राष्ट्रनायक न्यूज

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59.19 एमएम हुई बारिश, 65.85 % किसानों ने खेतों में डाला बिचड़ा, 89 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य 

छपरा(सारण)। जिले में दो दिनों से मानसून ने दस्तक दिया है, सभी प्रखंडों में रुक रुक कर लगातार बारिश हो रही है। जिससे किसानो के चेहरे पल खुशी झलक रही है। किसान खरीफ फसल की बुआई को लेकर खेतों में बिचड़ा डालना शुरू कर दिया है। इस बाबत जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिले मे सभी जगहों पर बारिश हो रही है अभी तक औसतन 59.19 एमएम बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि जून माह में 133.50 एमएम औसतन बारिश होना था। लेकिन करीब 15 दिन विलंब से मानसून आने के कारण बारिश कम हुई है तथा खेती भी प्रभावित हुआ है। डीएओ  ने बताया कि इस बार 89 हजार हेक्टेयर में धान की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके आलोक में अभी तक पिछले चार-पांच दिनों में करीब 65.85 प्रतिशत बिचारा डाला गया है। आगामी 15 जुलाई तक बिछड़ा डालने का औसतन समय निर्धारित किया गया है। इस अवधि में बिछड़ा डालने पर समय से धान का खेती होता है। प्रखंड तकनीकी प्रबंधक एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक के माध्यम से बीज का वितरण कराया जा रहा है। जिले में अनुदानित दर पर किसानो को दो हजार 82 क्विंटल बीज का वितरण किया जाना है। इसके आलोक में अभी तक 40% किसानों को बीज उपलब्ध करा दिया गया है उन्होंने बताया कि अनुदानित दर पर करीब 27 रूपये प्रति किलो कि दर से उन्नत किस्म का धान का बिचड़ा दिया जा रहा है।
आत्मा के उप निदेशक बोले- समन्वयक व सलाहकार के हड़ताल पर है, आत्मा करा रहा खरीफ फसल की खेती
अपनी-अपनी मांगों को लेकर कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। हड़ताल को लेकर संघ ने दावा किया है बीज वितरण, बिछड़ा डालना एवं मक्के की खेती प्रभावित हुआ है। किसानों को समय पर अनुदानित बीज उपलब्ध नहीं कराया गया है। जिससे खेती प्रभावित हो रही है। उधर कृषि विभाग का आत्मा इकाई के उप निदेशक शमशेर आलम ने कहा है कि समन्वयक एवं सलाहकार के हड़ताल के कारण आत्मा के कर्मी एवं पदाधिकारी हीं जिले में खेती कर आ रहा है। बीज वितरण का भी कार्य कराया जा रहा है। बाहरहाल अब देखना यह है कि आत्मा विभाग किसानों से खेती कराने में कितना सक्षम हो पाती है।
किसान पम्पसेट बोरिंग से किसानो ने 15% गिराया बिचड़ा
खरीफ फसल की बुआई अधिकांश मानसून पर निर्भर होता है। ऐसे में इस बार मानसून करीब 15 दिन विलंब से आने के कारण खेती भी प्रभावित हुआ है। हालांकि जागरूक एवं प्रगतिशील किसान अपने निजी पंपसेट बोरिंग के माध्यम से करीब 15 फीसद बिचारा गिरा चुके हैं। दो दिनों से हो रहे बारिश से किसान अपने खेतों में तेजी से भी जरा डालना शुरू कर दिया है। जानकारों की माने तो जिले के आठ प्रखंड बाढ़ प्रभावित है, इस सूरत में धान की अगता खेती करने के लिए 15 जून के बाद धान का बिचड़ा डालने का कार्य शुरू होने की संभावना है। इसके लिए किसान को नहरों से पानी नहीं मिला तो निजी पम्पसेट बोरिंग पर निर्भर होना पड़ेगा। जिससे किसानो को अधिक आर्थिक नुकसान होता है।
सिंचाई के सुविधा के अनुसार करें बीजों का चयन
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक खरीफ उत्पादन में लंबी अवधि वाले धान के लिए बीपीटी 5204, एमटीयू 7029, राजेंद्र मसूरी-1, स्वर्णा सब-1 (बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में) एवं राजश्री प्रभेद के बीज लाभकारी हैं। वहीं मध्यम अवधि वाले धान में राजेंद्र श्वेता, राजेंद्र सुभाषिनी, एमटीयू 1001, एनडीआर-359, एराइज 6444, पीएचबी-71, डीआरएच-748 आरएच-1531 शामिल हैं। जबकि छोटी अवधि वाले धान के लिए सहभागी धान, अभिषेक, राजेंद्र भगवती, पीआरएच-10, एराइज-6129, एराइज तेज, आरएच-257, डीआरएच-2366, डीआरएच-834, पीएसी-807 प्रमुख प्रभेद हैं। किसानों के लिए इसकी खेती करना लाभदायक हो सकता है।
प्रजाति के आधार पर करें बुआई, होगा लाभ
धान की सीधी बुआई प्रजाति के आधार पर करने से कम समय में ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है। इसमें 145 से 155 दिन की लंबी अवधि वाली प्रजाति है। वहीं 130 से 135 दिन की मध्य अवधि एवं 115 से 120 दिन की छोटी अवधि वाली प्रजाति की है।
15 जुलाई तक खेतों में डाले जाएंगे धान का बिचड़ा
जिले में अपनी-अपनी मांगो को लेकर कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। लिहाजा खेती पर भी असर दिखने लगा है। हालांकि किसान अपनी सुविधानसार खेतों में भी बिचड़ा डालना शुरू कर दिये है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो आगामी 15 जून से ही बिछड़ा डालना शुरू कर दिया जाना है लेकिन मानसून के विलंब से आने के कारण बिछड़ा डालने का कार्य प्रभावित हुआ है उन्होंने बताया कि आगामी 15 जुलाई के बीच धान का बिचड़ा डालने का बेहतर समय है। इस दौरान बिचड़ा डालने पर धान की फसल को तैयार होने के लिए बेहतर समय मिलता है। जिससे धान पुस्ट होता है और उपज भी अधिक होता है।
फसल का नाम लक्ष्य(हे.)
धान 89 हजार
मूंग 900
मक्का 33 हजार
मरूआ 1500
अरहर 6 हजार
तिल 200
सारण में कृषि भूमि व स्थिति एक नजर में
जलवायु तापमान 40.44 डिग्री सेंटीग्रेड
कुल सिंचित क्षेत्र 101611 हे.
नहर से सिंचाई 22320 हे.
दियारा क्षेत्र 29561 हे.
वन क्षेत्र 00000
मिट्‌टी का पीएच 7.0 से 8.2
मिट्‌टी का प्रकार बलुई-दोमट मिट्‌टी
मुख्य फसलें धान, गेहूं, मक्का, अरहर, चना, मसूर
मिट्‌टी जांच प्रयोगशाला 01