- सामर्थ्य होते हुए भी दूसरे की सहायता नही करने वाला व्यक्ति पशु के समान होता है।
- शुभ कार्य करने वाले व्यक्ति का कभी नाश नही होता।
संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। कई जन्मों के पुण्य से मानव तन की प्राप्ति होती है।ऐसे में मानव जीवन के मूल्यों की सार्थकता इसी में है,कि वह दूसरों के काम आए।यदि शक्ति और सामर्थ्य होते हुए भी व्यक्ति दूसरों की सहायता नही करता है तो वह मानव तन धारण करने के बाद भी पशु के समान है।उक्त बाते प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या से पधारे शुभम जी महाराज ने प्रखंड क्षेत्र के चेतन छपरा मोड़ पर रामचरित मानस नवाह्न पाठ के 52 वाँ वार्षिक अधिवेशन के आठवे दिन बुधवार को कथा श्रवण को पहुँचे श्रद्धालु भक्तो को सम्बोधित करते हुए कही।महाराज जी ने प्रवचन के दौरान ‘परहित सरस धर्म नही भाई’ की व्यख्या करते हुए कहा की अपने लिये तो सभी जीते है,पर दुसरो के लिये कितना जिया इसी से जीवन की सार्थकता का पता चलता है।परोपकार से मानव के अंतःकरण में पवित्रता के संस्कार संचित होते है।जो उसे शुभ गति प्रदान करते है।शुभ कार्य करने वाले का कभी नाश नही होता है,न ही दुर्गति होती है।ऐसे लोगो की परमेश्वर हर समय रक्षा करते है।कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद भी संतो के श्रीमुख से प्रवचन श्रवण को लेकर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ रही है।वही नवाह्न पाठ को लेकर यज्ञ स्थल सहित आसपास का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।जहाँ यज्ञ समिति के सभी सदस्य यज्ञ को सफल बनाने में तन्मयता से जुटे है।
फ़ोटो(प्रवचन के दौरान मंचासीन शुभम जी महाराज)।


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