- हाथी पांव जैसे गंभीर बीमारी से बचाव के लिए एमडीए जरूरी
- मरीजों का जीवन बोझिल और कष्टकारी बना देती है फाइलेरिया
- स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार करने में निभाएं जिम्मेदारी
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। फाइलेरिया बीमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक गंभीर समस्या है। यह जान तो नहीं लेती है, लेकिन जीवन को बोझिल एवं कष्टकारी जरुर कर देती है। समान्यत: इसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। हाथीपांव फाइलेरिया का सबसे विकराल स्वरूप है जिससे एक सामान्य व्यक्ति कई किलोग्राम का अतिरिक्त वजन अपने पैरों में लादकर जीने पर मजबूर हो जाता है। हाथीपांव शारीरिक अपंगता में तब्दील हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया विकलांगता का दूसरा बड़ा कारण है। इसकी रोकथाम आसान है। साल में एक बार होने वाले एमडीए में दवा खाने से इसकी रोकथाम संभव है। दस फरवरी से जिले में फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाना है। जिसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगे। इस दवा का सेवन सिर्फ इसलिए नहीं करना है कि फाइलेरिया से बचाव होगा, बल्कि रोग जनित गंभीर समस्याओं से बचने का तरीका भी है.
26 सालों से लड़ रहा हूँ फाइलेरिया से :
‘‘मुझे 26 वर्षों से हाथीपांव है। इतने सालों से मैं पैरों में कई किलोग्राम का अतिरिक्त वजन लेकर चलने को मजबूर हूँ। अगर मेरे समय ऐसे ही फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाती तो मैं आज हाथीपांव का रोगी नहीं होता। लेकिन अब फाइलेरिया से बचाव के लिए विभाग सजग है एवं घर-घर जाकर सभी को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जा रही है। मैं भी इस मुहिम को सफल बनाने के लिए में नेटवर्क के जरिए निरंतर प्रयास कर रहा हूँ। मेरी सभी से अपील है कि 10 फरवरी से शुरू होने वाली एमडीए राउंड में दवा का सेवन जरूर करें ताकि मेरे जैसा किसी भी व्यक्ति को इस गंभीर बीमारी का सामना नहीं करना पड़े। फाइलेरिया मुक्त समाज के संकल्प को साकार करने में अपना योगदान जरुर दें’’।
बोआ लाल महतो, सदस्य, पेशेंट नेटवर्क सपोर्ट खरीका, सोनपुर
हाथीपांव का बोझ लेकर जीवन जीते नजदीक से देखा है:
‘‘मेरे घर में मेरे दादा जी अनिल भगत को 50 वर्षों से हाथीपांव है। यह बीमारी व्यक्ति के जीवन में कितनी मुश्किलें खड़ी करता है इसे मैंने बहुत नजदीक से महसूस किया है। मैनें करीब से दादा जी के जीवन को देखा है कि कितना कष्ट में वह अपना जीवन यापन करते रहे हैं है। इसलिए मैं कहना चाहती हूं कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 10 फरवरी से चलाये जाने वाले एमडीए अभियान में सभी लोग सहभागी बने और दवा का सेवन जरूर करें, ताकि हमारे गांव और समाज में किसी और व्यक्ति को हाथीपांव नहीं हो। एक छात्रा होने के नाते मैं अपने वर्ग के सभी छात्रों को भी जानकारी दूंगी’’।
रेखा कुमारी, कौरू धौरू, मांझी सारण
गांव में अधिक है हाथीपांव के मरीज:
‘‘मेरे गांव में मैने देखा कि हाथीपांव के मरीज काफी संख्या में है। यह एक ऐसी बीमारी है जिससे व्यक्ति शरीरिक रूप से तो अपंग बन ही जाता है साथ ही वो मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। मैने पिछले साल भी फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन किया था, ताकि मेरे घर परिवार में यह बीमारी किसी को न हो। इस बार में हमलोग दवा का सेवन करेंगे और आस-पास के लोगों को भी प्रेरित करेंगे।
प्रदीप सिंह, मांझी, सारण
युवाओं को भी करना चाहिए दवा का सेवन:
‘‘मैं एक युवा हूँ और मुझे लगता था कि इस दवा का सेवन नहीं करने से कुछ होने वाला नहीं है। लेकिन जब मैने कई ऐसे युवाओं को देखा जो मेरे उम्र के है उनको भी यह हाथीपांव जैसी गंभीर बीमारी हो गयी है। तब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि यह दवा का हम सबको खानी है, मैने पिछले साल दवा का सेवन किया था। इससे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई’’।
डब्लू कुमार, वाजितपुर, सोनपुर सारण
दवा खाने को है तैयार:
‘‘पिछली बार आशा दीदी के द्वारा मुझे और परिवार के सभी सदस्यों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलायी गयी थी। किसी को कोई परेशानी नही हुई। यह दवा सभी को खाना चाहिए। क्योंकि फाइलेरिया से बचाव का एक मात्र उपाय है दवा का सेवन करना। मेरी सबसे अपील है कि 14 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए राउंड में दवा का सेवन जरुर करें’’।
विध्यांचल कुवंर, मझनपुरा, वार्ड 13 सारण
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