- नमी के अभाव में मक्के के पौधे पड़ रहे है,पीले।
- गेंहू की बालियां भी सूखने की किसानों ने बताई बात।
संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। विगत एक सप्ताह से तापमान में बृद्धि एवं पछुवा हवा चलने से खेतो में तेजी से नमी घट रही है। जिसके प्रभाव से मक्के के पौधे पीले पड़ने लगे है। वही गेहूँ की बालियां भी सूखने लगी है।जो किसानों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है। गत वर्ष अक्टूबर माह के बाद से बारिस नही होने से रवि फसलो की बुआई के दौरान सुखाड़ जैसे स्थिति उतपन्न हो गई। जैसे- तैसे किसानों ने बुआई से पूर्व खेतो की सिंचाई कर बुआई सम्पन्न किया। मगर मार्च महीने के शुरूआती दौड़ से ही तेज पछुआ हवा चलने की वजह से गेंहू के पौधें असमय पकने का डर सताने लगा है। जिससे उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होने की बात बताई जा रही है। अनुभवी किसानों ने बताया कि धान की फसल मारी गई।जिसके बाद रही सही पूंजी लगाकर गेंहू की खेती की गई। मगर वर्तमान हालात में उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।इधर मक्के की भी फसल बुरी तरह से प्रभावित होने की बात बताई जा रही है। काफी खर्च और परिश्रम कर रवी फसलों की बुआई, खाद- बीज का उचित प्रयोग, पटवन आदि के बाद भी पौधों के सुखने से किसानो की कमर टूट गई है।गुड्डू प्रसाद, दशरथ राय, अमित कुमार, पशुपति सिंह सहित दर्जनों किसानो ने बताया की काफी खर्च कर मक्के की बुआई की गई थी। मगर पौधों के असमय पीला पड़ने और सूखने के कारण लागत खर्च भी डूबती नजर आ रही है। जिससे आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है।
मक्के की सिंचाई करने में किसानो के छूट रहे पसीने।
खेतो में नमी की कमी की वजह से मक्के के पौधों की सिंचाई करने में किसानो के पसीने छूट रहे है।जहाँ एक ओर राजकीय नलकूप बेकार पड़े है। वही दूसरी ओर नहरो में पानी नहीं छोड़े जाने से सिंचाई करने में परेशानी हो रही है। सिंचाई का एक मात्र साधन निजी पम्पिंग सेट है, जिसमे काफी श्रम और खर्च की वजह से किसानो को परेशानी झेलनी पड़ रही है। किसानो की माने तो निजी पम्पसेट चालको द्वारा 200-220 रुपये प्रति घंटे की दर से पम्पसेट चलाया जा रहा है। जबकि नमी के अभाव में प्रति घंटे महज एक से डेढ़ कट्ठा खेत में ही सिंचाई हो पा रही है। जिससे काफी रुपये खर्च करनी पड़ रही है। वही दो से चार दिनों में ही पानी सूखने के बाद खेतो में दरारे पड़ जाती है। जिससे पुनः पटवन करनी पड़ती है।
गेंहू के पौधों की सिंचाई करना हुआ मुश्किल।
अनुभवी किसानों ने बताया की पछुवा हवा चलने के दौरान दाने पुष्ट होने के लिये खेतो में नमी का रहना आवश्यक है। मगर अब गेहूँ के पौधों में सिंचाई करना मुमकिन नही है। पौधे काफी बढ़ चुके है।ऐसे में अब अगर सिंचाई की गई तो सभी पौधे गिर जाएंगे। जिससे लाभ के बजाय और अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
सब्जी उत्पादक किसानों को भी हो रही है, परेशानी।
तेज धूप की वजह से सब्जी उत्पादक किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।भिंडी, लौकी, हरा मिर्च, खीरा, करेला आदि सब्जियों की अच्छी उपज के लिये खेतो में लगातार नमी बनाये रहना आवश्यक है। मगर तापमान में बृद्धि की वजह से नमी तेजी से घट रही है। जिससे सब्जी उत्पादक किसानों को प्रतिदिन सिंचाई करनी पड़ रही है। वही स्थानीय स्तर पर इन सब्जियों का उत्पादन अबतक शुरू नही होने से लोगो को ऊँची कीमत पर सब्जियां खरीदनी पर रही है।
फोटो(पीले पड़े मक्के के पौधों की सिंचाई और उर्वरक का छीड़काव करते किसान)
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