संजीव शर्मा। राष्ट्रनायक न्यूज।
मांझी (सारण)। मकर मांझी के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक को आगे बढ़ाने व बचाने के लिए हम कृत संकल्प हैं। जब इनके अस्तित्व को कुछ सामंती ताकतों ने चुनौती दी थी फिरका परस्त ताकतें इसको मटिया मेट करना चाहती थी तभी मैंने कहा था कि सामंती ताकतों कान खोल कर सुन लो भले ही मेरा सर कलम हो जाएगा लेकिन माझी का नाम नहीं बदलने दूंगा। उक्त बातें माझी गढ़ पर आयोजित बीर मक्कड़ माझी मेला का उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए रविवार को माझी माकपा विधायक डॉक्टर सत्येंद्र यादव ने कही। उन्होंने कहा जब हमारे समाज में पुरातन समाज में जब राजा बन सकते थे । सैनिक का संगठन कर सकते थे तो आज के युग में हमारा समाज जागरूक हो चुका है। पढ़ लिख कर शिक्षित हो चुका है । फिर भी कमजोर पड़ रहा है आखिर क्यों ।अपने लोगों को जगाने के लिए और बताने के लिए की हम लोग कमजोर नहीं हैं हमें एकता बल संगठन की जरूरत है। लोग कहते हैं कि इतिहास सिर्फ अगड़ी जातियों की है उन्हीं अगड़ी जातियों में बहुजन के बीच से एक सम्राट पैदा होता है जो वीर मक्कर माझी कहलाता है। माझी का सांस्कृतिक विरासत वीर मकर माझी से जुड़ा हुआ है। इस सांस्कृतिक विरासत को सरकारों के द्वारा समाज उपेक्षित किया गया है। कई वर्षों से इस विरासत को बचाने का आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं ।13वीं सदी के अंदर एक बहुजन समाज का होना अपने आप में अद्वितीय है। एक रियासत का राज होना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी । तब जब इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती की वीर मक्कर माझी 13वीं शताब्दी में राजा थे। इसका साक्ष है । वीर मक्कर माझी का रियासत यूपी के 14 कोस दक्षिण और 14 को उत्तर लम्हारी गांव बड़वा के बगल में जहां मौलिक लड़ाई हुई थी ।वह आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। वीर मक्कड़ माझी की विरासत 14 कोसों में फैली हुई थी जो लोग कहते हैं कि इतिहास सिर्फ अगड़ी जातियों की है। उन्हीं जातियों में बहुजन के बीच भी एक सम्राट पैदा होता है जो बीर मक्कड़ माझी कहलाता है। इस मौके पर डॉ केदार पासवान डॉक्टर जगदीश प्रसाद मनोज कुमार पासवान जुबेर खान हवलदार माझी शैलेश यादव रामपुकार माझी जावेद आया विवेक कुमार विक्की कुमार आजाद पासवान सहित सैकड़ों महिलाएं एवं पुरुष शामिल थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता अजीत कुमार अमन द्वारा किया गया


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