राष्ट्रनायक न्यूज

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वैज्ञानिक तरीके से भिंडी की खेती कर जिले के किसान‎ कर सकते है ज्यादा उत्पादन और दोगुनी आय

राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण)। हमारे भोजन में हरी और ताजा भिंडी बहुत ही लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। इसकी ‎मांग बाजार में वर्ष भर रहती है। भिंडी में कार्बोहाईड्रेट, कैल्शियम, प्रोटिन, विटामिन ए, बी, सी, फास्फोरस जैसे अनेक गुणकारी तत्व पाए जाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी भिंडी‎ का सेवन लाभकारी माना जाता है। किसान फरवरी व मार्च महीने में भिंडी की खेती को ‎ ‎ वैज्ञानिक तरीके से कर के अच्छी पैदावार व ‎ ‎ मुनाफा कमा सकते हैं। भिंडी उत्पादक‎ किसानों को पहले भिंडी तोड़ने में हाथ नोचने‎ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।‎ लेकिन कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बहुत कम कीमत‎ में भिंडी तोड़ने की मशीन विकसित करने के‎ बाद किसानों की यह समस्या भी अब दूर हो‎ गई है। किसान गरमा व बरसाती दो सीजन में‎ भिंडी की फसल को लगाते हैं। गरमा यानि अगेती फसल की बुआई किसान अभी कर‎ सकते हैं। भिंडी से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने‎ के लिए काशी लालिमा, अर्का, अनामिका‎ आदि जैसी प्रजातियों के भिंडी को लगाकर‎ बेहतर से बेहतर उत्पादन प्राप्त करते हैं। अभी‎ हाल में ही विकसित भिंडी की प्रजाति पूसा‎ भिंडी 5 काफी बेहतर प्रजाति है। इससे दो,‎ तीन या इससे अधिक कल्ले निकलते हैं।‎ जिससे उत्पादन बढ़ जाता है। ऐसे तो भिंडी में‎ किसी खास तरह बीमारी नहीं लगती। लेकिन‎ इसमें लगने वाली बीमारी येलो वेन मोजायक‎ वायरस काफी खतरनाक है। इस बीमारी से‎ पत्तियों पर पीले-पीले धब्बे पड़ जाते हैं।‎ संक्रमण जब तेज होता है तो पौधे मर जाते हैं।‎ यह बीमारी एक वायरस है इसलिए इसका‎ कोई खास दवाई उपलब्ध नहीं है। यह बीमारी‎ भिंडी में न लगे इसके लिए किसान रोग‎ प्रतिरोधक प्रजातियों का चयन करें। बुआई‎ करने से पहले बीज को हर हाल में उपचारित‎ करें। खेतों की मिट्टी में जरूरत के अनुसार‎ फ्यूराइडन जैसे कीटनाशक भी मिलाएं। यह‎ बीमारी अगर भिंडी की फसल में लग जाए तो‎ किसान संक्रमित पेड़ को उखाड़ कर उसे एक‎ पॉलिथीन में डालकर बाग से बाहर ले जाकर‎ उसे जला दें।‎

भिंडी की खेती के लिए बलुई व‎ दोमट मिट्टी है खेती के लिए सबसे उपयुक्त‎:

भिंडी की खेतीे लिए बलुई और दोमट मिट्टी‎ उपयुक्त मानी जाती है। अच्छी पैदावार के‎ लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 6.8 के‎ बीच होना चाहिए। किसान भिंडी की बुआई‎ करने से पहले खेत की 3 से 4 बार जुताई‎ करके मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी कर‎ लें व उसे समतल बना दें। एक हेक्टेयर‎ खेत में 200 से 250 किलो सड़ी हुई गोबर‎ की खाद,120 से 150 किलो नाइट्रोजन‎ खाद, 50 से 60 किलो फॉसफोरस, और‎ पोटैशियम खाद देने की जरूरत होती है।‎ गर्मी के दिनों में लगाए जाने वाले भिंडी के‎ बीज को किसान 45 सेंटीमीटर व और‎ लाईन से लाईन 30 से 45 सेंटिमीटर पर‎ लगाएं।‎