- गड़खा थानाध्यक्ष से प्रशिक्षु आईपीएस ने चार्ज लेते हीं लंबित केस की समीक्षा कर थानेदार पर दर्ज किया मुकदमा
- शराबी को पकड़ने के दौरान वीडियो बना रहे युवक को थानेदार ने मार-पीटकर मोबाईल छिना व हाजत में किया था बंद
छपरा(सारण)। जिले के गड़खा थाना के थानाध्यक्ष अमितेश कुमार सिंह के खिलाफ सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी यानी सीजेएम कोर्ट में गत दिनांक 25 मई को परिवाद दाखिल किया गया है। जिसकी सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट ने धारा 156(3) के अंतर्गत थानाध्यक्ष पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट का परिवाद गड़खा थाने में तमिला होने के बाद भी थानेदार ने कोर्ट के आदेश यानी खुद पर दर्ज किये जाने वाले केस को करीब सवा महीने यानी करीब 37 दिनों तक पेंडिंग रखा। पुलिस अधीक्षक डाॅ. गौरव मंगला ने जिले प्रशिक्षण के लिए आये नव चयनित आईपीएस को गड़खा थाना में पदस्थापित किया। तत्पश्चात प्रशिक्षु आईपीएस ने गड़खा थानाध्यक्ष से प्रभार ग्रहण किया और लंबित परिवाद की समीक्षा की। जिसमें कोर्ट के आदेश को लंबित रखने पर गंभीरता से लेते हुए दिनांक 2 जुलाई 2023 को थानेदार अमितेश कुमार पर कांड संख्या 376/23 का आलोक में केस दर्ज कर दिया है। साथ ही केस की अनुसंधान कर अग्रेत्तर करने के लिए विजेंद्र मंडल को नामित करते हुए आवश्यक निर्देश दिया है। बहरहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि कानून की रक्षा करने वाली पुलिस आरोपी थानाध्यक्ष अमितेश कुमार गिरफ्तार करती हैं अथवा नहीं। इस पर सबकी निगाहे टीकी हुई है, जिसे आम लोगों को समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
इस मामले को ले थानाध्यक्ष पर दर्ज हुआ केस
जिले के दरियापुर थाना क्षेत्र के जलालपुर निवासी सकेन्द्र प्रसाद सिंह के पुत्र रंजीत कुमार ने गत 25 मई 2023 को गड़खा थानाध्यक्ष के खिलाफ परिवाद दायर किया। जिसमें कहा कि दिनांक 30 दिसंबर 2022 को शाम करीब छह बजे गड़खा- बसंत रोड से कनेक्टेड रोड दक्षिण कदना जाने वाले सड़क से सटे रिया सुधा दुकान के समीप खड़ा थे। तभी थानाध्यक्ष अमितेश कुमार सिंह एवं गश्ती दल के 6-7 पुलिस पहुंचे। रोड के समीप ही पूछ-ताछ के दौरान एक राहगीर को दारू पीने के संदेह में पकड़ लिये और उसके साथ मार-पीट व गाली-गलौज करने लगे। जिसका परिवादी रंजीत कुमार अपने मोबाईल से विडियोग्राफी करने लगा। यह देख थानाध्यक्ष समेत सभी पुलिस परिवादी से उलझ गए और मार-पीट, गाली-गलौज किये व गर्दन में हाथ लगाकर धक्का देते हुए सरकारी हथियार के बल पर पटक कर लात-जूता से भी मार-पीट किया। जबरन सरकारी अग्नेयास्त्र के बल पर परिवादी का मोबाईल छिन लिया और थाना ले जाकर हाजत में बंद कर दिया। वही थानेदार ने कहा कि वीडियो डिलीट कर दो तभी मोबाइल मिलेगा। लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं दिया। जिसमें परिवादी का बहुत निजी डेटा था और उस मोबाइल के माध्यम से आर्थिक उपार्जन करता था। इसको लेकर परिवादी ने वरीय अधिकारियों को गड़खा के थानाध्यक्ष विरूद्ध कार्रवाई के लिए आवेदन दिया। लेकिन आज तक न तो अभियुक्तो के विरूद्ध कोई कारवाई हुआ और न हीं मोबाईल वापस किया गया।
इन धाराओं के तहत गड़खा थानाध्यक्ष पर दर्ज हुआ मुकदमा
सिविल कोर्ट के आदेश के बाद गड़खा थाना पदस्थापित प्रशिक्षु आईपीएस ने गड़खा थानाध्यक्ष अमितेश कुमार एवं 6-7 की संख्या में गश्ती दल पुलिस पर भादवि की दफा 323, 341, 379, 409, 427, 504, 506 के तहत एफआईआर दर्ज किया है।
अधिवक्ताओ ने कोर्ट में ये दी दलील
परिवादी के तरफ से अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह एवं सुनील कुमार ने सीजेएम कोर्ट में दलील दिया कि गड़खा थानाध्यक्ष ने गश्तीदल के सहयोग से मार-पीट, गाली-गलौज किये व गर्दन में हाथ लगाकर धक्का देते हुए सरकारी हथियार के बल पर पटक कर लात-जूता से भी मार-पीट किया। जबरन सरकारी अग्नेयास्त्र के बल पर परिवादी का मोबाईल छिन लिया और थाना ले जाकर हाजत में बंद कर दिया। परिवादी का लूटे गए मोबाईल को चिटिंग धोखाधड़ी व फ्रॉड प्ले तथा उच्च स्तरीय साजिश के तहत परिवादी का मोबाईल आज तक वापस नहीं किया, जिससे उसके नियत में खोट है तथा लोभ लालच के तहत परिवादी का मोबाईल कीमत करीब 15 हजार रूपया का बदनियती से गबन कर लिया। उन्होंने कहा कि परिवादी का हयुमिलियेट हास करने से लोकेलिटी में परिवादी का प्रतिष्ठा भी धुमिल हुआ।
परिवादी ने हाईकोर्ट में दाखिल किया था क्रिमिनल रिट
शराबी को पकड़ने के दौरान गड़खा थानाध्यक्ष के द्वारा मारपीट का वीडियो बनाने वाले युवक के साथ मारपीट कर मोबाइल छिनने व हाजत में बंद को लेकर रंजीत ने जिले के वरीय पुलिस अधिकारी से शिकायत की थी। जिस पर कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट संख्या 198/2023 दाखिल किया था, जिसके संदर्भ में हाई कोर्ट द्वारा आवेदन को प्रीमैच्योर होल्ड करते हुए सीजीएम सारण के कोर्ट में 156 (3) द.प्र.स. के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देशित करते हुए वर्णित रिट याचिका को खारिज कर दिया गया। इसके बाद हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में सीजेएम कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया। जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट में गड़खा थानाध्यक्ष को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
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