई पहल नहीं किया गया है। जिसका सीधा प्रभाव समिति के गठन पर पड़ रहा है।
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